सशस्त्र सीमा बल(एसएसबी) द्वारा बनबसा नेपाल बॉर्डर पर लंबे समय से मीडिया बैन,अजब लोकतंत्र

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बनबसा(चम्पावत)- चम्पावत जिले के टनकपुर ब्रहमदेव इलाके में कुछ दिनों पहले नेपाली नागरिकों द्वारा भारतीय सीमा क्षेत्र पर नो मेंस लेंड में कब्जा करने के बाद जहां उत्तराखण्ड का टनकपुर बनबसा बॉर्डर राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में आया था।वही उस घटना के बाद बनबसा बॉर्डर पर तैनात एसएसबी ने उच्च अधिकारियों के निर्देश का हवाला दे मीडिया के नेपाल बॉर्डर पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।मीडिया प्रतिनिधियों को बनबसा इमिग्रेशन चेक पोस्ट के पास बनी एसएसबी चेकिंग पोस्ट से आगे नही जाने दिया जा रहा है।जबकि भारतीय सीमा उससे आगे पिलर नम्बर सात तक पड़ती है।

नेपाल सीमा पर भारतीय मीडिया को को बैन करने वाले एसएसबी अधिकारी इंडो नेपाल सीमा पर सुरक्षा को भारतीय पत्रकारों से कौन सा खतरा मानते है।यह वर्षों से नेपाल सीमा पर कार्य वाले पत्रकार भी नही समझ पा रहे है।जबकि नेपाल सीमा के पिलर नम्बर सात तक रोजाना कई स्थानीय व्यापारियो, ई रिक्शा चालक सहित कई लोगो का आवागमन बना रहता है।लेकिन इसके बावजूद नेपाल सीमा पर भारतीय पत्रकारों को बैन कर एसएसबी द्वारा कवरेज से उन्हें रोका जा रहा है।जो कही ना कही भारतीय सीमा पर लोक तांत्रिक मूल्यों का भी हनन है।

कोरोना संक्रमण के बाद नेपाल सीमा सील होने के बावजूद भी जहां लगातार ,बनबसा बॉर्डर से नेपाल को दवाइयों,मोबाइल,खाद व अन्य सामानों की तस्करी के मामले स्वयं बनबसा थाना पुलिस पकड़ चुकी है।लेकिन उसके बावजूद भी एसएसबी तस्करी को रोकने की बजाय भारतीय पत्रकारों को नेपाल सीमा तक ना जा पाए इस पर अपना सारा ध्यान लगा रही है।यहाँ पर बड़ा सवाल उठता है कि क्या बनबसा नेपाल सीमा पर तैनात एसएसबी वर्तमान में नेपाल सीमा सील होने के बाद बनबसा बॉर्डर पर चल रही तस्करी को मीडिया की कवरेज से छुपाना चाहती है।इसलिए मीडिया को एसएसबी के अधिकारियों द्वारा नेपाल सीमा पर जाने से बैन कर रोका जा रहा है।

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भारतीय मीडिया को स्वयं उसके देश की सुरक्षा एजेंसियां जहां बॉर्डर पर जा कवरेज करने से रोक रही है।जबकि भारत से वर्तमान में तल्ख रिश्ते रखने वाली नेपाल सरकार के सीमान्त प्रशासन के साथ नेपाल मीडिया बेरोकटोक अपने क्षेत्र से भारतीय सीमा तक कवरेज करने का कार्य कर रहे है।भारत नेपाल सीमा पर टनकपुर ब्रहमदेव मंडी में एसएसबी की मौजूदगी के बाद जहां नो मेंस लेंड में नेपाली नागरिकों के द्वारा कब्जा करने की घटना ने भारतीय सुरक्षा एजेंसी एसएसबी की सीमा पर सतर्कता पर सवाल खड़े किए है।वही अब एसएसबी नही चाहती कि टनकपुर से लेकर खटीमा तक किसी अन्य इलाके में नेपाली अतिक्रमण को मीडिया उजागर कर एसएसबी के सामने मुसीबत खड़ा करें।इसलिए एसएसबी के उच्च अधिकारियों ने एसएसबी बीओपी हेड को साफ निर्देश दिए है कि पत्रकारों को हरगिज भी नेपाल बॉर्डर पर किसी भी प्रकार का विचरण करने दिया जाए।

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उत्तराखण्ड की बनबसा नेपाल सीमा पर लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन कर पत्रकारों को प्रतिबंधित करने वाले एसएसबी अधिकारियों के आदेश पर जिलाधिकारी चम्पावत एस एन पांडे का कहना है कि वह इस विषय पर एसएसबी अधिकारियों से वार्ता करेंगे कि आखिर पत्रकारों को क्यों बॉर्डर पर प्रतिबंधित किया हुआ है।फिलहाल सीमान्त पत्रकार अपनी कवरेज के लिए जहां बनबसा नेपाल बॉर्डर के पिलर नम्बर 7 तक एसएसबी की तुगलगी फरमान की वजह से नही जा पा रहे है।वही बनबसा बॉर्डर पर नेपाल सीमा सील होने की वजह से तस्करों के होंसले बुलंद है।लगातार बनबसा सीमा पर एक देश से दूसरे देश दवाइयां, मोबाइल,खाद,दूध,सहित अन्य कई समान की तस्करी अवैध रास्तों से जारी है।इसके बावजूद भी एसएसबी तस्करों पर फिलहाल अंकुश लगाने में नाकाम दिख रही है।लेकिन सिर्फ अपने ही देश की मीडिया को नेपाल सीमा पर बैन कर ना जाने भारत नेपाल सीमा की सुरक्षा को किस लिहाज से पुख्ता कर रही है।यह एक गम्भीर प्रश्न है साथ ही लोक तंत्र के चौथे माने जाने वाले स्तम्भ पर अलोकतांत्रिक प्रतिबंधित भी है।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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