महिलाओं के संघर्षमय जीवन की जटिलताओं को कम करना बताया मुख्य उद्देश्य
चंपावत(उत्तराखंड)- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की धर्मपत्नी गीता धामी ने अपने तीन दिनी चंपावत दौरे में महिलाओं के संघर्षमय जीवन की जटिलताओं को कम करने के प्रयासों का नजदीक से अध्ययन करने, अपने सरल, आत्मीय स्वभाव से महिलाओं में अपनी अच्छी पैठ बना गई है। बुजुर्गों के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेने, उनसे आंचलिक भाषा में बात करना, उनके घर का हाल-चाल पूछना, उनकी समस्याओं का गंभीरता से विचार कर कई समस्याओं का स्थानीय पर हल निकालने की स्टाइल से गीता महिलाओं में काफी चर्चित एवं लोकप्रिय बन गई हैं। हालांकि वह अपने पति के साथ कइ दफा यहां आती रही हैं किंतु तब वह लक्षण रेखा से बाहर नहीं निकल पाती थी। इस दफा उनका दौरा पूरी तरह अकेले था तथा महिलाओं के बीच उन्होंने बैनी, दीदी, काखी, आमा कह कर संबोधित करने एवं उनकी यादों को कैमरे में कैद कर अपने साथ ले जाने की अदाकारी से महिलाओं को भरोसा हुआ है कि उनकी भी कोई सुध लेने वाला है।
गीता धामी का कहना है कि एक महिला होने के नाते महिलाओं का दर्द उनसे अधिक कौन जानता है ? मैं महिलाओं के काम के बोझ को कम करने, हर गोठ में उन्नत नस्ल की गाय बांधने के अलावा महिला स्वयं सहायता समूह के जरिए उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रही है। एनसीडीसी योजना को व्यवहारिक बनाकर महिलाओं को 75% अनुदान में उन्नत नश्ल कि गाए उपलब्ध कराने की दिशा में मजबूत पहल की जाएगी।
गीता का मानना है कि जिले में पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, साहसिक पर्यटन, दुग्ध उत्पादन, मछली पालन मुर्गी पालन बेमौसमी सब्जियों आदि की यहां की अपार संभावनाएं हैं। जिस पर शासन स्तर से कई कार्य शुरू भी हो गए हैं। अब आधुनिक ज्ञान विज्ञान से खेत को माध्यम बनाकर इंटीग्रेटेड फार्मिंग को बढ़ावा देने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। पर्यावरण प्रेमियों के लिए अद्वैत आश्रम मायावती का पंचायती जंगल ऐसा उदाहरण है जहां जैव विविधता, वन्यजीव संरक्षण के अलावा यहां का घना जंगल न केवल पर्यावरण परिवर्तन को थामे हुआ है बल्कि किस प्रकार आश्रम के संतों के प्रयासों से मामूली धन खर्च कर जंगल को सुरक्षित व संरक्षित करने की ऐसी मिसाल कायम की गई है, इसे देखने हर किसी को आना चाहिए।
गीता ने मायावती आश्रम में प्रवास कर उस स्थान में ध्यान किया जहां 122 वर्ष पूर्व स्वामी विवेकानंद जी ने यहां ध्यान किया था। उन्होंने आश्रम को धरती का स्वर्ग बताते हुए कहा कि यहां के धर्मार्थ चिकित्सालय द्वारा नर को नारायण मानकर जो गरीबों की सेवा की जा रही है, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को युगावतार बताते हुए उन्होंने कहा कि उनके चरण जहां भी पढ़ते हैं वह स्थान तीर्थ बन जाता है। उत्तराखंड का आज तक जितना मोदी जी ने भ्रमण किया उतना आजादी के बाद किसी अन्य पीएम ने नहीं किया। उन्होंने आशा व्यक्त की की निकट भविष्य में पीएम मोदी स्वामी विवेकानंद जी के चरण पढ़ने से धन्य हुई मायावती आश्रम की माटी का तिलक लगाने यहां अवश्य आएंगे।
उन्होंने अपने भ्रमण के दौरान पाया कि मोदी जी का यहां का प्रस्तावित दौरा एकाएक रद्द होने से लोग काफी मायूस हुए हैं। लेकिन उन्हें निराश नहीं होना चाहिए प्रधानमंत्री जी ने स्वयं यहां आने की इच्छा व्यक्त की है जबकि दो बार मुख्यमंत्री जी द्वारा उन्हें मायावती आने के लिए आमंत्रित किया गया था।