लोहाघाट: गूम गरसाड़ी एवं कनारी गांव के हर परिवार में हैं शिक्षक, जो बनाए हुए हैं शिक्षक की गरिमा एवं महिमा,पढ़ो और पढ़ाओ के आह्वाहन पर यहां पीढ़ी दर पीढ़ी शिक्षा को देते आ रहे हैं महत्व

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लोहाघाट(चंपावत)- शिक्षक दिवस आते ही पाटी ब्लॉक के गरसाड़ी स्कूल के पहले शिक्षक रहे प्रेम बल्लभ गहतोड़ी एवं जगन्नाथ गहतोड़ी के द्वारा शैक्षिक उन्नयन के लिए किए गए प्रयासों के लिए सबका मस्तक इन महामानवों के सामने झुक जाता है। 1960 के दशक तक पाटी ब्लॉक के लधिया घाटी क्षेत्र में एक भी विद्यालय नहीं था। शिक्षक गहतोड़ी समेत जगन्नाथ गहतोड़ी आदि लोगों ने गरसाड़ी स्कूल में जन सहयोग से 1962 में गांधी जूनियर हाई स्कूल की स्थापना की थी।

शुरुआती दौर में दोनों गहतोड़ी बंधुओं ने ठीक उसी तर्ज पर काम किया, जिस प्रकार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए महामना मदन मोहन मालवीय ने कार्य किया था। जूनियर हाई स्कूल खुलने से कोलूड़ा, रमक, मंगललेक, बालातड़ी, भुमवाड़ी, तलाड़ी, वार्षी, रीठा, बिगराकोट, गूम, जोगा बसान, पारस बटोलिया, रिखोली, ढोलीगांव गरसाड़ी आदि तमाम गांवों के बच्चे पढ़ने के लिए आने लगे। दोनों गहतोड़ी बंधुओं ने क्षेत्र में शिक्षा के प्रसार के लिए लोगों का पढ़ो और पढ़ाओ का आवाहन किया।

जगन्नाथ गहतोड़ी ने अपनी नेवी की सेवा छोड़कर अपने को पूरी तरह शैक्षिक उन्नयन में समाहित कर दिया। उनके द्वारा स्थापित जूनियर हाई स्कूल को 1978 में राज्य सरकार द्वारा अपने हाथ में लेकर इसे हाई स्कूल का दर्जा दिया गया तथा 14 वर्ष बाद 1992 में इसे राजकीय इंटर कॉलेज का दर्जा मिला।

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हाई स्कूल की शिक्षा लेने के बाद इन साधनहीन लोगों ने बीटीसी कर प्राइमरी शिक्षक बनने को अपनी प्राथमिकता दी। शिक्षक प्रेम बल्लभ गहतोड़ी के अनुसार सक्षम लोगों ने बाहर जाकर उच्च शिक्षा लेने के बाद ऊंचे मुकाम में पहुंचाना शुरू कर दिया। यही वजह है कि गूम, गरसाड़ी एवं कनारी गांवों में 70 से 80 फ़ीसदी लोग शिक्षक हैं। तमाम ऐसे परिवार हैं, जिनके यहां तीन से चार तक शिक्षक हैं। शिक्षक गहतोड़ी का कहना है कि यहां के लोगों में पढ़ने व पढ़ाने की इतनी ललक है कि सभी एक दूसरे का सहारा बनते चले गए। हालांकि क्षेत्र में शिक्षा की रोशनी देने वाले अधिकांश शिक्षक स्वर्ग में हैं, लेकिन आज भी उन्हें लोग सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। यहां के शिक्षकों की यह खूबी रही है कि वह शिक्षक के पेशे की गरिमा व महिमा को आज भी बनाए हुए हैं।

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Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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