लोहाघाट: अंतिम सांसें गिनता जा रहा है लोहाघाट का रोडवेज डिपो,लगातार बसों की संख्या कम होने से डीपो के अस्तित्व के लिए पैदा हो गया है खतरा

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गणेश दत्त पांडे,वरिष्ट पत्रकार,लोहाघाट।

लोहाघाट(उत्तराखंड)- कुछ समय पहले की ही तो बात है जब चार दर्जन बसों के बेड़े को समेटे रोडवेज के लोहाघाट डिपो से स्थानीय ग्रामीण सड़क मार्गों के अलावा यहां से लंबी दूरी की बसें संचालित होने से यहां का बस अड्डा गुलजार रहता था, जिसके कारण इस सामरिक एवं सैन्य बाहुल क्षेत्र के लोगों को सुविधाएं मिलने के साथ सैकड़ों लोगों का पेट भी पलता आ रहा था। लेकिन अब सीमावर्ती क्षेत्र का महत्वपूर्ण यह बस डिपो अंतिम सांसें लेता जा रहा है। कुछ समय पहले तक यह डिपो उत्तराखंड में हर दृष्टि से टॉप पर रहता था। आज यहां मात्र 32 बसें रह गई हैं, जिसमें तीन बसें अपना निर्धारित सफर पूरा कर चुकी एक हफ्ते में सड़क से बाहर हो जाएंगी।

जबकि 19 ऐसी बसें हैं जो अपनी संचालन की सीमा पार कर दो माह के अंदर ऑफरूट हो जाएंगी, जिससे यहां की बसों की संख्या सिकुड़ कर मात्र दस रह जाएगी, जिससे आम लोगों को रोडवेज की सेवाओं से टापते तो रहना ही पड़ेगा। इससे शासन द्वारा बुजुर्गों, स्कूली छात्राओं, दिव्यांगों आदि को देय सुविधाएं भी सिमट जाएंगी। लोहाघाट ऐसा डिपो है जहां बसों के अभाव के कारण ग्रामीण सड़क मार्ग में कोई बस सेवा नहीं चलती है। आज जबकि सीएम धामी द्वारा चंपावत को अपने सपनों का मॉडल जिला बनाया जा रहा है, जो हिमालयी राज्यों में विशिष्ट स्थान रखेगा। ऐसे हालातों में जिले में पर्यटन एवं तीर्थाटन को बढ़ावा देने के लिए न केवल डिपो को हाईटेक किया जाना आवश्यक है, बल्कि यहां 30 नई बसों की तात्कालिक आवश्यकता भी है।

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इस संबंध में भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य सतीश पांडे सीएम से देहरादून मुलाकात कर डिपो की स्थिति से अवगत कराने गए हैं।रोडवेज के कर्मचारी नेता सूरजभान का कहना है कि उनके लिए रोडवेज जनसेवा एवं अपने बच्चों को पालने का एक ऐसा माध्यम रहा है, जिससे उनका वजूद इस डीपो से वजूद जुड़ा है। यदि डीपो में बसें ही नहीं होंगी तो अधिकांश कर्मचारियों को बगैर काम का वेतन लेने का पाप भोगना पड़ेगा। डीपो को हाईटेक बनाने एवं नई बसों के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। रोडवेज के एआरएम के एस राणा का कहना है कि चंपावत जिले में सड़कों का जाल फैलता जा रहा है। ऐसी स्थिति में रोडवेज ही एकमात्र सस्ता परिवहन का माध्यम है, जो लोगों के आवागमन के साथ ग्रामीण उत्पादों को बाजार तक लाने का महत्वपूर्ण माध्यम बनता है।

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लोहाघाट में स्थापित की जाए क्षेत्रीय कार्यशाला।

लोहाघाट। नगर पालिका परिषद के चेयरमैन गोविंद वर्मा के अनुसार डीपो कार्यशाला में इतना पर्याप्त स्थान है कि इसमें क्षेत्रीय कार्यशाला स्थापित की जा सकती है। जिससे पिथौरागढ़ डिपो की बसों का भी समय से रखरखाव किया जाना संभव होगा।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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