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आइटीबीपी के हिमवीरो ने सीमाओं की रक्षा के साथ पर्यावरण की सुरक्षा का उठाया बीड़ा
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लोहाघाट(चंपावत)- आईटीबीपी के जवानों ने सीमाओं की रक्षा के साथ पर्यावरण की सुरक्षा की मुहिम जारी रखते हुए नेपाल सीमा से लगे गोठिया फलांग की पहाड़ी को बांज, बुरांश, देवदार, काफल, उतिस, आदि पानी के पोषक एवं चारा प्रजाति के पौधों का रोपण कर उनकी सुरक्षा की भी जिम्मेवारी ली है। आइटीबीपी के नवागत कमांडेंट डीपीएस रावत ने वृक्षारोपण कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए लोगों को आगाह किया कि हमारे पूर्वजों ने बन, उपवन एवं महावन की अवधारणा से पेड़ों का संरक्षण कर उन्हें विरासत में नई पीढ़ी को जंगल देते आ रहे हैं।लेकिन इस विरासत से हमने लालच का भाव पैदा करने से हमारे वन क्षेत्र लगातार सिकुड़ते गए। यही वजह है कि आज बाढ़,भूस्खलन, जल स्रोतों के सूखने जैसी विभीषिका का मानव शिकार होता जा रहा है।
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यदि हमने वन संरक्षण और वृक्षारोपण को अपने जीवन की कार्यशैली में शामिल नहीं किया तो हम हरे-भरे जंगलों के स्थान पर भावी पीढ़ी के लिए नंगे पहाड़ और रेगिस्तान छोड़ जाएंगे। कमांडेंट ने बड़े ही मार्मिक अंदाज में कहा आईटीबीपी ने चंपावत जिले की नंगी पहाड़ियों को वनाच्छादित करने जैसा महान कार्य शुरू किया है।जिसमें इस वर्ष 20 हजार पौधों का रोपण किया जाना है जिसमें 14 हजार से अधिक पौधों का रोपण किया जा चुका है।उन्होंने पहाड़ों को धरती का स्वर्ग बताते हुए कहा इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि हम यहां की ठंडे पानी और स्वच्छ जलवायु को छोड़कर मैदानी क्षेत्रों में भीड़ का हिस्सा बनते जा रहे हैं।
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उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वह भले ही किसी भी क्षेत्र में कहीं भी कार्य करते हो लेकिन उन्हें अपने पूर्वजों की विरासत एवं मातृभूमि की माटी का तिलक लगाने के लिए अवश्य अपने घर में आवागमन जारी रखें।
इस अवसर पर सहायक सेनानी इंजीनियर सुखविंदर सिंह संधू,निo केदार सिंह, निo जी एल वर्मा निo लक्ष्मण सिंह निoआलोक कुमार के नेतृत्व में सैकड़ो हिमवीरों ने पौधारोपण किया रेंजर दीप जोशी ने तकनीकी मार्गदर्शन किया। वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण हेतु हिमवीरों के लिए अलग-अलग स्थान चयन किये गए है जिसमें प्रत्येक हिमवीर अपनी बटालियन एवं स्वयं अपनी व परिवार की स्मृति में पौधारोपण कर उनकी सुरक्षा का भी संकल्प लिए हुए हैं।
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