पिता की चाय की दुकान से उत्तराखंड के उप नेता प्रतिपक्ष बनने का सफर,संघर्ष,समर्पण, योग्यता से राजनीतिक सफलता की सीढ़ी चढ़ रहे देवभूमि उत्तराखण्ड के उभरते युवा राजनेता के राजनीतिक सफर से आप भी हो रूबरू

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खटीमा(उत्तराखंड)- हर सफलता के पीछे एक कड़ा संघर्ष, कड़ी मेहनत, अपने कार्य के प्रति समर्पण व आगे बढ़ने का जज्बा होता है। जिसकी बदौलत ही जीवन पथ पर आप सफलता के सोपान चढ़ पाते है। आज हम बेबाक उत्तराखंड पर ऐसे ही युवा नेता व खटीमा के विधायक भुवन कापड़ी की संघर्स से सफलता की कहानी से रूबरू करा रहे हैं।जिसके बारे में शायद ही आप जानते हो। 2022 विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी को खटीमा विधानसभा से लगभग 7000 वोटों से हराने वाले युवा विधायक भुवन कापड़ी को कांग्रेस आलाकमान द्वारा उत्तराखण्ड का उप नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के बाद खटीमा में एक बार फिर उत्साह का माहौल है।ओर हो भी क्यों ना खटीमा का एक बेटा प्रदेश का जहां मुख्यमंत्री है तो अब एक बेटा उप नेता प्रतिपक्ष के पद से सुशोभित किया गया है।

भुवन कापड़ी,विधायक खटीमा व उप नेता प्रतिपक्ष उत्तराखंड

भुवन कापड़ी के छात्र राजनीति से विधायक बनने व अब उप नेता प्रतिपक्ष पद प्राप्त करने के पीछे जीवन के संघर्ष , समर्पण की उस अनसुनी कहानी को आज हम आपके सामने लाये है। जिसके बारे में प्रदेश की आवाम शायद ही जानती हो।मात्र 41साल की उम्र में एक राष्ट्रीय पार्टी प्रत्यासी के रूप में प्रदेश के मुख्यमंत्री को हराने वाले खटीमा के युवा कांग्रेसी नेता भुवन कापड़ी ने रविवार को उत्तराखंड का उप नेता प्रतिपक्ष बन उत्तराखंड के भविष्य के नेता के रूप में अपने कदम बड़ा दिए है।

खटीमा विधायक भुवन कापड़ी के सफलता के पीछे जो संघर्ष की कहानी है उस पूरी स्टोरी से आज हम आपको रूबरू कराने जा रहे है। आप भी उसे अवश्य जानना चाहेंगे।विधायक खटीमा भुवन खटीमा के एक बेहद सामान्य ब्राह्मण परिवार में वर्ष 1980 को जन्मे।मूल रूप से पिथौरागढ़ जनपद निवासी भुवन कापड़ी अपने पिता के चार बच्चो में दूसरे नंबर की संतान है।भुवन ने अपना प्रारम्भिक जीवन अभाव की स्थिति में गुजारा है।पिता स्वर्गीय एन डी कापड़ी जहां 80 से 90 के दशक में खटीमा के कंजाबाग तिराहे में चाय की दुकान चलाते थे।वही भुवन बचपन मे अपने पिता की चाय की दुकान में हाथ बंटाने के साथ अपनी पढ़ाई को भी करते थे।बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के भुवन पढ़ाई में बेहद अच्छे छात्र रहे।साइंस के स्टूडेंट रहे भुवन हाई स्कूल के बाद ही स्कूली बच्चो को कोचिंग क्लासेस देकर अपने पढ़ाई के खर्चे को खुद वहन करने लगे थे।

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भुवन ने छात्र राजनीति की शुरुवात एनएसयूआई कार्यकता के रूप में जहां शुरू की।वही भुवन 2001 से लेकर वर्ष 2004 तक एनएसयूआई छात्र संगठन के जिला महामंत्री रहे। वही वही भुवन छात्र राजनीति के सिरमोर तब बने जब उनके साथियों ने उन्हें वर्ष 2004-5 में हुए छात्र संघ चुनाव में खटीमा डिग्री कॉलेज से छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ाया। मृदभाषी व छात्रों में अच्छी पकड़ रखने वाले भुवन भारी मतों से छात्र संघ का चुनाव जीतकर हेमवती नंदन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय खटीमा के छात्रसंघ अध्यक्ष बने। इसके उपरांत भुवन वर्ष 2006 से लेकर 2009 तक एनएसयूआई के प्रदेश सचिव के पद पर रहे।जिस दौरान अपने प्रदेश भर में छात्र संगठन एनएसयूआई को मजबूत करने का काम किया। इसी दौरान भुवन कापड़ी ने वर्ष 2008 में खटीमा के थारू विकास भवन प्रदेश स्तरीय एसटी/ एससी सम्मेलन का भी आयोजन कराया। जिसमें स्वयं राहुल गांधी शिरकत करने खटीमा पहुंचे थे।

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इसके उपरांत भुवन कापड़ी ने प्रदेश की छात्र राजनीति से प्रदेश के अन्य राज्यों में भी कदम रखा। वर्ष 2010 में भुवन कापड़ी के द्वारा आंध्र प्रदेश व छत्तीसगढ़ में एनएसयूआई के चुनाव भी सफलतापूर्वक संपन्न कराए गए।

इसके बाद छात्र राजनीति से भुवन कापड़ी ने युवा कांग्रेसी नेता के रूप में 2013 में अपनी दमदार दस्तक दी। जब उन्होंने नैनीताल लोकसभा युवा कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पद के चुनाव को जीत कर अपना परचम लहराया। भुवन 2013 से लेकर 17 तक नैनीताल लोकसभा के युवक कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर आसीन रहे। इस दौरान उनका पीचे युवाओं में अपनी अच्छी पैड बनाने का काम किया। वही विधायक भुवन कापड़ी वर्ष 2017 तक युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे।साथ ही भुवन कापड़ी को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा खटीमा मंडी समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया।जिसमे कापड़ी वर्ष 2013से 2017तक आसीन रहे।

2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आलाकमान ने उनका पड़ी की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें खटीमा विधानसभा से विधायक पद का प्रत्याशी बनाया। जिस चुनाव में उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए निवर्तमान विधायक पुष्कर सिंह धामी को कड़ी टक्कर दी। हालांकि इस चुनाव में वह मात्र 2708 वोटों से चुनाव हार गए। लेकिन इसके बावजूद भी वह प्रदेश में कांग्रेस की सक्रिय राजनीति में अपना योगदान देते रहे। इसके चलते कांग्रेस आलाकमान द्वारा उन्हें 2020 में प्रदेश महासचिव व 2021 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।

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2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस आलाकमान ने उनका पर भरोसा जताते हुए उन्हें खटीमा विधानसभा से दोबारा कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया। जिसमें भुवन ने भाजपा के सीएम चेहरे बनाए गए खटीमा से भाजपा प्रत्याशी प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लगभग 7000 वोटों से शिकस्त देने का काम किया।भुवन कापड़ी की जमीनी मेहनत व युवा नेता के रूप में लोकप्रियता का इसी से पता चलता है की प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए भी पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा चुनाव में उनके आगे नही टिक पाए।

खटीमा के विधायक भुवन कापड़ी द्वारा लंबे समय से कांग्रेस को मजबूत करने के लिए की गई मेहनत व मुख्यमंत्री को हराने के बाद उनकी राजनीतिक प्रतिभा को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान द्वारा उन्हें पहली बार में ही विधायक बनने के बाद उपनेता प्रतिपक्ष जैसे अहम पद से नवाजा गया। भुवन कापड़ी को कांग्रेस आलाकमान द्वारा जिस तरह प्रदेश में मजबूती प्रदान की जा रही है वह भुवन को उत्तराखंड के भविष्य के मजबूत नेता के रूप में तैयार करने का काम कर रहे हैं। वही खटीमा सहित प्रदेश के सीनियर कांग्रेस लीडर को विश्वास है कि भुवन ने जिस संघर्ष समर्पण मेहनत के साथ कांग्रेस पार्टी के लिए काम किया है। वह भविष्य में उत्तराखंड में कांग्रेस को नई दिशा में ले जाने का कार्य करेंगे। साथ ही वह प्रदेश के एक ब्राह्मण चेहरे के रूप में राजनीति की नई ऊंचाइयों को छुएंगे।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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