देवीधुरा(चंपावत)- देवीधुरा वाराही धाम में विगत पाँच दिनों से चल रहे विशाल विश्वकल्याण महायज्ञ का पूर्णाहुति के साथ संपन्न हो गया। महायज्ञ के प्रणेता एवं मुख्य यजमान हीरा बल्लभ जोशी द्वारा विश्व में सुख शांति समृद्धि के लिए आहुतियां दी गई वही चार खामों के प्रतिनिधियों गहड़वाल खाम के त्रिलोक सिंह बिष्ट की ओर से उनके भतीजे दीपक बिष्ट, चम्याल खाम से गंगा सिंह चम्याल, वालिक खाम से बद्री सिंह बिष्ट एवं लमगड़िया खाम की ओर से वीरेंद्र लमगड़िया ने क्षेत्रीय लोगों के उज्जवल भविष्य एवं मां वाराही की सब पर कृपा बनी रहे की भावना के साथ आहुतियां दी।
मुख्य अनुष्ठान आचार्य प्रकाश पांडेय, विजय पांडेय, मनोज पांडेय, दीपेश पांडे,दीपक जोशी, प्रकाश जोशी, धीरज पांडे, उमेश पांडे, मनोज पांडे, राजू जोशी, दीपक पुजारी, कमल लोहनी, कमल तिवारी, योगेश जोशी, हरीश तिवारी समेत मंदिर कमेटी के मुख्य संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगड़िया सहित सी हॉक ग्रुप के चेयरमैन नरेंद्र लडवाल, हिम्मत सिंनग्वाल तथा विभिन्न गांवों के मंदिरों के पुजारियों द्वारा भी यहां आहुतियां दी गई। यह कार्यक्रम भारत सरकार में सेवारत वित्त नियंत्रक हीरा बल्लभ जोशी एवं मंदिर कमेटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया जिसमें हजारों लोग शामिल हुए।
बाद में व्यासपीठ से कथावाचक आचार्य प्रकाश पांडे द्वारा सभी को आशीर्वाद दिया गया उन्होंने व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए कहा जहां सद्बुद्धि एवं सदविचार होते हैं, तभी भगवान ऐसे जनकल्याणकारी कार्यक्रमों को आयोजित करने की प्रेरणा देते हैं। यहां प्रतिदिन विशाल भंडारा आयोजित किया गया। प्रथम दिन का भंडारा नैनीताल बैंक के पूर्व प्रबंधक डी सी लोहनी दूसरे दिन शिक्षक गिरीश सिंह, तीसरे दिन चार खाम सात थोक, चौथे दिन व्यापार संघ देवीधुरा एवं पांचवे तथा अंतिम दिन स्वयं कार्यक्रम के आयोजक हीरा बल्लभ जोशी द्वारा भंडारा आयोजित किया गया जहां हजारों लोगों ने प्रसाद स्वरूप भोजन ग्रहण किया।
जब स्वयं भगवान इंद्र देव ने यज्ञ का किया अभिषेक
देवीधुरा। कहा जाता है कि वाराही धाम में जो व्यक्ति जिस भावना से आता है उसे उसका प्रतिफल मिलता है। आज जिस श्रद्धा के साथ यहां महायज्ञ में विश्व कल्याण के लिए आहुतियां दी जा रही थी उसी वक्त सारा बाराही धाम वर्षा से तरबितर हो गया। ऐसा लग रहा था मानो ऊपर से इंद्र भगवान महायज्ञ का जलाभिषेक करने स्वयं आ गए हों। पुराणों के अनुसार यदि महायज्ञ के बीच में वर्षा होती है तो इसे यज्ञ की पूर्ण सफलता माना जाता है। लोगों का मानना था कि महायज्ञ से मां बाराही प्रसन्न हो गई है इसे वे अच्छा संकेत मानते हैं।