मेला आयोजन के नाम पर पैसा बटोरने के फेर में मेला आयोजन समिति की खो गई नैतिकता,
स्थानीय तहसील प्रशासन बना हुआ है मेले में चल रही जुएं की दुकानों पर मूक दर्शक
खटीमा(उधम सिंह नगर)- एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री सामाजिक बुराई नशे को 2025 तक देवभूमि से जड़ से मिटानें को लेकर संकल्पित नजर आ रहे है तो वही दूसरी सामाजिक बुराई जुएं को सीएम के गृह क्षेत्र में बीज निगम मैदान में आयोजित उत्तरायणी मेले में छोटे छोटे बच्चो के समक्ष परोसने का मेला आयोजन समिति कार्य कर रही है। लेकिन इस सबके बावजूद तहसील व पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बना नजर आ रहा है।
पूरे मामले के अनुसार कंजाबाग बीज निगम मैदान में कुमाऊं सांस्कृतिक उत्थान समिति द्वारा हर वर्ष की भांति उत्तरायणी के अवसर पर छः दिवसीय विशाल मेले का आयोजन किया गया है।मेला आयोजन मैदान में आयोजन समिति ने कपड़े, खिलौने, फूड सहित विभिन्न स्टॉलो को दर्शकों के लिए मैदान में सजाया है। लेकिन इन सबके अलावा सिर्फ और सिर्फ पैसा बटोरने के मंतव्य से मेला आयोजन समिति ने नैतिकता को ताक पर रख मनोरंजन के नाम पर चार से पांच जुएं की दुकानों को भी लगवाया गया है।जिन दुकानों में छोटे छोटे बच्चें दस, बीस, पचास, सौ के नोटो पर रिंग फेंक कर दांव लगाते नजर आ रहे है। संस्कृति संरक्षण को लेकर आयोजित उत्तरायणी मेले में जिस तरह से मनोरंजन के नाम पर जुएं की संस्कृति को नौनिहालो के समक्ष मेला क्षेत्र में परोसा जा रहा है, वह बेहद शर्मशार करने वाला विषय है।
एक तरह मेला क्षेत्र में मनोरंजन के नाम पर जुएं की खुली इन दुकानें में भारी संख्या में बच्चे व बड़े रिंग फेंक कर भारतीय मुद्रा को जीतने का खेल खेल रहे है।लेकिन मेला आयोजन की परमिशन देने वाले तहसील प्रशासन व पुलिस प्रशासन का ध्यान सार्वजनिक स्थलों पर जुएं को परोसती इन दुकानों की तरह जाता नही दिख रहा है। लेकिन मेला आयोजको की आड़ में मेला क्षेत्र में चल रही दुकानें खुलेआम मनोरंजन के नाम पर जुआं परोसकर नियमों का मखौल उड़ा रहे है।
खटीमा में एक ओर जहाँ पर्वतीय संरक्षण के पुरोधा साल में दो चार दिन मेला आयोजन कर वर्ष भर सुसुफ्त अवस्था में जहां चले जाते है, तो वही अपनी नैतिकता को भी मेला आयोजन हेतु ताक पर रख जुआ संस्कृति को बड़ावा देने का कृत्य कर ना जाने समाज को कौन सा संदेश देने का काम कर रहे है। फिलहाल सामाजिक बुराई जुआं, मेला आयोजन में मनोरंजन के नाम पर यूंही परोसा जाता रहेगा तो उन संगठनों पर भी सवाल उठने लाजमी है जो समाज से सामाजिक बुराइयों को मिटाने का दंभ भरते है।
फिलहाल उत्तरायणी कौतिक मेले में संस्कृति संरक्षण के नाम पर जुआं संस्कृति को परोसने का खेल मेला आयोजन समिति द्वारा खेला जा रहा है।लेकिन इस सबके बावजूद प्रशासन पुलिस की खामोशी बड़े सवाल खड़े कर रही है।उत्तरायणी मेला आयोजन में खटीमा क्षेत्र के बड़े बड़े नाम जुड़े होने के बावजूद नैतिकता के पतन की इस कदर गिरावट शर्मशार करने वाली है।फिलहाल मेला आयोजन में चल रहे इस अवैध कृत्य के खिलाफ प्रशासन की नजरे इनायत आखिर कब तक होगी यह देखने वाली बात होगी।