देवीधुरा(चंपावत)- बाराही धाम में शुक्रवार को बज्र बाराही की भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें दिल्ली, लखनऊ, बरेली, हल्द्वानी समेत स्थानीय हजारों लोगों ने मां का जयकारा करते हुए शोभायात्रा में भाग लिया। रात भर नंदघर में दीपक हाथ में रखकर निःसंतान महिलाओं ने मां बज्र बाराही की आराधना की। सुबह आंखों में पट्टी बांधकर बागड़ जाति के व्यक्ति द्वारा ताम्रपिटारी में विद्यमान मां बाराही, मां सरस्वती एवं मां काली को दूध से स्नान कराकर उन्हें नए परिधान, आभूषण ग्रहण कराए गए। ऐसी मान्यता है कि मां बज्र बाराही में इतना तेज है कि उन्हें खुली आंखों से देखने पर नेत्र ज्योति चली जाती है।
मंदिर के पीठाचार्य कीर्ति शास्त्री, संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य भुवन जोशी, आचार्य गोकुल जोशी ने पूजा अर्चना कराई। बग्वाल के दूसरे दिन से ही नंदघर में चारों खामों के लोग वहां मौजूद थे। बाद में मां का स्नान कराने के बाद बैरख़ के महराओं के प्रतिनिधि हर सिंह मेहरा को सौंपा गया। इसके बाद खोलीखांड़ दुबाचौड़ मैदान में पहुंचने के बाद गहड़वाल खाम के भूपाल सिंह को सौंपा गया। इसके बाद यहां से मां की शोभायात्रा मुचकंद ऋषि के आश्रम के लिए शुरू हुई, जहां सात बार डोले की परिक्रमा की गई। मालूम हो कि मुचकंद ऋषि को चिरनिद्रा का वरदान मिला था। इनके द्वारा काल भैरव संग्राम में देवताओं का साथ दिए जाने के कारण मां बाराही ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि वह बग्वाल के दूसरे दिन स्वयं यहां आकर उन्हें दर्शन देंगी।
परिक्रमा के बाद डोला यात्रा पुनः उसी मार्ग से होते हुए नंदघर पहुंची, जहां पहले से ही मौजूद चारों खामों के मुखियाओं की मौजूदगी में तांबे की पिटारी में विराजमान मां को मुख्य मंदिर में स्थापित कर दिया गया। शोभायात्रा में जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय, दिल्ली से आए दिनेश जोशी, लखनऊ से आए एडवोकेट चेतन भैया आदि प्रमुख लोग शामिल हुए। मंदिर कमेटी के मुख्य संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगड़िया के अनुसार शोभायात्रा में कम से कम पचास हजार लोगों ने भाग लिया। इसके बाद भीड़ व्यापारिक गतिविधियों में जुट गई। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस का तगड़ा बंदोबस्त किया गया है। खोलीखांड-दुबाचौड़ मैदान में महिलाओं द्वारा आकर्षक झोड़ों का गायन किया गया।
मेले में इस बार झोड़ों के गायन की व्यवस्था को पुनर्जीवित किया गया है। मेले का आयोजन जिला पंचायत द्वारा किया जा रहा है, जिसमें मंदिर कमेटी के अलावा चारखाम सातथोक के लोग अपना पूरा सहयोग दे रहे हैं।