अजब-गजब: लोहाघाट में लाखों रुपए की लागत से उद्यान विभाग हेतु बनाया गया सरकारी भवन दस साल से पड़ा है लावारिस अवस्था में,विभागीय उदासीनता से नहीं किया गया भवन का आजतक उपयोग

मनोज कापड़ी, संवाददाता लोहाघाट।
लोहाघाट(उत्तराखंड)- उद्यान विभाग द्वारा वर्ष 2009-10 में जिले में उद्यानिकरण को बढ़ावा देने के लिए लोहाघाट व चंपावत में लाखों रुपए लागत से हाईटेक भवनों का निर्माण किया गया दो मंजिले बने इन भवनों के प्रथम तल में कार्यालय एवं दूसरी मंजिल में उद्यान प्रभारी का आवास बनाया गया था।चंपावत ने भवन का निर्माण करने के बाद तो ग्रामीण निर्माण विभाग द्वारा उसे विभाग को हस्तांतरित कर उसका उपयोग किया जाने लगा। लेकिन लोहाघाट ब्लॉक परिसर में बने इस हाईटेक कार्यालय को अभी तक विभाग को हस्तांतरित नहीं किया गया है।इस संबंध में कार्यदाई संस्था के अधिशासी अभियंता का कहना है कि विभाग द्वारा भवन का निर्माण करने के बाद उसे उद्यान विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया था।उस वक्त मुख्य सचिव का एक ऐसा आदेश था जिसमें विभाग द्वारा भवनों का निर्माण करने के बाद उसे संबंधित विभाग को सौंप दिया जाता था। यदि तीन माह के भीतर कोई कमियां दर्ज नहीं हो जाती थी तो उसे स्वतः
हस्तांतरित मान लिया जाता था।

इधर डीएचओ का कहना है कि यह मामला उनके समय का नहीं है अलबत्ता विभाग के लोहाघाट स्थित एडीओ का कहना है कि भवन तो बना है लेकिन उसका विभागीय अभिलेखों में कोई उल्लेख नहीं है।डीएम नरेंद्र सिंह भंडारी ने अपने पद का कार्यभार ग्रहण करने के बाद जिले के सभी विभागों के भवनों की सूची तलब कराई थी।जिसमें कई ऐसे वीरान पड़े भवनों को दूसरे ऐसे विभागों को देने का प्रयास किया गया जिनके पास भवन नहीं हैं। इससे सरकारी धन की बचत होने के साथ परिसंपत्तियों का उपयोग भी होने लगा।
मजे की बात यह है कि इस भवन को लावारिस अवस्था में क्यों छोड़ा गया है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यदि विभाग को इस भवन की
जरुरत नहीं है तो इसे बनाया क्यों गया ?क्यों और कैसे यह भवन उस सूची में शामिल होने से रह गया जो विभाग द्वारा डीएम को भेजी गई थी।

