मोदी सरकार के जम्मू -कश्मीर में धारा 370 व 35 ए हटाये जाने के 2 साल बाद अभी तक जारी 28,400 करोड़ के पैकेज से विकास की नई राह हो रही तैयार,आप भी जाने कश्मीर घाटी में क्या आये बदलाव

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देखे वीडियो,जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के दो साल बाद क्या कहती है भारत की आवाम

खटीमा(उत्तराखण्ड)- देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त वर्ष 2019 को जम्मू-कश्मीर की आवाम के विकास व उन्हें देश की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया था।जिसमे जम्मू-कश्मीर में आजादी के बाद से चली आ रही धारा 370 व 35 ए को हटा दिया गया था।देश भर में मोदी सरकार के इस फैसले का स्वागत हुआ था।साथ ही इसे मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला भी करार दिया गया था।5 अगस्त 2021 को केंद्र सरकार के इस फैसले को दो साल पूरे होने जा रहे है।इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर की आवाम को इस फैसले का अब फायदा होने लगा है।अमन व शांति के साथ ही विकास की नई राह पर यह प्रदेश चल पड़ा है।जम्मू कश्मीर को पिछले दो साल में केंद्र सरकार द्वारा 28,400 करोड़ के पैकेज से विकास की नई इबारत लिखी जानी शुरू हो चुकी है।

पिछले 2 सालों में अनुच्छेद 370 व 35 ए हटने के साथ ही प्रदेश से कई बंदीसे स्वत ही हट गई।जिसके कारण अब देश के अन्य हिस्सों से जम्मू कश्मीर में निवेश होने लगा है।जिसने इस प्रदेश के युवाओ के लिए रोजगार की भी राहें खोल दी है।देश की नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले ने अखंड भारत के सपने को भी साकार किया है।देश की मोदी सरकार की जनहितार्थ योजनाएं मेक इन इंडिया,स्टार्टअप इंडिया,उज्ज्वला योजना जैसी महत्वपूर्ण योजना से जम्मू कश्मीर की आवाम लाभान्वित होने लगी है।राज्य में शिक्षा रोजगार,स्वास्थ्य व्यापार आदि क्षेत्रों में बेहतर बदलाव अब देखने को मिल रहे है।जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370व 35 ए हटने के बाद महिला शशक्तिकरण के क्षेत्र में महिलाओं को लाभ मिलने लगा है।प्रदेश में महिलाओ के अधिकारों की भी वापसी हुई है।

बात बीते 2 साल में आर्थिक क्षेत्र की करे तो जीडीपी ने दहाई के आंकड़े को छुआ है।साथ ही प्रदेश में अमन शांति के साथ साथ पर्यटन व्यवसाय भी फिर से पटरी पर लौट आया है।कश्मीर का युवा रोजगार ने नए अवसर सृजित कर भटकाव की स्थिति में अब जाने से बच रहा है।अनुच्छेद 370 व 35 ए हटने के बाद जम्मू कश्मीर को मिलने वाला विशेषाधिकार समाप्त होने से पूरे देश का विधान अब जम्मू कश्मीर में लाघु हो गया है।सरकार की योजनाएं पूरे देश के साथ अब जम्मू कश्मीर की आवाम को भी फायदा दे रही है।जम्मू कश्मीर के कानूनी रूप से सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आने के बाद इस राज्य की आवाम का न्याय व्यवस्था का भी समुचित लाभ मिल रहा है।केंद्र सरकार द्वारा अमन व शांति के लिए किए गए विशेष प्रयासों सेना को विशेष अधिकार प्रदान किये जाने के बाद आतंकवादी गतिविधियों व आतंकी फंडिंग पर नकेल कसी है।जम्मू व कश्मीर सही अर्थों में धारा 370 व 35 ए की समाप्ति के बाद सही अर्थों में आजादी व विकास की नई राह में अग्रसर हो चुका है।जम्मू कश्मीर व लद्दाख की आवाम दशकों बाद सूचना का अधिकार,शिक्षा का अधिकार का समुचित प्रयोग करने लगे है।राज्य के युवा हथियार नही सरकार की योजनाओं के चलते लेपटॉप व संचार क्रांति से जुड़ रहे है।

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कश्मीरी पंडितों की वापसी की भी राहें खुली, केंद्र सरकार की पहल के बाद वापस लौट रहे कश्मीरी पंडित

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा दो साल पहले धारा 370 व 35 ए हटाये जाने के बाद इन दो सालों में अपने मिट्टी से निर्वासित कश्मीरी पंडितों के परिवारों ने वापसी शुरू कर दी है।हम आपको बता दे कि जम्मू और कश्मीर सरकार द्वारा 1990 में स्थापित राहत कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, 44,167 कश्मीरी प्रवासी परिवार पंजीकृत हैं, जिन्हें सुरक्षा चिंताओं के कारण 1990 से घाटी से पलायन करना पड़ा था। इनमें पंजीकृत हिंदू प्रवासी परिवारों की संख्या 39,782 के करीब है

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पीएम पैकेज के तहत कश्मीरी प्रवासी युवाओं के लिए विशेष नौकरियां कश्मीरी प्रवासियों के पुनर्वास के लिए एक महत्वपूर्ण घटक रहा है। पीएम पैकेज की नौकरी लेने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कुल लगभग 3800 प्रवासी उम्मीदवार कश्मीर लौट आए हैं। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, पुनर्वास पैकेज के तहत उन्हें प्रदान की गई नौकरियों को लेने के लिए 520 प्रवासी उम्मीदवार कश्मीर लौट आए हैं।
चयन प्रक्रिया के सफल समापन पर वर्ष 2021 में लगभग 2,000 अन्य प्रवासी उम्मीदवारों के भी इसी नीति के तहत लौटने की संभावना है।

सरकार ने कश्मीर घाटी में कश्मीरी प्रवासियों की वापसी और पुनर्वास के लिए 2008 और 2015 में प्रधान मंत्री पैकेज के तहत कश्मीरी प्रवासियों की वापसी और पुनर्वास के लिए निम्नलिखित नीतियां तैयार की हैं:

आवास:

कश्मीर घाटी में अपने पैतृक स्थानों पर कश्मीर प्रवासियों के पुनर्वास को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार ने उन परिवारों की मदद करने के लिए निम्नलिखित प्रोत्साहनों की घोषणा की जो अपने मूल स्थानों या निवास पर वापस बसने के इच्छुक थे।

  1. उनके पूर्ण या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घर की मरम्मत के लिए 7.5 लाख रुपये की सहायता।
  2. जीर्ण-शीर्ण/अप्रयुक्त मकानों के लिए 2 लाख रुपये की सहायता।
  3. ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों में घर खरीदने/निर्माण के लिए 7.5 लाख रुपये उन लोगों के लिए जिन्होंने 1989 के बाद की अवधि के दौरान और JK Migrant Immovable Property Preservation, Protection and Restraint of Distress Sale 1997 अधिनियमन से पहले अपनी संपत्ति बेची है।

सरकार द्वारा कश्मीरी पंडितों को नकद सहायता में वृद्धि:

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केंद्र सरकार द्वारा कश्मीरी प्रवासियों को भी नकद राहत प्रदान की जा रही है, जिसे समय-समय पर बढ़ाया गया है यानी 1990 में प्रति परिवार 500 रुपये को बढ़ाकर 13,000 रुपये प्रति परिवार 3250 रुपये प्रति व्यक्ति कर दिया गया है।रोजगार को लेकर पीएम पैकेज के तहत घोषित कुल 6,000 पदों में से लगभग 3,800 कश्मीरी प्रवासियों को सरकारी रोजगार प्रदान करके सीधे पुनर्वास किया गया है। ये कर्मचारी कश्मीर घाटी के विभिन्न जिलों में कार्यरत हैं, जिनमें श्रीनगर, बडगाम, बारामूला, शोपियां, कुलगाम, कुपवाड़ा, पुलवामा, बांदीपोरा, अनंतनाग और गांदरबल शामिल हैं। शेष पद भी भर्ती के अंतिम चरण में हैं।

ट्रांजिट आवास का निर्माण:

घाटी में जम्मू और कश्मीर सरकार में कार्यरत 6,000 कश्मीरी प्रवासियों को आवास प्रदान करने के लिए, कश्मीर घाटी के विभिन्न जिलों में 920 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कश्मीरी प्रवासी कर्मचारियों के लिए 6,000 ट्रांजिट आवास इकाइयों का निर्माण किया जा रहा है।अब तक, 1,025 आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जा चुका है, जिसमें बडगाम, कुलगाम, कुपवाड़ा, अनंतनाग और पुलवामा जिले में 721 आवासीय इकाइयां शामिल हैं। अन्य 1,488 इकाइयां निर्माणाधीन हैं और लगभग 2444 इकाइयों के लिए भूमि की पहचान की गई है।आने वाले समय मे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के अनुच्छेद 370 व 35 ए हटाये जाने के कश्मीर घाटी में ओर बेहतर परिणाम आने की संभावना है।फिलहाल मोदी सरकार का यह ऐतिहासिक फैसला जम्मू व कश्मीर की आवाम के लिए वास्तव में ऐतिहासिक साबित हुआ है।क्योंकि बीते दो सालों में अमन शान्ति,रोजगार विकास व महिला शशक्तिकरण के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन इस फैसले के माध्यम से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की दूरदर्शिता को दर्शाता है।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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