मनोज कापड़ी,संवाददाता,लोहाघाट।
लोहाघाट(चंपावत)- सीएम धामी के सपनों का चंपावत को मॉडल जिला बनाने के लिए जिले में दुधारू पशुपालन, मुर्गी पालन, कृषि बागवानी,मौसमी सब्जियों, जड़ी-बूटी उत्पादन, मौन पालन, मत्स्य पालन, फूलों की खेती के लिए लोहाघाट के कृषि विज्ञान केंद्र को ऐसा मॉडल रूप दिया जाना चाहिए जिससे जिले के किसान यहां से प्रेरणा लेकर अपने यहां कुछ नया कर स्वयं को रोजगार से जोड़ सकें। यहां इंटीग्रेटेड फार्मिंग के साथ वर्टिकल फार्मिंग के मॉडल बनाए जाने चाहिए जिससे कम जोत वाले किसान इस तकनीक को अपना सकें।आज के समय में वर्टिकल फार्मिंग की ज्वलंत आवश्यकता बन गई है। प्रतिवर्ष किसान लौकी,खीरा ,करेला, फ्रासवीन आदि वेल वाली सब्जियों के उत्पादन के लिए एक ही परिवार द्वारा दर्जनों छोटे पेड़ काटे जाते हैं जिन्हें वर्टिकल फार्मिंग से रोका जा सकता है।
केवीके में इसका भी मॉडल बनाकर किसानों को लोहे के स्टैग, जाली आदि उपलब्ध की जानी चाहिए।यहा खेतों की जुताई के लिए पावर टिलर भी नहीं है,ट्रैक्टर आदि बाबा आदम के जमाने का है। एडवांस हाइटेक पोलीहाउस की जहां तात्कालिक आवश्यकता है मशरूम स्पान एवं कमपोस्ट यूनिट भी यहां कि महत्वपूर्ण आवश्यकता है जिससे इस कार्यक्रम को और बढ़ावा मिल सके।
डीएम नरेंद्र सिंह भंडारी द्वारा केंद्र का दौरा करने के बाद उन्होंने यहां सिंचाई सुविधाएं देने के लिए नलकूप की आवश्यकता पर बल दिया था उनका कहना था कि बगैर सिंचाई सुविधा के केंद्र में कृषि बागवानी का मॉडल नहीं बन सकता।वर्तमान में यहां बरसाती पानी के संग्रह से ही काम चलाया जा रहा है। ड्रिप इरिगेशन को बढ़ावा देने का भी मॉडल यहां बनाया जाना चाहिए। जिले में मौन पालन की अपार संभावनाओं को देखते हुए यहां मौन पाल का भी प्रशिक्षण दिया जाए,जिससे बाहरी जिलों में जाने की निर्भरता समाप्त हो सके।
केन्द्र मे किवी की नर्सरी तैयार की जा रही है जिसके और विस्तार की आवश्यकता है।किवी पौधों के लिए टि वार सिस्टम का यहां कोई मॉडल नहीं है।मत्स्य पालन, फूलों की खेती, स्थानीय जलवायु में होने वाली जड़ी बूटियों की प्रदर्शन ईकाइया भी यहां नहीं है। कुछ माह पूर्व सुबे के ग्रामीण विकास सचिव डॉ पुरुषोत्तम द्वारा अपने चार दिनी चंपावत जिले के दौरे के दौरान काफी महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए थे उन सुझावों को कार्यरूप देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र को सशक्त एवं मॉडल बनाया जाना जरूरी है इसके लिए जिला योजना में पर्याप्त धन की व्यवस्था की जानी चाहिए। यदि जिला योजना में होने वाले फिजूल खर्चो को रोका जाए तो इस धनराशि से इस केन्द्र को मॉडल रूप दिया जा सकता है।