सीमावर्ती कायल गांव की सोना उगलने वाली भूमि को मिली सिंचाई सुविधा,सुबे के ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ पुरुषोत्तम से जिले के दुरस्त इलाको के लोगों की बड़ी काफी उम्मीदें

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मनोज कापड़ी संवाददाता लोहाघाट।

लोहाघाट(उत्तराखंड)- नेपाल सीमा से लगे कायल गांव की लिफ्ट सिंचाई योजना को लेकर आखिरकार जिला किसान यूनियन की पहल रंग लाई। दरअसल यहां की सोना उगलने वाली भूमि को सिंचित करने के लिए लिफ्ट सिंचाई योजना का निर्माण तो किया गया था लेकिन आपदा के कारण क्षतिग्रस्त हो चुकी योजना की मरम्मत के लिए जिलाधिकारी द्वारा धन आवंटित किए जाने के बावजूद लघु डाल खंड के अभियंता टालमटोल करते आ रहे थे। जिससे यहां के लोग सिंचाई सुविधा न मिलने के कारण पलायन का मूड बना रहे थे।

हाल ही में सूबे के कृषि,बागवानी, डेयरी विकास,मत्स्य पालन आदि विभागों के सचिव डॉ पुरुषोत्तम ने चंपावत को मॉडल जिला बनाने के लिए इंटीग्रेटेड फार्मिंग पर जोर दिया। यदि इसकी शुरुआत कायल गांव से की जाती है तो यह सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों की तकदीर व तस्वीर बदल देगा।लगभग 400 की आबादी वाले इस गांव के लोगों की आजीविका का साधन ही कृषि व पशुपालन आदि है।यहां के लोग पारंपरिक रूप से जैविक खेती करते आ रहे हैं।सड़क से लगभग चार किलोमीटर दूर इस गांव में यदि सिंचाई सुविधा मिलती रहे तो धान, गेहूं ,मक्का,आम, लीची,कटहल,केला,अमरूद के अलावा बेमौसमी सब्जियों, मौन पालन,मछली पालन, दुधारू पशु पालन,मुर्गी पालन,जड़ी बूटी की खेती की जाए तो यहां पलायन तो दूर पलायन कर चुके लोग अपनी माटी का तिलक लगाने आएंगे।

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उत्तराखंड सरकार के ग्राम विकास से जुड़े विभागों के सचिव डॉ पुरुषोत्तम ने जिस अंदाज में लोगों की पीड़ा को एहसास किया है उसे देखते हुए यहां के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की भविष्य की उम्मीदें बढ़ने के साथ उन्हें पक्का यकीन हो गया है कि अब उनके भी अच्छे दिन आएंगे।भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष नवीन करायत, किसान नेता मोहन चंद पांडे,कायल गांव के ग्राम प्रधान मोहन सिंह,तोताराम, संतोक सिंह,राजेंद्र सिंह का कहना है कि यदि जिले के विकास से जुड़े अधिकारी एक बार कायल गांव की वसुंधरा भूमि को देख लें तो इस सुदूर क्षेत्र मे मॉडल गांव की परिकल्पना को पंख लगने लगेंगे।वैसे किसान यूनियन का कहना है कि जिलाधिकारी को शासन की नीति के तहत ऐसे ही गांव में ग्रामीणों के बीच रात बितानी चाहिए जिससे उन्हें लोगों की पीड़ा अनुभव हो सके। इसके लिए ग्राम प्रधान की ओर से जिलाधिकारी को यहां रात्रि विश्राम करने का न्योता भी दिया जाने वाला है।

Deepak Fulera

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