लोहाघाट: मडुवे में छिपे पौष्टिक तत्वों की जानकारी तो हमारे पूर्वजों से चली आ रही है,पीएम मोदी द्वारा वैश्विक स्तर पर इसकी पहचान देने से अब मडुवे का बढ़ता जा रहा है उत्पादन

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मडुवे में ऐसे औषधीय गुण हैं कि इसका नियमित सेवन करने वाला व्यक्ति नहीं होगा बीमार

लोहाघाट(उत्तराखंड)- आज जिन मोटे अनाजों की पौष्टिकता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वैश्विक स्तर पर प्रचार व प्रसार कराया जा रहा है, इसकी पौष्टिकता की जानकारी तो पहाड़ के लोगों को पहले से ही थी तथा वे मडुवे आदि मोटे अनाजों का लगातार पीढ़ी दर पीढ़ी प्रयोग करते आ रहे हैं। व्यापारिक दृष्टि से भले ही मडुवा आदि की खेती लोग कम किया करते थे, लेकिन हर परिवार अपनी जरूरत के अनुसार इसे पैदा तो करते ही थे। भारत सरकार द्वारा मडुवे का 38.42 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से समर्थन मूल्य घोषित किए जाने के बाद अब इसका व्यापारिक दृष्टि से उत्पादन किया जाने लगा है। मडुवे की खरीद के लिए साधन सहकारी समिति चंपावत,कोट अमोड़ी, हरतोला,धूरा, सिमिया,मंच,सिप्टी, चांदमारी, खतेड़ा, धर्मघर, डुमडाई, दिगालीचौड, बांजगांव, रौलमेल,देवीधुरा, दूबड़,गोशनी चौड़ामेहता, बाराकोट, इंद्रपुरी,बापरू को क्रय केंद्र बनाया गया है।

चंपावत जिले में टनकपुर व बनबसा को छोड़कर शेष पर्वतीय भूभाग में मडुवे की खेती की जाती है। इस वर्ष अच्छा बाजार भाव मिलने एवं समय से वर्षा होने से इसका जिले में सात हजार मेट्रिक टन उत्पादन हुआ है, जो स्वयं में एक रिकॉर्ड है।
मडुवा व लाल चावल आदि पारंपरिक खेती को लगातार बढ़ावा देते आ रहे कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी हिमांशु जोशी के अनुसार मडुवे में फाइबर, कैल्शियम, प्रोटीन, वसा, खनिज प्राकृतिक रूप से मिलने के कारण यह बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है। सामान्य लोगों के लिए यह उनकी हेल्थ का ऐसा सुरक्षा कवच है कि इसके खाने वाला व्यक्ति कभी बीमार नहीं होगा। वर्तमान में कुछ काश्तकार जानकारी के अभाव में मडुवे को 20 से ₹25 प्रति किलोग्राम की दर से बाजारों में बेचकर अपना नुकसान कर रहे हैं। इसके लिए उत्पादकों को डोर-टू-डोर जाकर उन्हें जागरूक किया जा रहा है। अभी तक मात्र 20 कुंटल मडुवे की ही खरीद हुई है।

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जिलाधिकारी नवनीत पांडे द्वारा हर फोरम में मडुवे को किचन का महत्वपूर्ण आहार बनाए जाने पर लगातार जोर दिया जा रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रकाश बसेड़ा के अनुसार मडुवे मे चावल व गेहूं की तुलना में अधिक कैल्शियम रेशे बसा व प्रोटीन होने के कारण यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी काफी लाभदायक है। डा बसेड़ा का कहना है कि इसमें 72.5 कार्बोहाइड्रेट, 12.4 नमी, 7.1 प्रोटीन, 1.5 बसा, 2.8 खनिज,3. 7 रेशा 3.32 कैलोरी होती है। इसकी रोटी, हलवा, बिस्कुट, केक अन्य पहाड़ी व्यंजन बनाए जाते हैं।

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Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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