समय की ही तो बात है जब बंद सड़क को खोलने के लिए डीएम को चलाना पड़ा गैंटी और बेलचा,
लगातार 15 दिनों तक सड़क अवरुद्ध रहने से पैदा हो गई थी विषम परिस्थितियां

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गणेश दत्त पांडेय,वरिष्ट पत्रकार लोहाघाट।

चंपावत(उत्तराखंड)- समय की ही तो बात है जब टनकपुर -पिथौरागढ़ की लाइफ लाइन कही जाने वाली सड़क के एक पखवाड़े तक बंद रहने से यहां टोफियों के साथ चाय पीने की नौबत आ गई थी, तब लोगों को राहत देने के लिए स्वयं डीएम को सड़क में निकलकर बेलचा, फ़ावड़ा चलाना पड़ा। बात सितंबर 1993 की है।11-12 सितंबर को हुई भारी वर्षा के कारण टनकपुर -पिथौरागढ़ सड़क जगह-जगह टूट गई थी। तब आज के समय के बराबर साधन नहीं थे। सब काम हाथ से ही होता था। सारे ग्रामीण सड़क संपर्क एवं संचार साधन ध्वस्त हो गए थे। अवरुद्ध सड़क खोलने हेतु श्रमदान करने के लिए पिथौरागढ़ में स्वयं डीएम डॉ अनूप पांडे जो वर्तमान में भारत सरकार के चुनाव आयुक्त हैं, ने मोर्चा संभाला तो चंपावत क्षेत्र में एसडीएम विनोद राय ने। डीएम डॉ पांडे रोज 15 किलोमीटर सुबह पैदल चलना उनकी नियमित दिनचर्या में था‌।

डीएम के सुबह-सुबह सड़क पर पहुंचने से बीआरओ के अधिकारियों के पसीने छूटने लगे। सुबह डीएम के साइट में पहुंचने से बीआरओ के कमांडेंट भी दल बल के साथ आने लगे तथा स्थानीय लोग भी इस काम में मदद करने लगे। जब डीएम डॉ पांडे स्वयं मलवा हटाने के लिए जगह-जगह बिलचा, फावड़ा चलाने लगे तो सड़क खोलने के प्रयास में काफी तेजी आने लगी। लगातार सड़क बंद होने से मैदानी क्षेत्रों में आपूर्ति ठप पड़ गई तब डीएम द्वारा केंद्रीय गृह एवं रक्षा मंत्रालय को अवगत कराने के बाद सड़क को युद्ध स्तर पर खोलने के प्रयास शुरू हो गए।

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डीएम डॉ पांडे जब धौन पहुंचे तो वहां लोहाघाट -चंपावत क्षेत्र के सैकड़ों लोगों को सड़क खोलने में श्रमदान करते देख बीआरओ के अधिकारी खूना -बलाई के परिश्रमी एवं बहादुर लोगों के साहस के सामने सर झुकने लगे। जिस मलबे को हटाने की कोई हिम्मत नहीं कर रहा था इस गांव के लोगों ने उसे हटाकर अधिकारियों को अपना वाहन आगे ले जाने को कहा।

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डीएम के स्थान स्थान में बेलचा व फावडा़ चलाने से लोगों का जोश और उत्साह बढ़ता गया। आज भी टनकपुर पिथौरागढ़ सड़क बंद होने पर उस समय के लोग डीएम डॉ पांडे की कार्यशैली को याद करते हैं। जब मेन रोड खोलने के बाद ग्रामीण संपर्क मार्ग खोलने का काम शुरू हुआ तो धूंनाघाट – पाटी सड़क को खोलने में लोनिवि के अधिकारी एक माह का समय लगने की बात करने लगे तो डीएम पांडे ने 10 किलोमीटर के दायरे में दौड़ लगाकर क्षति का स्वयं आकलन शुरू किया, तब लोनीवि के ईई के एसएस जैन कुछ कदम आगे चलने पर हांपने लगे। डीएम के लौटने के बाद उसी ईई ने एक सप्ताह में रोड चालू करने की बात कही साथ ही यह भी कहा कि डीएम साहब के जोश एवं जुनून को देखते हुए उन्हें भी जोश आ गया है तथा वह हर हालत में एक सप्ताह में सड़क खोलकर लोगों को राहत देंगे।

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Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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