चिंताजनक खबर: खटीमा के शांत माहौल को खराब करने की चल रही साजिश,थारू जनजाति भूमि पर वर्षो से बसे गैर थारू लोगो की भूमि को मूल जनजाति कास्तकार से मिल भूमि कब्जाने का चल रहा है खेल,आखिर क्या हो रहा खटीमा में?

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खटीमा(उत्तराखंड)- सीमांत क्षेत्र खटीमा में पिछले कुछ समय से थारू जनजाति की भूमि पर बरसों से बसे गैर थारू लोगों की भूमि को उस जमीन के मूल जनजाति व्यक्ति से मिलकर भू माफियाओं के द्वारा जमीन कब्जाने का खेल चल रहा है। खटीमा तहसील में इस तरह के लगातार आ रहे मामलों से खटीमा की फिजा खराब होने का पूर्ण अंदेशा है। क्योंकि खटीमा में थारू जनजाति की भूमि पर स्टांप पेपर पर जमीनों को खरीद कई वर्षों से गैर जनजाति लोग निवास कर रहे हैं। क्योंकि नियम के हिसाब से जनजाति समाज की भूमि कागजी दस्तावेज में भूमि सामान्य वर्ग के नाम पर दर्ज नहीं हो सकती। वही इसी नियम का फायदा उठाकर जनजाति समाज के लोगों द्वारा बरसों पहले बेच दी गई जमीनों को भू माफिया मूल जनजाति व्यक्ति से मिल उन जमीनों को सामान्य वर्ग के लोगों से कब्जाए जाने का खेल चल रहे हैं।

भू माफियाओं का सताया पीड़ित परिवार का मुखिया

कुछ समय पहले भी खटीमा के कोतवाली इलाके में जनजाति और गैर जनजातीय समाज की भूमि पर इसी तरह का विवाद सामने आया था। पूरे भूमि विवाद के पीछे भी कुछ भू माफियाओं के नाम सामने आए थे। वह एक बार फिर खटीमा तहसील परिसर में जनजाति समाज की भूमि पर 1977 से बसें सामान्य वर्ग के एक परिवार को भू माफियाओं द्वारा धमकाने एससी एसटी एक्ट में फंसाने वह दबाव बनाकर भूमि खरीदने के बाद उसे जमीन की पूरी धनराशि न दिए जाने का मामला खटीमा एसडीएम रविंद्र बिष्ट के सामने आया है। पीड़ित परिवार के साथ दर्जनों लोगों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर पीड़ित परिवार की मदद करने की गुहार लगाई है।

खटीमा तहसील में अपने परिवार के साथ पहुंचे पीड़ित मंगल कुमार नाम के व्यक्ति ने बताया कि वह खटीमा के उमरूखुर्द गांव का रहने वाला है। उसके पिता छोटेलाल ने 1977 में थारू जनजाति के व्यक्ति जोगी दास से 13 बीघा भूमि स्टॉप के जरिए खरीदी थी। खटीमा क्षेत्र के अमित नाम के भू माफिया व एक तथाकथित भाजपा नेता ने उनकी साढ़े छ बीघा जमीन की धोखे से रजिस्ट्री उमेश राणा के नाम करवा कर दाखिल खारिज भी करवा दी। इस विषय की सूचना मिलने पर जब उसने आपत्ति दर्ज कराई तो कुछ लोगों ने इस मामले में उस पर व उसके परिवार पर दबाव बना पंद्रह लाख रुपए बीघा के हिसाब से उसकी साढ़े छ बीघा जमीन खरीदने का सौदा करा दिया। उसे समझौते के दौरान जमीन के 31 लाख नगद दिए तथा बाकी की रकम देने का वादा किया गया। परंतु अब ना तो उसे उक्त भू माफियाओं द्वारा उसे जमीन का बकाया पैसा दिया जा रहा है ना ही उसकी जमीन दी जा रही हैं।बल्कि भू माफियाओं द्वारा उसे उल्टा sc-st के केस में जेल भेजने की धमकी दी जा रही है। इस पूरे मामले में उसका परिवार काफी परेशान है।

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इस पूरे मामले में पीड़ित परिवार ने एसडीएम खटीमा को ज्ञापन सौंप उन्हें उनकी जमीन के पैसे दिलवाने व भू माफियाओं द्वारा उनकी जान-माल की सुरक्षा की मांग की है।वही एसडीएम रविंद्र बिष्ट ने इस मामले की जांच कर कार्रवाई करने की बात कही है।

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फिलहाल खुद खटीमा एसडीएम रविंद्र बिष्ट ने माना है कि जनजाति समाज की भूमियों पर विवाद के मामले सामने आ रहे हैं और इस तरह के मामले से खटीमा की फिजा खराब हो सकती है। लेकिन वर्तमान में जनजाति समाज की जमीनों में विवाद पैदा करने वालों भू माफियाओं के नाम जांच से पहले एसडीएम ने नाम ना लेने की बात कही है।जिससे साफ पता चलता है की जमीनों के विवाद खड़े करने वाले लोग वर्तमान में कितने पॉवर फूल है।

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फिलहाल खटीमा में कुछ लोगो के अनुसार सत्तापक्ष से जुड़े एक छूट भईए नेता जो की वर्तमान में पिछले कुछ समय से वर्तमान हालातो में संरक्षण के चलते पॉवर फूल हो गया हो,, उसका पूरे खटीमा में आतंक व्याप्त है।खटीमा में लगातार थारू जनजाति की भूमि पर खड़े हो रहे भूमि विवाद में लगातार उसका नाम आना चर्चाओं में है। लेकिन वर्तमान में जिस तरह के हालात जनजाति भूमि में विवाद पैदा कर खटीमा में खड़े किए जा रहे हैं वह खटीमा की सुख शांति पर व्यवधान पैदा करने के संकेत दिख रहे हैं। जिस पर पुलिस व प्रशासन की अगर निष्क्रियता रहती है तो इसके खटीमा में बुरे परिणाम भी सामने आ सकते हैं।फिलहाल सूत्रों की माने तो पुलिस व प्रशासन के कुछ अधिकारियों व कार्मिकों का अप्रत्यक्ष रूप से इस तरह के लोगो को संरक्षण खटीमा की फिजा कभी भी खराब कर सकता है।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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