प्रेरणादाई खबर: उत्तराखंड के दशरथ मांझी केसर सिंह, लोहे की छड़ से नदी का सीना चीर दस सालो के मैराथन प्रयास से रोक डाला गांव का भू कटाव,आप भी पढ़िए आखिर कौन है उत्तराखंड का दशरथ मांझी

ख़बर शेयर कर सपोर्ट करें
बेबाक उत्तराखंड यू ट्यूब चैनल सब्सक्राइब करे..

बनबसा(चंपावत)- आज हम आपको उस व्यक्तित्व से रूबरू करा रहे है जो पूरे उत्तराखंड के लिए प्रेरणादाई है।हम बात कर रहे है चम्पावत जिले के चंदनी गांव निवासी केसर सिंह की,जिन्होंने अपने गांव को हड्डी नदी के भू कटाव से बचाने के लिए एक लोहे की छड़ के बूते बीते 10 सालों के मैराथन प्रयास से नदी व गांव के बीच आधा किलोमीटर लंबी पत्थर की दीवार खड़ी कर डाली है। दिन में 4 से 5 घंटे नदी से पत्थर निकाल भू कटाव रोकने के लिए लगातार बीते 10 सालों से केसर सिंह प्रयास कर रहे हैं। चम्पावत जिले के बनबसा निवासी केसर सिंह के निस्वार्थ भाव से किया जा रहा काम आज पूरे उत्तराखंड के लिए प्रेरणादायक है।

अपने देश में माउंटेन मैन के नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी का नाम आपने सुना होगा, जिन्होंने अपने गांव में रास्ता बनाने के लिए 20 सालों के मैराथन प्रयास से पहाड़ को छीनी व हथौड़ी से काटकर सड़क बना डाली थी। आज हम ऐसे ही पहाड़ जैसी शख्सियत जो कि उत्तराखंड के चंपावत जिले के चंदनी गांव में निवास करती है उसकी प्रेरणादाई कहानी से आपको रूबरू करा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विधानसभा के चंदनी गांव निवासी केसर सिंह उर्फ केसर दा की। जिन्होंने बीते 10 सालों में गांव के ही बगल से बहने वाली हड्डी नदी के भू कटाव को रोकने के लिए एक लोहे की छड़ के बूते आधा किलोमीटर लंबी पत्थर की दीवार गांव के मुहाने पर खड़ी कर अपने गांव को नदी के भू कटाव से बचा डाला। उनके इस प्रयास के बूते ही आज गांव में नदी के पानी घुसने की समस्या भी बंद हो गई है। केसर सिंह का यह मैराथन प्रयास आज भी अनवरत जारी है।केसर सिंह धूप बरसात या जाड़े हर मौसम में सुबह व शाम पांच से 6 घंटे लोहे की छड़ से हड्डी नदी का पत्थर निकालकर गांव के मुहाने पर पत्थर की दीवार बनाने का काम करते हैं। इस काम को केसर सिंह निस्वार्थ भाव से बीते 10 सालों से लगातार कर रहे हैं। उनके इस मैराथन प्रयास का असर दिखने भी लगा है।

केसर सिंह की इसे जीवटता ही कहेंगे कि एक इंसान ने अकेले के बूते बिना किसी मदद के एक लोहे की छड़ के बल पर अपने गांव को बरसाती हुड्डी नदी के भू कटाव से बचाने का सराहनीय काम किया है। जिस काम को आज तक राज्य गठन के बाद से सरकारी तंत्र तमाम मशीनरी होने के बाद भी नहीं कर पाया। केसर सिंह के अकेले के दम पर अपने गांव को बचाने के लिए किए गए इस प्रेरणादाई सराहनीय कार्य के बावजूद राज्य सरकार का ध्यान केसर सिंह पर आज तक फिलहाल नही जा पाया है। केसर सिंह ने अपने गांव को हड्डी नदी के बचाव से कटाव से बचाने के अलावा आर्मी केंट एरिया के किनारे से बहने वाले आर्मी नाले के कटाव को भी पत्थर की दीवार लगा आर्मी केंद की भूमि को कटाव से बचाया है।केसर सिंह के अनुसार वह यह काम निस्वार्थ भाव से बीते दस सालो से अनवरत अपने गांव को नदी के भू कटाव से बचाने के लिए कर रहे है।

यह भी पढ़ें 👉  खटीमा: हाथों में बेड़ियां और पैरों में जंजीर बांधकर कांग्रेसियों ने किया ट्रंप और मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन,भारत के गौरवशाली इतिहास को शर्मसार करने वाली घटना- बॉबी राठौर

वही बीते 10 सालों से लगातार केसर सिंह के द्वारा अपने गांव को भू कटाव से बचाने के लिए किए जा रहे निस्वार्थ कार्य के स्थानीय लोग भी कायल हैं। बनबसा की पूर्व ग्राम प्रधान व जिला पंचायत सदस्य विमला सजवान, ग्राम प्रधान चंदनी ,बनबसा अनिल प्रसाद व स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम प्रकाश भट्ट केसर दा के इस महान काम की प्रशंसा करते नहीं थकते हैं।वही समस्त जनप्रतिनिधि व स्थानीय लोग केसर सिंह के इन प्रयासों को गांव के लिए वरदान मानते हैं। उनके अनुसार आज अगर उनके गांव में भू कटाव रुका है या गांव में हुड्डी नदी का पानी नहीं आ रहा है तो वह केवल व केवल केसर सिंह के व्यक्तिगत प्रयासों व जीवटता के दम पर हुआ है। समस्त स्थानीय प्रतिनिधि चाहते है की बनबसा क्षेत्र के निवासी प्रेरणादाई व्यक्तित्व को राज्य सरकार के द्वारा उन्हे बड़े स्तर पर जरूर पुरस्कृत करना चाहिए।ताकि केसर सिंह राज्य में अन्य लोगो के लिए भी प्रेरणा बन सके।

यह भी पढ़ें 👉  बनबसा: सशस्त्र सीमा बल ने पशु तस्करी रोकने में हासिल की बड़ी सफलता, गड़ीगोठ चेकपोस्ट पर विशेष अभियान के तहत कार्यवाही,पशु तस्करी का प्रयास विफल

फिलहाल विगत कई वर्षों से प्रशासनिक इकाई नदी के भू कटाव को रोकने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है। लेकिन उसके बावजूद भी सही कार्य योजना ना होने के चलते आजतक गांव का कटाव नहीं रोक पाया था। लेकिन एक ग्रामीण की जीवटता के चलते विगत 10 वर्षों से प्रतिदिन गांव को बचाने के लिए किए गए प्रयासों को आज सराहने की आवश्यकता है। केसर सिंह अपने कार्य की वजह से जहां पूरे उत्तराखंड के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकते हैं। वहीं स्थानीय लोग चाहते है केसर सिंह के इस निस्वार्थ काम का स्वयं सूबे के मुख्यमंत्री सम्मान करे। ताकि प्रदेश के अन्य लोगों को भी केसर सिंह की जीवटता के बारे में जानकारी मिल सके। साथ ही केसर सिंह से प्रेरणा ले प्रदेश के अन्य क्षेत्र के लोग आगे आ अपने गांव की समस्याओं के लिए आगे आ अन्य लोगो के लिए प्रेरणा बने।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

Related Articles