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देहरादून(उत्तराखंड)- डा. बी सी कर्नाटक ने उत्तराखंड के नए पशुपालन विभाग के निदेशक का कार्यभार ग्रहण कर लिया है। इससे पूर्व यह कुमाऊं के अपर निदेशक, पशुपालन रहे हैं। डा. प्रेम कुमार के निदेशक पद से 30 जून को सेवानिवृत्त होने के बाद यह पद रिक्त हुआ है।
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डा. कर्नाटक की छवि एक ईमानदार एवं काम करने वाले अधिकारी के रूप में बनी हुई है। मूल रूप से बागेश्वर जिले के किसान परिवार में जन्मे डा. कर्नाटक का इरादा दुधारू पशु पालन को बढ़ावा देने के लिए वर्गीकृत वीर्य पद्धति को बढ़ावा देकर 90 फ़ीसदी उन्नत नस्ल की बछिया तैयार कर दुग्ध उत्पादन को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्त माध्यम बनाकर उत्तराखंड की यूपी पर दूध की निर्भरता समाप्त करना है। प्रारंभिक चरण में पशुओं में फैली लंपी वायरस को नियंत्रित कर पशुओं का सामूहिक रूप से टीकाकरण करने के साथ अनिवार्य दुधारू पशु बीमा योजना पर उच्च स्तर पर विचार करेंगे। डा. कर्नाटक ने बताया कि ऐसी व्यवस्था की जाएगी जिससे सुदूर गांवों तक पशुपालकों को कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा देने के साथ जहां-जहां बद्री गाय हैं, उनका संरक्षण कर उनके दूध के साथ गोमूत्र को भी क्रय किए जाने की योजना बनाई जाएगी।
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डा. कर्नाटक का मानना है कि उत्तराखंड में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए हर व्यक्ति के गोठ में उन्नत प्रजाति की गाय बांधने के लिए लोगों को प्रेरित कर प्रत्येक जिले में पशुपालन विभाग व डेयरी विभाग के बीच सहयोग व समन्वय पैदा किया जाएगा। जिससे दूध का उत्पादन बढ़ाने के साथ उसकी खपत के भी प्रयास किए जाएंगे। डा. कर्नाटक ने बताया कि चंपावत जिले की तर्ज पर उत्तराखंड के अन्य पर्वतीय जिलों में भी दुधारू पशुपालन को विशेष रुप से प्रोत्साहित किया जाएगा।
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