चंपावत: आजादी के बाद ऐसा पहला लोकसभा चुनाव जहां सियासी दल सुस्त आमजन खामोश लेकीन जिला प्रशासन दिख रहा चुस्त,आरोप प्रत्यारोप की प्रशासन को नहीं मिली कोई शिकायत

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चंपावत(उत्तराखंड)- आजादी के बाद 18 वीं लोकसभा के लिए लोगों ने पहली बार ऐसा चुनाव देखा जिसमें प्रशासनिक मशीनरी चुस्त एवं राजनीतिक दल सुस्त पड़े रहे। प्रशासन की टीमों ने जहां घर-घर जाकर लोगों को मतदान के लिए जागरुक करने के लिए डोर टू डोर संपर्क किया । वहीं राजनीतिक दलों के गांव में झंडा ,बैनर, पोस्टर कहीं नहीं दिखाई दिए।

राजनीतिक दलों की सुस्ती का आलम यह रहा कि भाजपा के स्टार प्रचारक के रूप में लोहाघाट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, टनकपुर में सीएम धामी ने रैली निकाली। कुछ देर के लिए भाजपा जिला अध्यक्ष व काबिना मंत्री सौरव बहुगुणा लोहाघाट आए, जबकि पार्टी प्रत्याशी ने भी क्षेत्र में बहुत कम समय दिया। इसके विपरीत इस बार कांग्रेस का तो कोई स्टार प्रचारक इन इलाकों में आया ही नहीं। अकेले विधायक अधिकारी पार्टी की कमान संभाले हुए हैं ।

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पिछले 17 लोकसभा चुनाव के लिए वोट देते आ रहे शिक्षक मोती सिंह मेहता का कहना है कि उन्होंने आज तक ऐसा चुनावी माहौल नहीं देखा जिसमें पक्ष व विपक्ष ने चुनावी शोर न करने का समझौता किया हुआ है। पुलिस द्वारा लगभग 13 लाख रुपए मूल्य के नशीले पदार्थ बरामद किए तथा जिले को जोड़ने वाले आठ स्थानों में लगे बैरियरों में खामोशी के साथ पुलिस अपना कार्य करती रही । कहीं से तू-तू मैं-मैं की भी नौबत नहीं आई और न हीं पुलिस व प्रशासन को आरोप प्रत्यारोपों की कोई रिपोर्ट मिली है।

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यही नहीं आज तक चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोई दुर्घटना भी नहीं हुई है। सबसे बड़ी विशेषता यह भी रही है कि जहां डीएम नवनीत पाण्डेय ने अधिकांश मतदान केन्द्रों का स्वयं निरीक्षण कर उन क्षेत्रों की ज्वलन्त समस्याओं का अध्ययन किया है, वहीं सेक्टर मजिस्ट्रेटों ने भी यही कार्य किया जो चुनाव के बाद जिला प्रशासन को अपनी रिपोर्ट देंगे। चुनाव के बहाने मतदान केन्द्रों, जिनमें अधिकांश विद्यालय हैं। वहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव दूर हो गया है। पहली बार मतदान केन्द्रों में जल मित्र व प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ता को भी तैनात किया गया है। जिले के ओर-छोर से क्षेत्रीय उपेक्षा को लेकर चुनाव बहिष्कार के जो स्वर गूंज रहे थे, जिलाधिकारी द्वारा स्वयं हस्तक्षेप कर उन्हें शांत करने के साथ लोगों को शत प्रतिशत मतदान के लिए प्रेरित किया गया। यह सब कुछ इतनी खामोशी के साथ हो रहा है जिसमें कहीं भी न पुलिसिया अंदाज अपनाना पड़ा न प्रशासनिक हथकंडा।

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Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 18 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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