लोहाघाट(चंपावत)- क्षेत्रीय उपेक्षा एवं सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं न मिलने से गुस्साए ग्रामीणों द्वारा लोकसभा चुनाव का बांयकाट करने के जिले के ओर – छोर से उठ रहे आक्रोश के स्वर जिलाधिकारी नवनीत पांडे द्वारा स्वयं हस्तक्षेप करने के बाद न केवल लोगों का गुस्सा शांत हो गया है बल्कि लोगों के चेहरों में भविष्य की मुस्कान देखी गई है। लोगों को पक्का यकीन भी होने लगा है कि वह दूर नहीं जब उनके यहां भी नया सवेरा आएगा।
जिलाधिकारी ने जिले के ओर – छोर का दौरा कर जहां उन्होंने लोगों से सीधा संवाद कर अपने आत्मीय व्यवहार से उनमें अपनत्व एवं विश्वास का भाव पैदा कर उन्हें समझाया जा रहा है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में वोट का बहिष्कार किसी समस्या का समाधान नहीं है बल्कि गांव के लोगों को शत प्रतिशत वोट देकर अपने जनप्रतिनिधि को ऐसा संदेश देना चाहिए कि वह चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले आपके गांव जाकर आपकी बात सुनेंगे।
जिलाधिकारी पांडे ने सरयू नदी घाटी से जुड़े शील बरूडीं, नैत्र, सलान, अमरवा सेरा, मऊ, पुनियाल आदि गांव में लंबी पैदल दूरी तय कर ग्रामीणों के बीच सीधा संवाद किया। आजादी के बाद किसी जिलाधिकारी को पहली बार अपने बीच पाकर गुस्साए लोगों को इस बात पर संतोष हुआ कि उनकी कठिनाइयों को जब जिलाधिकारी द्वारा स्वयं महसूस किया गया है तो निश्चित तौर पर उनके अच्छे दिन आने वाले हैं। पहली बार यहां के लोग अपने यहां किसी जिलाधिकारी से न केवल आत्मीयता से रूबरू हुए बल्कि उनकी सादगी व सरल स्वभाव से इतने प्रभावित हुए कि उनका कहना था कि हालांकि ग्रामीणों की नाराजगी उन्हें यहां दुर्गम क्षेत्र में खींच लाई है, इसी बहाने उन्हें उनसे सीधा संवाद करने का अवसर भी मिला है। अब चुनाव बांयकाट का उनका निर्णय क्षेत्र से सर्वाधिक वोटिंग करने का हो गया है।
ग्राम प्रधान मीना देवी, सलान के प्रधान रतन सिंह, भारत सिंह आदि लोगों ने जिलाधिकारी का भावपूर्ण स्वागत किया। डीएम ने यहां मतदान केंद्र गायकाज्यूला सहित कई केंद्रों का निरीक्षण कर वहां सभी जरूरी सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उनके साथ बाराकोट के वीडियो एवं सेक्टर मजिस्ट्रेट एल एल वर्मा, क्षेत्रीय पटवारी दीपा कालाकोटी, बीएफटी मनोज तिवारी, हरीश जोशी आदि लोग थे।
साथ चलने वाले कर्मिको के लिए रोज घर से भोजन लाते हैं, डीएम
जिले के लोगों को पहली बार ऐसे डीएम से रूबरू होने का मौका मिला है जो स्वयं अपने लिए ही नहीं अपने साथ चलने वाले स्टाफ के लिए अपने कमरे से रोज 10 – 12 लोगों के लिए भोजन बनाकर ले जाते हैं। डीएम का कार्यभार संभालने के बाद इन्होंने वीआईपी कल्चर पूरी तरह समाप्त कर राजस्व एवं अन्य विभागों को बड़ी राहत दी है। डीएम पाण्डेय उन्हें समारोह में मिलने वाले सभी उपहारों को इन्ही लोगों में बांट देते हैं। यहां लोगों का कहना है कि ईमानदार डीएम तो उन्होंने पहले भी देखें है लेकिन ऐसा कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार तो पहली बार देखा।