

खटीमा(उत्तराखंड)- खटीमा विकास खंड के भुड़ाकिशनी गांव के लोग बुधवार को उस वक्त बेहद गौरवान्वित हुए जब गांव की बहु सोनी बिष्ट सेना में लेफ्टिनेंट बन पहली बार अपनी ससुराल खटीमा पहुंची।अपनी शादी के मात्र 34 दिन बाद अपने पति को सड़क दुर्घटना के चलते खोने वाली सोनी प्रतिष्ठित सीडीएस परीक्षा को पास कर सेना में लेफ्टिनेंट बनी थी।सोनी के दिवंगत पति नीरज भंडारी 18 कुमाऊं रेजिमेंट में सेना के जवान थे।जिनकी सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।पति की मौत के बाद आर्मी अफसर बन अपनी ससुराल पहुंची सोनी का उनके ससुराल पक्ष व स्थानीय ग्रामीणों ने भव्य स्वागत अभिनंदन किया।सोनी भंडारी उन हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई जो अपने जीवन में इस तरह की दुखद घटनाओं के बाद टूट जाती है।नारी शक्ति की क्षमताओं को प्रदर्शित कर सेना में अफसर बनी सोनी का पूरा खटीमा क्षेत्र मुरीद हो गया है।वही सोनी हजारों महिलाओं की प्रेरणा बनी है।


2 दिसंबर 2022 को हल्द्वानी से खटीमा के भुड़ाकिशनी गांव में आर्मी जवान नीरज भंडारी के साथ हल्द्वानी निवासी सोनी बिष्ट का विवाह हुआ था। सोनी के जीवन में शादी के मात्र 34 दिन बाद ही वो भूचाल आया जिसकी कोई भी बिटिया कल्पना नहीं कर सकती।सोनी के पति 18 कुमाऊं रेजिमेंट के जवान नीरज भंडारी का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया।शादी के मात्र 34 दिन बाद अपने पति को खोने वाली वीर नारी सोनी बिष्ट आज एक बार फिर चर्चा में आई है।चर्चा में आने का कारण है सोनी का अपने पहाड़ जैसे दुखो को हरा सेना में लेफ्टिनेंट बन अपनी ससुराल खटीमा भुड़ा किशनी पहली बार पहुंचना।प्रतिष्ठित सीडीएस परीक्षा पास कर आर्मी अफसर बन पहली बार अपनी ससुराल खटीमा पहुंची सोनी का ससुराल पक्ष ने ऐसा खेरमकदम किया की पूरा इलाका इस अफसर बिटिया के स्वागत को उमड़ पड़ा।जुलूस के रूप में कुमाऊं के प्रसिद्ध छोलियारों कुमाऊनी वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि आतिशबाजी व फूलों की बारिश के बीच अपनी ससुराल आर्मी अफसर बनकर पहुंची लेफ्टिनेंट सोनी का स्वागत उनके ससुर गोविंद सिंह भंडारी सास रामा देवी सहित उनके परिजनों व ग्रामीणों ने दिल खोल कर किया।हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी लेफ्टिनेंट सोनी ने शादी के 34 दिन बाद अपने पति को खोने के 6 माह बाद ही सीडीएस की परीक्षा दी।

जिसको पास कर सोनी ने चेन्नई में ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी में ओटीए पास पर महिला दिवस पर सेना अफसर बनने का गौरव प्राप्त किया।सोनी की पहली पोस्टिंग आर्मी ओडिनेंस कॉप्स में हुई है।सोनी के पिता हाल निवासी हल्द्वानी मूल बागेश्वर जनपद निवासी रिटायर्ड सूबेदार कुंदन सिंह बिष्ट ने बताया की दामाद की मौत के उपरांत सोनी को सदमे से बाहर निकालने में उनकी माता मालती देवी की अहम भूमिका रही।वही उन्होंने अपनी यूनिट अफसरों व कुमाऊं रेजिमेंट से मिली जानकारी उपरांत सोनी को सेना वीर नारी एंट्री के तहत जाने हेतु प्रेरित किया।सोनी के भाई राहुल ने अपनी बहन को सेना में जाने हेतु काफी प्रेरित किया।इसके साथ ही सोनी के ससुर खटीमा निवासी गोविंद सिंह भंडारी व सास रामा देवी ने उनकी बेटी का कदम कदम पर साथ दे उसे आगे बड़ाने हेतु भरपूर सहयोग किया।जिसकी बदौलत सोनी ने अपनी पति की मृत्यु के मात्र छ माह में सीडीएस की परीक्षा में प्रतिभाग कर इस परीक्षा को पास किया।

इसके उपरांत चेन्नई में 11 माह की ट्रेनिग उपरांत पासिग ऑफ परेड पास कर सेना का लेफ्टिनेंट के रूप में हिस्सा बन सभी को गौरवान्वित किया है।सोनी इस उपलब्धि में अपने माता पिता ससुराल पक्ष अपने मेंटर व अपनी दिवंगत पति नीरज भंडारी के भावनात्मक साथ को अहम मानती है।साथ अन्य महिलाओ को भी इस तरह की परिस्थितियों में जल्द से जल्द बाहर निकल आगे बड़ने की सलाह देती है।सोनी का लेफ्टिनेंट बन खटीमा पहुंचने पर भूतपूर्व सैनिक संगठन अध्यक्ष रिटायर्ड कैप्टन गंभीर सिंह धामी व उनकी पूरी टीम ने शॉल उड़कर स्वागत अभिनंदन किया।साथ ही खटीमा की बहु व बेटी लेफ्टिनेंट सोनी बिष्ट को हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा बता उन्हे शुभकामनाएं दी।

बहरहाल किसी महिला के मात्र 23 साल की उम्र में विवाह के मात्र 34 दिन उपरांत अपने पति को खो देना व उस पहाड़ जैसे असीम दुख से उभर भारतीय सेना में अफसर बनना उन हजारों महिला के लिए प्रेरणादायक है जो इन परिस्थितियों में अक्सर टूट जाती है।खटीमा की बहु सोनी ने छोटी सी उम्र में विधवा बनने के दर्द से उभर आर्मी जवान अपने दिवंगत पति की वर्दी को एक बार फिर लेफ्टिनेंट बन पाकर मिशाल कायम की है।उन्होंने इस बात को भी सिद्ध किया है की महिला वो शक्ति स्वरूपा होती है जो किसी भी परिस्थिति से लड़ अक्सर इतिहास लिखने का मादा रखती है।लेफ्टिनेंट सोनी भी उन आयरन महिलाओ में एक है।

