बनबसा(चम्पावत)- देश व प्रदेश में भले ही दिव्यांगों के कल्याण व उनके जीवन को आसान बनाने हेतु सरकारों द्वारा तमाम योजनाएं को संचालित किया गया हो।लेकिन दिव्यांगों के कल्याण हेतु बने नियम व योजनाओं को खुद देश का सबसे बड़ा महकमा पलीता लगता दिख रहा है।हम बात कर रहे है रेलवे विभाग की जिसके द्वारा चम्पावत जिले के बनबसा चन्दनी निवासी 70 प्रतिशत विकलांग देव सिंह को आश्रित पेंशन हेतु तीन साल मुरादाबाद मंडल कार्यालय के चक्कर लगाने के बाद यह पत्र जारी कर मायूस व हताश कर दिया कि वह अपनी आजीविका चलाने हेतु सक्षम है।इसलिए उसे आश्रित पेंशन नही दी जा सकती।रेलवे विभाग के फैसले से टूट चुके दिव्यांग देव सिंह जहां बेहद मायूस है वही वह अब प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपने अधिकार प्राप्ति हेतु न्याय की गुहार लगा रहे है।
हम आपको बता दे कि बनबसा चन्दनी निवासी देव सिंह जहां जन्म से ही दिव्यांग है।वही उन्हें चम्पावत जिला मेडिकल बोर्ड से 70 प्रतिशत दिव्यांगता का प्रमाण पत्र भी प्राप्त हुआ है।दिव्यांग देव सिंह ने बेबाक उत्तराखण्ड के समक्ष अपनी पीड़ा बया करते हुए बताया कि उनके पिता रेलवे आरपीएफ के कर्मचारी रहे थे।दिव्यांग होने के चलते वह पूर्ण रूप से अपने माता पिता पर आश्रित थे।वही उनके पिता का देहांत जहां 2006 में हो गया था।वही उनकी माता भी 2013 में कैंसर के चलते चल बसी।उनके दोनों भाई भी बेरोजगार है जिसके चलते वह अपने परिवार का भरण पोषण भी बमुश्किल कर पाते है।
वही इस दौरान उन्हें पता चला की जिन दिव्यांग के माता पिता सरकारी सेवा में हो अगर उनका देहांत हो जाये तो दिव्यांग को अपने जीवन को चलाने हेतु सरकार आश्रित पेंशन जारी करती है।इस सूचना के बाद दिव्यांग देव सिंह द्वारा 2017 से आरपीएफ मुरादाबाद मंडल में कागजी कार्यवाही शुरू की गई।