आज भी शताब्दियों पूर्व की लोक परंपरा को जीवित रखे हुए हैं ग्वीनाड़ा क्षेत्र के लोग

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लोहाघाट(चंपावत)- पर्वतीय समाज में ईश्वरीय सत्ता पर लोगों का इतना विश्वास होता है कि व्यक्ति यह समझता है कि उसको जो कुछ मिल रहा है, वह सब कुछ ईश्वर की देन है। यहां कुल पुरोहित यजमान को आशीर्वाद देते हुए उसे धन-धान्य से पूर्ण होने का आशीर्वाद देते हुए कहते हैं कल्याणमस्तु शुभमस्तु सुकीर्तिरस्तु । दीर्घायुरस्तु, गोवाज्य,धनधान्य समृद्धिरस्तु।

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गांव में कोई भी नई फसल पैदा होगी तो इसका सबसे पहले भोग लोक देवता को चढ़ाया जाता है। इसी प्रकार गाय के ब्याहने पर 21 दिन बाद उसका दूध व घी देवता को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। ग्वीनाड़ा के पूर्णेश्वर महादेव मंदिर में आज गेहूं की कटाई के बाद उसका पहला भोग भगवान को लगाया गया। किसी भी घर में कोई भी खेत से नई वस्तु आती है तो इसका सबसे पहले भोग भगवान को ही लगाया जाता है,जिसे स्थानीय भाषा ल्वांग चढ़ाना कहा जाता है।

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आज ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के अवसर पर ग्वीवाड़ा,संतोला,गैरी,बयोली आदि गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से भोग लगाया। मंदिर के पुजारी हरीश तिवारी ने मंत्रोच्चारण के साथ भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद सभी गांवों के घर-घर पहुंचाने को कहा। यहां बिना भोग के कोई भी उत्पाद पहले ग्रहण नहीं करते हैं। मंदिर में प्रतिमाह पुजारी की अदला-बदली होती रहती है।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 18 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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