चंपावत(उत्तराखंड)- हरेला पर्व के बारे में शताब्दियों पूर्व से हमारे पूर्वजों ने जो परिकल्पना की थी उसका सही मायने में साकार रूप आज देखने को मिला। वैसे इस वर्ष जून माह में पड़ी भारी गर्मी एवं जगह-जगह पैदा हुए जल संकट ने इस दफा पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों की चेतन को अंदर से जगाते हुए यह प्रकृति ने सिग्नल भी दे दिया था कि यदि अभी नहीं चेते तो, जिनके लिए सब कुछ कर रहे हो उन्हें एक बूंद प्यास बुझाने के लिए भी पानी नहीं मिलेगा। ऐसी चेतना के बीच जिलाधिकारी नवनीत पांडे ने जिले के ओर छोर में पौधारोपण के लिए जो एक माह पूर्व से ही कार्य योजना बनाकर बाकायदा नियोजित ढंग से इसमें जिले की आम इकाई को भागीदार बनाने की जो नई पहल की गई थी, ऐसा हरेला पर्व मैं पहले कभी नहीं देखा गया जिसमें गड्ढों को पहले से ही तैयार कर वहां नियुक्त नोडल अधिकारियों एवं उनके सहयोगियों की मौजूदगी में बाकायदा विशेषज्ञ की उपस्थिति में लोगों द्वारा पौधारोपण कर उसकी सुरक्षा का भी संकल्प लिया।
90 वर्षीय बसंती आमा के अनुसार जंगल तो हमारे मायके रहे हैं इनके संरक्षण की मुहिम देखकर मेरी उम्र बढ़ गई है। सात वर्षीय पप्पू ने अपने पिता दीवान के साथ अपनी मां के नाम पर पौधा लगाया।
पौधे लगाने के पीछे हर व्यक्ति का अपना दृष्टिकोण देखा गया। इस धरती में लाने वाली मां के नाम पर तो एक पेड़ सबने लगाया इसके अलावा जीवन भर पालने वाली धरती माता के अलावा लोगों ने जन कल्याण के लिए भी पौधे लगाए। आईटीबीपी, एसएसबी के जवानों सभी कर्मचारी अधिकारियों ने तो चंपावत जिले में अपनी स्मृति में भी बहुत पौधे लगाए हैं। हरेला पर्व पर नियोजित तरीके से पौधारोपण की व्यवस्था किए जाने के कारण डी एम नवनीत पांडे के प्रयासों को लोगों ने खूब सराहा।
चंपावत के मुडियानी गांव से शुरू हुआ वृक्षारोपण का कार्यक्रम गांव गांव तक पहुंचा। पाटन पाटनी गांव में मां झूमधुरी के चरणों में आज सघन वृक्षारोपण किया गया। बीडीओ अशोक अधिकारी द्वारा यहां बृहत वृक्षारोपण का कार्यक्रम संयोजित किया गया था। जिलाधिकारी ने सभी स्थानों में अपनी उपस्थिति दी जहां बुजुर्ग महिलाओं ने उनका हरेले से पूजन कर उन्हें आशीर्वाद दिया। यह पहला मौका है जब हर उम्र के लोगों के अलावा महिलाओं ने इसमें अपनी बढ़ चलकर भागीदारी की।
ऑक्सीजन बैंक बनाने हेतु एसपी अजय गणपति के प्रयास भी हुआ शुरू
चंपावत पुलिस अधीक्षक अजय गणपति ने जिले के ओर छोर में ऑक्सीजन बैंक तैयार करने के लिए 24 घंटे ऑक्सीजन देने वाले पीपल के पौधों का रोपण किया। एस पी के अनुसार यह कार्यक्रम निकट भविष्य में भी चलता रहेगा जिसमें पीपल के अलावा अन्य पौधों का भी रोपण किया जाएगा।ताकि प्रकृति संरक्षण के साथ ऑक्सीजन को वातावरण में प्रचुर मात्रा में वृक्षों द्वारा प्रवाहित किया जा सके।