खटीमा(उत्तराखंड)- उत्तराखंड बाल कल्याण साहित्य संस्थान और साहित्य अकादमी के द्वारा श्याम वीर सिंह ‘चातक’ के आवास पर आयोजित कवि गोष्ठी में खटीमा और आसपास के उपस्थित कवियों ने विविध प्रकार की कविताओं से रस की वर्षा की । कवि गोष्ठी की अध्यक्षता डॉक्टर रूपचंद शास्त्री “मयंक” ने की और विशिष्ट अतिथि खंड शिक्षा अधिकारी भानू प्रताप कुशवाहा और पीलीभीत के अनिल कुमार शुक्ला “अनिल” रहे ।
सर्वप्रथम कवि रामरतन यादव ने अपनी सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
त्रिलोचन जोशी ‘टी सी गुरु’ ने अपनी कविता काम बहुत बेकार किया है, हम दोनों ने प्यार किया है सुनाई तो वहीं राम रतन यादव ने हम जाति पाति के पंथों का मतभेद मिटाने वाले हैं कहकर आपसी सद्भावना बढ़ाने की बात कही।विशिष्ट अतिथि भानु प्रताप कुशवाहा ने अपनी कविता कहते हो मुस्कराहट का भी बंटवारा कर लें, कब किसके साथ मुस्कुराना है, इसका वसीयत नामा कर लें, छोड़ो न, चलो मिलकर माहौल खुशनुमा कर लें सुनाया ।
वहीं शांति देवी शांति ने मुझे गर्व है मुझे गर्व है, मुझे भारत वर्ष पर गर्व है सुना कर देश भक्ति का भाव जगा दिया।श्याम वीर सिंह चातक ने शक पर कविता सुनाते हुए कहा कि हां मैं तुम पर शक करता हूं आओ तुम को शक समझाऊं सुनाकर वाहवाही बटोरी तो पीलीभीत के कवि अनिल कुमार शुक्ल ‘अनिल’ ने गांधी तेरे देश में मचा हुआ कोहराम कहकर देश की हालात को बयान किया।डॉक्टर नीलम पाण्डेय ‘नीलिमा’ ने धन पर अपनी कविता धन दौलत सुख की परिभाषा, धन चंचल मन की अभिलाषा सुना कर तालियां बटोरी।
वहीं बसंती सामंत ‘बसंती’ ने अपनी कविता सोचा आज कुछ लिखूं बलात्कार पर, फैल रहे इस विकृत विकार पर कहकर समाज की दशा पर चिंतन को मजबूर कर दिया। पीलीभीत के गीतकार कवि सत्यपाल सिंह ‘सजग’ ने अपने गीत उत्सव का माहौल है पूर्ण हुए अरमान,आया है परिवार में एक नया मेहमान सुनाकर श्रोताओं को गदगद कर दिया।
शायर तकी हनफी ने अपने निराले अंदाज में मैने तो तेरे वास्ते क्या क्या नहीं किया, तूने नजर बिगाड़ के अच्छा नहीं किया सुनाया तो वहीं डॉक्टर हाजी इलियास सिद्दीकी ने अपनी गज़ल इश्क के मकतब में जिसका दाखिला हो जाएगा, बिन पढ़े ही देखना वह क्या से क्या हो जायेगा सुनाकर खूब शाबाशी बटोरी।
रवींद्र पाण्डेय ‘पपीहा’ ने अपना दोहा कुछ यूं प्रस्तुत किया धन और दौलत के चक्कर में जीवन हुआ तमाम,जीवन धन को न पहचाना बनता बुद्धिमान, सुनाया तो अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ ने अपनी कविता घुमाकर बात को कहना शरीफों की नजाकत है सुनाई तो वहीं
आकांक्षा जोशी ने अपनी कविता संस्कृति, सभ्यता, आदर्श, रीति, सब पीछे छूट रहे,आधुनिकता की दौड़ में,कहाँ जा रहे?क्या खो रहे,क्या पा रहे? सुनाया।
उत्तराखण्ड बाल कल्याण साहित्य संस्थान खटीमा के अध्यक्ष डॉक्टर महेन्द्र प्रताप पाण्डेय “नन्द” ने प्रियवर शीत की ऋतु है आई,पानी ठंड ठंड बहु लागत मुश्किल रोज नहाई पद सुनाकर हास्य का माहौल बना दिया।कवि गोष्ठी में आकाश प्रभाकर, नूर मोहम्मद नूर ने भी अपनी कविताओं का पाठ किया और सबको आनंदित किया।अंत में काव्य गोष्ठी के आयोजक कवि श्याम वीर सिंह “चातक” सभी कवि जनों को उनके आवास पर आयोजित आयोजित काव्य गोष्ठी में पहुंच बेहतरीन रचनाओं से सभी को आनंदित करने हेतु सभी का आभार व्यक्त किया।