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लोहाघाट(चंपावत)- इसे जनप्रतिनिधियों की अदूरदर्शिता कहें या सिस्टम का दोष, लोहाघाट में जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में प्रशिक्षण लेने के लिए सभी आवश्यक संसाधन एवं सुविधाएं उपलब्ध होने के बावजूद भी यहां के बच्चे 122 किलोमीटर दूर डीडीहाट डायट में प्रशिक्षण लेने के लिए विवश हैं।
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दरअसल लोहाघाट डायट को मान्यता देने के लिए एनसीटीई द्वारा वर्ष 2015 में पैनल निरीक्षण किया गया, जिसमें यहां बहुउद्देशीय भवन न होने पर आपत्ति लगाई गई थी। बाद में यहां मानक से कहीं अधिक बड़ा बहुउद्देशीय भवन बनकर तैयार हो गया, जिसकी सूचना बाकायदा एनसीटीई को दे दी गई। दो बार उत्तराखंड के शिक्षा सचिव द्वारा इस बारे में लिखा भी जा चुका है, लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया है, जबकि डीएलएड पाठ्यक्रम में प्रशिक्षण लेने के लिए प्रतिवर्ष यहां चयनित 50 छात्र-छात्राओं को आवंटित किया जाता रहा है।
मजे की बात यह है कि इन बच्चों के प्रशिक्षण के लिए लोहाघाट डायट में सभी संसाधन तथा स्टाफ आदि उपलब्ध है, जिस पर भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष भारी-भरकम धनराशि खर्च की जा रही है। यही नहीं एक सप्ताह पूर्व स्वयं सीएम धामी द्वारा चंपावत में लोहाघाट डायट में प्रस्तावित पांच करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले छात्रावास का बाकायदा शिलान्यास भी किया जा चुका है। क्षेत्रीय सांसद अजय टम्टा के लोहाघाट दौरे के दौरान उन्हें लोगों द्वारा पुनः ज्ञापन देकर अवगत कराया कि एनसीटीई द्वारा सरकारी संस्थाओं को दी जाने वाली रियायतों का लाभ देते हुए प्रशिक्षण की व्यवस्था लोहाघाट डायट में कराने की व्यवस्था की जाए। सांसद टम्टा ने इस संबंध में व्यक्तिगत रुचि लेकर यहां के छात्र छात्राओं को लोहाघाट डायट में ही प्रशिक्षण की सुविधाएं देकर उन्हें राहत देने का आश्वासन दिया है।
अब देखना यह है कि जनप्रतिनिधि इस दिशा में कितना प्रयास कर पाते हैं।
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