चंपावत; बदहाल होती जा रही है उपजिला चिकित्सालय लोहाघाट की हालत,क्षेत्रीय विधायक खुशाल सिंह अधिकारी ने भी विधानसभा में उठाया था मुद्दा

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मनोज कापड़ी, संवाददाता, लोहाघाट।

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लोहाघाट(चंपावत)- लोहाघाट उप जिला चिकित्सालय की हालत लगातार बदहाल होती जा रही है। एक समय था जब इस अस्पताल की ओपीडी कुमाऊं के अस्पतालों में सर्वाधिक हुआ करती थी। लेकिन आज यहां डाक्टरों की भरमार होते हुए
कुप्रबंध के चलते चिकित्सालय के डॉक्टरों व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ के वेतन में लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद भी लोगों को चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।

कहने को यहां रेडियोलॉजिस्ट, नेत्र सर्जन निश्चेतक ,बालरोग विशेषज्ञ अस्थि रोग विशेषज्ञ, समेत एक दर्जन डॉक्टर कार्यरत है। नेत्र सर्जन के लिए चिकित्सा उपकरण उपलब्ध न किए जाने से अभी तक एक भी नेत्र ऑपरेशन नहीं हुए हैं ।हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अमरीश कुमार यहां कार्यभार ग्रहण करने के बाद अवकाश पर चले गए थे ।फिलहाल उन्होंने एक बार फिर अपना काम शुरू कर दिया है।

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सर्जन डॉक्टर कुलदीप खड़ायत यहां सर्जिकल सामान न होने के कारण बिना वेतन के अवकाश पर चले गए हैं ।यदि यहां सभी डॉक्टर तैनात किए जाए तो इसका लाभ लोहाघाट ही नहीं पार्टी, बाराकोट ब्लॉकों के अलावा जिले की सीमा से लगे नैनीताल के ओखल कांडा अल्मोड़ा के लमगड़ा, पिथौरागढ़ जिले के सरयू घाटी से जुड़े गांव के लोगों को भी चिकित्सा सुविधाएं मिलती
हालांकि विधायक खुशाल अधिकारी के कड़े तेवरों को भापकर सीएमओ डॉक्टर केके अग्रवाल ने यहां जिले के अन्य स्थानों से चार डॉक्टरों को लोहाघाट उप जिला चिकित्सालय में संबंध तो कर दिया है। किंतु यह डॉक्टर सीएमओ के आदेश का कितना पालन करते हैं यह तो समय ही बताएगा।

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बहरहाल क्षेत्रीय विधायक अधिकारी ने आप जन स्वास्थ्य पर कड़ा रुख अपना लिया है ।वह अब लोगों को मौजूदा हालत में छोड़ने के मुड में कतई नहीं हैं।उनका कहना है कि जिला योजना में चिकित्सा उपकरणों के लिए पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था की गई है ।यदि यहां डॉक्टरों को चिकित्सा उपकरण नहीं मिलते हैं। तो इसके लिए सीएमओ जिम्मेदारी से नहीं बच सकते हैं। श्री अधिकारी के अनुसार बिना वेतन के अवकाश पर गए सर्जन डॉक्टर कुलदीप को तत्काल बुलाकर उनकी डिमांड के अनुसार चिकित्सा सामग्री उपलब्ध की जाए साथ ही अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए भी चिकित्सा सामग्री उपलब्ध कराकर आम लोगों को राहत दी जाए तथा उनका यह भी कहना है कि सभी रोगियों का स्थानीय स्तर पर ही उपचार किया जाना चाहिए।

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