यूक्रेन से लौटी मेडिकल छात्रा मिताली बिष्ट का खटीमा अपने घर पहुंचने पर हुआ भव्य स्वागत,जान हथेली पर रख घर पहुंचने के संघर्ष की दास्तां को मिताली ने बेबाक उत्तराखंड से किया साझा,आप भी पढे

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यूक्रेन से खटीमा घर पहुंची मिताली बिष्ट का बेबाक उत्तराखंड पर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

खटीमा(उत्तराखण्ड) – रूस और यूक्रेन में युद्ध के हालातों के बीच 1 सप्ताह का समय बिताने के बाद सकुशल घर लौटी खटीमा की बेटी मिताली बिष्ट का खटीमा में उनके परिजनों व स्थानीय लोगों ने भव्य स्वागत व अभिनंदन किया। परिजनों ने मिताली का माल्यार्पण कर व केक काटकर जहां जश्न मनाया, वही मिताली के साथ पहले ही यूक्रेन से घर पहुंच चुके मेडिकल छात्र तुषार सिंह भी मोजूद रहे।वही मिताली ने यूक्रेन में भय व दहशत के माहौल में बिताए एक सप्ताह की यात्रा पर अपनी आप बीती भी बेबाक उत्तराखण्ड के साथ साझा की।

हम आपको बता दे कि यूक्रेन में युद्ध के हालातों के बीच फंसे खटीमा के सभी छह मेडिकल छात्र जहां अपने घर खटीमा पहुंच चुके हैं। वही यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रही खटीमा अमाऊँ निवासी गोविंद सिंह बिष्ट फनीचर व्यवसाई की बेटी मिताली बिष्ट के घर पहुंचने पर उनके परिजनों व स्थानीय लोगों ने मिताली का भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर आयोजित स्वागत कार्यक्रम के दौरान मिताली के परिजनों व स्थानीय लोगों ने मिताली को बुके व माल्यार्पण कर जहां मिताली का अभिनंदन किया। वही मिताली ने परिजनों के साथ केक काटकर अपने सकुशल भारत पहुंचने की खुशी मनाई।

इस अवसर पर मिताली ने मीडिया से रूबरू होते हुए यूक्रेन में युद्ध के हालातों के बीच 1 सप्ताह के दौरान भय व दहशत के माहौल की आपबीती सुनाई। मिताली ने बेबाक उत्तराखंड संपादक दीपक फुलेरा को बताया कि यूक्रेन के बोलटावा शहर में जहां वह फर्स्ट ईयर मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी वही अचानक रूस के द्वारा युद्ध छेड़े जाने के बाद उनके हॉस्टल के ऊपर उड़ते फाइटर जेट विमानों की गड़गड़ाहट से सभी छात्र दहशत में आ गए थे। किसी तरह बैंकर्स में छुपकर उन सभी लोगों ने जहां अपनी जान बचाई। वही यूक्रेन के बोल तावा शहर से हंगरी बॉर्डर तक 3 दिन का सफर बस व ट्रेन के माध्यम से उन्होंने तय किया। सभी भारतीय छात्र 3 दिन तक अपनी जान हथेली पर रखकर हंगरी बॉर्डर तक का सफर तय कर आज सकुशल अपने घर पहुंच पाए हैं। फाइनली सकुशल घर पहुंच कर उन्हें अब बेहद रिलैक्स फील हो रहा है। जिसके लिए वह सरकार का भी धन्यवाद अदा करते हैं।

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जबकि यूक्रेन में युद्ध के हालातों में फंस सभी छात्रों को भारतीय दूतावास से मिले सहयोग के बारे में पूछने पर मिताली में बताया कि उन लोगों का भारतीय दूतावास के अधिकारियों से शुरुआत से ही कोई भी संपर्क नहीं हो पाया। यूक्रेन के बोलटावा शहर से हंगरी बॉर्डर तक पहुंचने में भारत सरकार द्वारा उनको कोई भी मदद नहीं मिल पाई। सभी छात्रों ने अपने रिस्क पर 3 दिन का सफर हंगरी बॉर्डर तक बेहद दहशत के माहौल में तय किया। हालाकि हंगरी बॉर्डर पहुंचने पर जरूर भारत सरकार के अधिकारियों द्वारा उन्हें भोजन व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई गई। वही मिताली ने भारत सरकार से अपील करी कि यूक्रेन के खारकीव व कीव इलाको मे अभी भी फंसे हुए भारतीय मेडिकल छात्रों को सरकार जल्द से जल्द वहा से सुरक्षित निकालने का सरकार काम करे। क्योंकि वर्तमान में सभी छात्र बेहद कठिन व खतरे भरे माहौल में वहा पर फंसे हुए है।

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यूक्रेन से लौटी खटीमा की बेटी मिताली डॉक्टर बनने के अपने सपने को हर हाल में पूरा करना चाहती है।वही आगे की पढ़ाई को लेकर आने वाले समय व हालातो पर निर्णय लिए जाने की बात कह रही है।फिलहाल मिताली अपने वतन अपनो के बीच पहुँच जहां बेहद रिलेक्स महशुस कर रही है।लेकिन भारत पहुँचने के बावजूद भी उसे यूक्रेन में फंसे अपने साथियों के सुरक्षित वतन वापसी की चिंता सता रही है।यूक्रेन से भय व दहशत के माहौल में फंसे सभी छात्रों के जल्द वतन वापसी कराए जाने को लेकर वह भारत सरकार से अपील भी कर रही है।

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मिताली के खटीमा अमाउँ स्थित उनके आवास में उनके स्वागत कार्यक्रम में मिताली के दादा रमेश सिंह बिष्ट पिता गोविंद विष्ट,माता गुड्डी देवी,चाचा बलवंत बिष्ट,चाची गीता विष्ट, एड गोपाल बिष्ट,एड दीपक बिष्ट,भगवान रुमाल,भगवान जोशी,तुषार सिंह ,बॉबी राठौर, विनोद राजपूत,अनिल बोहरा,कैप्टन लक्ष्मण सिंह चुफाल,गम्भीर सिंह धामी,गोपाल सिंह,बबलू रावत,भुवन भट्ट,सहित दर्जनों लोग मौजूद रहे।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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