अद्वैत आश्रम, मायावती, जहां मनुष्य स्वयं को ईश्वरीय सत्ता से जोड़ देता है,महामनीषी स्वामी विवेकानंद जी ने यहां किया था एक पखवाड़े तक प्रवास

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जहां स्वर्ग की कल्पना धरती में साकार होती है, वह है अद्वैत आश्रम, मायावती l

गणेश दत्त पांडे,वरिष्ट पत्रकार लोहाघाट।

लोहाघाट(चंपावत)- संपूर्ण हिमालय श्रृंखला में प्रकृति ने कुछ स्थानों को अपनी विविध एवं विपुल सौंदर्य वृद्धि के लिए सृजित किया है यह स्थान सौंदर्य की दृष्टि से ऐसे सुसज्जित है, जहां अब मानवीय प्रयासों की कोई आवश्यकता नहीं है l किन्तु प्रकृति के इस सुंदरतम स्थान में यदि किसी महापुरुष के चरण पड़ जाते हैं तो यह स्थान दिव्य एवं तीर्थ बन जाते हैं l लोहाघाट से 9 किलोमीटर तथा पैदल मार्ग से लगभग 5 किलोमीटर दूर मायावती एक ऐसा स्थान है जहां आज से लगभग 123 वर्ष पूर्व एक युगांतरकारी घटना के रूप में दिव्य महापुरुष स्वामी विवेकानंद जी के चरण पड़े थे l संपूर्ण काली कुमाऊं क्षेत्र उनके चरणरज से कृतार्थ हो गया था l स्वयं उस युगपुरुष स्वामी विवेकानंद जी की परिकल्पना भी साकार हो उठी थी, जो कल्पना उन्होंने सेवियर दंपति के साथ अगस्त 1896 में स्विट्जरलैंड में अल्प्स पर्वत को देखकर अभिव्यक्त की थी कि “हिमालय के दृश्य एवं लोग मुझे दृढ़ निश्चयी बनाने की प्रेरणा देते हैं और मैं हिमालय में एक ऐसा मठ स्थापित करने के लिए लालायित हूं जहां अपने कार्य से विश्राम लूँ और जीवन का अंतिम समय ध्यान में बिता दूँ साथ ही यह स्थान भारतीय एवं पाश्चात्य शिष्यों के लिए साथ रहने व कार्य करने का भी होगा l”

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कैप्टन सेवियर और स्वामी स्वरूपानंद जी के प्रयासों से यथार्थ अद्वैत आश्रम, मायावती के रूप में सामने आया l हिमालय के उतुंग शिखर जैसे आंगन में आ गए हो l सघन वनों से आच्छादित यह स्थान कालांतर में अद्वैत आश्रम मायावती के नाम से प्रसिद्ध हो गया l
प्रबुद्ध भारत जैसी विश्व प्रसिद्ध प्रतिष्ठित पत्रिका जो अल्पावधि के लिए मद्रास एवं अल्मोड़ा से प्रकाशित होती थी l बाद में यही से प्रकाशित होने लगी l स्वामी जी ने इस आश्रम के आदर्श पर स्पष्ट रूप से कहा था कि “व्यक्तियों के जीवन के उदात्त और मनुष्य जाति को संप्रेरित करने के अभियान में इस सत्य को आदि स्मरण भूमि हिमालय के शिखरों पर इस अद्वैत आश्रम की स्थापना कर रहे हैं, यहां एकमात्र शुद्ध, सरल, एकत्व सिद्धांत के अतिरिक्त कुछ नहीं पढ़ाया जाएगा और व्यवहार में लाया जाएगा और सभी दर्शनों से पूर्ण सहानुभूति होते हुए भी यह आश्रम अद्वैत केवल अद्वैत के लिए समर्पित होगा”


9 दिसंबर 1900 को यूरोप से बेलूर पहुंचने पर उन्हें अपने प्रिय सेवियर की मृत्यु का समाचार मिला l स्वामी जी ने तुरंत मायावती जाने का निश्चय किया अंत में अनेकों मौसम संबंधी कठिनाइयों को सामना करते हुए बर्फ के कारण कड़ाके की ठंड के बीच 3 जनवरी 1901 को स्वामी जी मायावती पहुंच गए l तब से ही यह स्थान अद्वैत की साधना का विश्व विख्यात केंद्र बन गया l स्वामी जी की इच्छा अनुसार मायावती में कोई मंदिर नहीं है यहां किसी मूर्ति, चित्र अथवा प्रतीक की शास्त्रों में बताई गई विधि से पूजा अर्चना नहीं होती है l विशुद्ध अद्वैत भाव के प्रति समर्पित होते हुए भी वेदांत की इस प्रकार की पूजा विधियों के प्रति सहानुभूति पूर्वक सम्भाव रखा जाता है क्योंकि इस प्रकार की पूजा अर्चना आदि जन सामान्य के लिए उपयोगी एवं हितकर है किंतु जहां तक वेदांत का प्रश्न है यह विशेष रूप से अद्वैत वेदांत प्रत्येक वस्तु अथवा प्राणी में परमात्मा के दर्शन करने का उपदेश देता है तथा किसी जाति, धर्म, संप्रदाय के भेद को न मानते हुए सभी के प्रति प्रेम व सेवा का पाठ सीखाता है क्योंकि सबके भीतर और सबके रूप में एकमात्र परमात्मा हर पल विद्यमान रहता है l अद्वैत एवं इस शाश्वत शक्ति का अभ्यास, साधना प्रचार एवं क्रियान्वयन ही इस आश्रम का मुख्य उद्देश्य है l

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इस आश्रम द्वारा विश्व विख्यात अंग्रेजी मासिक पत्रिका प्रबुद्ध भारत का संपादन पिछले 123 वर्षों से अविरल किया जा रहा है l आश्रम से ज्ञान प्राप्त कई विद्वान एवं स्वामी समय-समय पर धर्म एवं स्वामी जी की भाव धारा के प्रचार हेतु भारत तथा विदेशों में जाते रहते हैं l पिथौरागढ़ एवं चंपावत जिलों में शैक्षिक एवं आध्यात्मिक उन्नति हेतु समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं “शिव ज्ञान से जीव सेवा” के उद्देश्य से आश्रम का अभिन्न भाग मायावती धर्मार्थ अस्पताल है जहां दीन दुखियों के अतिरिक्त समाज के सभी वर्गों के मरीजों की चिकित्सा एवं निदान भी मुफ़्त एवं बड़े मनोयोग के साथ किए जाते हैं l सन 1903 से एक डिस्पेंसरी के रूप में शुरू हुई यह डिस्पेंसरी आज एक भव्य अस्पताल के रूप में बदल गई है जहां कुशल एवं अनुभवी डॉक्टर एवं मृदुभाषी स्टाफ की सेवा से मरीज यहां पहुंचते ही अपने आप को मानसिक रूप से स्वस्थ मानना शुरू कर देते हैं l अद्वैत आश्रम के वर्तमान अध्यक्ष स्वामी शुद्धिदानन्द जी महाराज के दिशा निर्देशन में चिकित्सालय के प्रभारी स्वामी एक देवानंद जी महाराज द्वारा इस अस्पताल के जरिए जो सेवा की जा रही है, ऐसी मिसाल उत्तराखण्ड में कहीं देखने को नहीं मिलेगी l

व्यक्ति के उथान एवं मोक्ष के लिए होना चाहिए राष्ट्र का निर्माण

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स्वामी विवेकानंद पीजी कॉलेज के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष एवं स्वामी जी की अमृतवाणी से विशेष रूप में युवाओं एवं आम जनमानस को प्रभावित करते आ रहे डॉ. प्रकाश लखेड़ा का कहना है कि जिस राष्ट्र में व्यक्ति हर दृष्टि से मजबूत एवं सक्षम होते हैं वह राष्ट्र व्यक्ति के उत्थान एवं मोक्ष का माध्यम स्वयं बनने लगते हैं l स्वामी जी की इसी अवधारणा से आज भारत बदलता जा रहा है लोगों की मानसिकता व सोच में लगातार आ रहा बदलाव एक शुभ संकेत है।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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