
चंपावत(उत्तराखंड)- उत्तराखंड में हालिया यूकेपीएससी परीक्षाओं के नतीजों ने उन मुरझाए चेहरों में मुस्कान ला दी है, जिन्होंने यह सोच लिया था कि जिस व्यवस्था में बाड़ ही खेत को खा रही हो, वहां उन जैसे गरीब छात्रों का नंबर कहां आएगा? लेकिन ताजा परीक्षा नतीजों ने युवाओं का नजरिया ही बदल दिया है। अब उन्हें पक्का यकीन हो गया है कि अपने भविष्य के लिए हम कितनी ही मेहनत करेंगे उसका अवश्य ही मूल्यांकन होगा। आज अपनी मेहनत के बल पर सफल रहे प्रतियोगियों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। वहीं लेनदेन कर दूसरों का हक मारकर पास होने वाले बच्चे अब जिनके लिए तो कुछ वर्षों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिए परीक्षा केंद्रों के द्वार तक बंद हो गए हैं, वह बेचारे हाथ मलते अपने कृत्य पर पछतावा कर रहे हैं।

सीएम धामी द्वारा कड़ा नकल विरोधी कानून लागू करने के बाद वास्तव में उनकी धमक का ही असर है कि आज परीक्षाएं पारदर्शी एवं स्वच्छ वातावरण में होने लगी हैं। हालिया परीक्षा परिणाम इस बात की तस्दीक कर रहे हैं।दरअसल उत्तराखंड राज्य बनने के बाद दलालों ने सियासी लोगों से तालमेल कर किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं की निष्पक्षता एवं पारदर्शिता को निगलकर मेधावी एवं होनहार गरीब बच्चों के साथ जो क्रूर उपहास किया, उसके लिए उन्हें इतिहास कभी माफ नहीं करेगा। हद तो तब हो गई जब अपना भविष्य बनाने के लिए रात दिन मेहनत कर भविष्य की आस लगाने वाले बच्चे एवं स्वयं उनके खा न खाकर अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए साधन जुटा रहे अभिभावकों ने विभिन्न परीक्षाओं के परिणामों को देखने के बाद जो तस्वीर सामने आई, उससे मेधावी बच्चों को निराश कर दिया। तब उनका कहना था कि हम पढ़ें तो किसके लिए? परीक्षाओं में लेनदेन, रुपए-पैसों का खेल होने की चर्चाएं इन होनहार बच्चों के बीच हुआ तो करती थी, लेकिन यह बेचारे कुछ करने में असमर्थ थे।
जब मंत्रियों की प्रतियोगी परीक्षाओं में लिप्तता सामने आने लगी तो युवाओं में राज्य सरकार के प्रति बनी धारणाएं कपूर की तरह उड़ती चली गई। उत्तराखंड में भले ही किसी भी दल की सरकार क्यों न हो, सबको मालूम था कि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के अंदर ऐसे तत्व पैठ बना चुके हैं, जो पैसे के बल पर बच्चों की मेधा में कालिख पोतने का काम करते आ रहे थे। लेकिन सभी दलों की सरकार सड़ी हुई लाश में इत्र फेंककर अपनी बला टालते रहे हैं।
सीएम धामी की इस बात के लिए सराहना की जानी चाहिए कि उन्होंने अन्य मुख्यमंत्रियों की तरह ऐसा न कर इस बेईमान व्यवस्था का पर्दाफाश करने का एक साहसिक प्रयास किया था, जिसके परिणाम अब सामने आने लगे हैं।आशंकित युवाओं में एक बार भी अपने भविष्य के सुरक्षित होने का भरोसा वर्तमान में आए परीक्षा परिणाओ से होने लगा है।
