एनसीडीसी योजना में जिला स्तर से गाय खरीदने पर किसानों को मिलेगा वास्तविक लाभ। दूध का उपार्जन बढ़ने के साथ गौपालन को भी मिलेगा प्रोत्साहन

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लोहाघाट(चंपावत)- एनसीडीसी नेशनल को ऑपरेटिव डेरी कॉरपोरेशन के तहत अब उत्तराखंड के जिलों से ही गायों की खरीद किए जाने की व्यवस्था लागू की जाती है, तो इससे वास्तव में दूध का उत्पादन बढ़ने लगेगा। दरअसल आज तक इस योजना के तहत सामान्य व्यक्ति को 50 फ़ीसदी तथा अनुसूचित जाति व महिलाओं को गाय खरीदने पर 75 फ़ीसदी अनुदान दिया जाता है। योजना की ऐसी शर्त रखी गई है कि गाय को बाहरी राज्यों से खरीदना अनिवार्य किया गया है। योजना का क्रियान्वयन इतना घातक साबित हुआ कि बाहरी राज्यों से यहां लाई गई गायें जो वहां 15 लीटर दूध देती थी, पहाड़ में लाते ही उनका दूध घटकर 4 लीटर तक रह गया। यही नहीं तमाम ऐसी गायें भी थी, जो वहां से लाने के एक-दो माह में ही मर गई।

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इसकी वजह यह है कि एक तो गायों की एकदम आबोहवा ही बदल जाती है। इनके लिए न तो हरा चारा ही खाने को मिलता है, न ही वैसी गौशालाये और चैप कटर से कटी घास ही मिलती है। गौशालाओं की स्थिति ऐसी है कि या तो वह गोमूत्र व गोबर से सनी रहती है या ऐसी उबड़ खाबड़ होती है कि गाय सही ढंग से बैठ भी नहीं पाती हैं। इस व्यवस्था में तमाम ऐसी खामियां भी रही हैं कि जो गायें बाहरी राज्यों से 40 व ₹50 हजार में खरीद कर लाई गई थी, वह गायें यहां ₹30 हजार में आसानी से मिल जाती हैं। चंपावत जिले में योजना के तहत डेयरी विभाग द्वारा लगभग 300 गायें क्रय की जा चुकी हैं, जिसमें तमाम तो मर चुकी हैं। जिससे दूध का उत्पादन तो दूर किसान कर्ज के बोझ से दब गए हैं। यही नहीं यह योजना लाभ के बजाय न तो दूध का उत्पादन बड़ा पाई और न ही किसानों का भला कर पा रही है। इस योजना में गायों की खरीद में कमीशन लेने देने की भी काफी चर्चाएं काफी पहले से ही चल रही हैं।

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सीएम धामी के मॉडल जिला चंपावत के दौरे पर आए खाद्य एवं आपूर्ति सचिव बृजेश कुमार संत के संज्ञान में यह बात लाए जाने पर वहां उपस्थित डीएम नरेंद्र सिंह भंडारी ने भी माना कि वास्तव में मौजूदा व्यवस्था के तहत किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। जब तक योजना के तहत स्थानीय स्तर पर गायें क्रय नहीं की जाती तब तक किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद नहीं की जा सकती। खाद्य सचिव ने इस मुद्दे को सीएम के सम्मुख रखने की बात कही है। इस योजना में किसानों के लिए अच्छी गौशालाओ का निर्माण अनिवार्य किया जाना चाहिए। हाल ही में केंद्रीय सरकार की ओर से लंपी वायरस की स्थिति का जायजा लेने आई टीम ने गांव का दौरा करने पर पाया कि यहां गौशालाओं की स्थिति बेहद खराब है, जिसे ठीक किए बिना गायों से अच्छा दूध प्राप्त नहीं किया जा सकता।

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योजना का स्वरूप बदलने से मिलेगा वास्तविक लाभ

लोहाघाट। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष नवीन का करायत का कहना है कि यदि योजना के तहत गायें स्थानीय स्तर से खरीदी जाती हैं, तो इससे किसानों को काफी लाभ मिलने के साथ दूध का उत्पादन भी बढ़ेगा। इसका असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।

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Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 18 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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