राजकीय महाविद्यालय अमोड़ी चम्पावत एवं राजकीय महाविद्यालय किच्छा के संयुक्त तत्वाधान मेंनैक कार्य की तैयारी तथा प्रस्तुतिकरण विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

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चंपावत(उत्तराखंड)- राजकीय महाविद्यालय अमोड़ी चम्पावत तथा राजकीय महाविद्यालय किच्छा (उ0सि0 नगर) के संयुक्त सहयोग से आनलाइन एक दिवसीय संगोष्ठी आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता व रिर्सोस पर्सन प्रोफेसर (डॉ0) आर0के0गुप्ता रहे। स्वागत संबोधन कार्यक्रम राजकीय महाविद्यालय किच्छा के प्राचार्य डॉ राजीव रतन व राजकीय महाविद्यालय अमोड़ी की प्राचार्य डॉ0 अजिता दीक्षित के द्वारा किया गया।

कार्यक्रम संगोष्ठी में डॉ0 आर0के0 गुप्ता के द्वारा नैक प्रत्यायन का विस्तार से परिचय कराया गया। इसके साथ ही साथ उन्होंने समस्त मानदण्डों पर विस्तार से बताते हुए कार्यो का सुरक्षित रखने व प्रस्तुत करने तथा एस.एस.आर. में अंकित करने पर जोर दिया। अपने व्याख्यान में उन्होने कैरिकुलर योजना, शैक्षिक टूर, प्रशिक्षण, शार्ट टर्म कोर्स व प्रमाण पत्र, स्टूडेंट सैटिशफैक्सन सर्वे, अध्यापकों को प्रेरित करने, रिसर्च प्रोजेक्ट, फील्ड वर्क, इनोवेशन इकोसिस्टम, आईपीआर, पब्लिकेशन केयर सूची में कराने, स्टूडेंट एक्सचेंज, पुस्तकालय में आनलाइन एक्सेस, रीडिंग रूम को सुव्यस्थित रखने, प्लेसमेंट सेल, पुरातन छात्र संगठन को कार्यशील करने, बेस्ट प्रैक्टिस आदि पर जानकारी दी।
नैक कार्य में उन्होंने विनम्रता को बनाये रखने पर बल दिया।

संगोष्ठी में डॉ0 धीरेंद्र, डॉ0 अनामिका छेत्री, डॉ0 अतुल चंद, डॉ0 ईरा सिंह, डॉ0सुधीर मलिक, डॉ0नीतू नौटियाल डॉ0 भानु प्रताप गौतम, डॉ0 इंदु तिवारी डॉ0 पुष्पा नेगी के द्वारा नैक कार्य से सम्बन्धित प्रश्न भी पूछे गये जिसका प्रो0 आर0के0 गुप्ता के द्वारा संतोषजनक उत्तर दिया गया। .

राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्यो में जयहरीखाल से प्रो0 डॉ0 लवली रानी राजबंशी, शीतलाखेत से प्रो0 डॉ0 एल0पी0 वर्मा, बलुआकोट से प्रो0 डॉ0 सुभाष चन्द्र वर्मा, गणाई गंगोली से प्रो0 डॉ0 सिद्धेश्वर सिंह, तल्लासल्ट से प्रो0डॉ0वी0एम0पाण्डे, सतपुली से प्रो0डॉ0 संजय कुमार, नैनीडांडा से प्रो0 डॉ0 यू0सी0 उनियाल, गदरपुर से डॉ0 प्रमोद वर्मा, मालधनचौड से प्रो0 डॉ0 सुशीला सूद जुड़े तथा चर्चा परिचर्चा में भाग लिए।

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प्रो0 डॉ0 अजिता दीक्षित प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय अमोड़ी के द्वारा मुख्य वक्ता डॉ0 आर0के गुप्ता जी का आभार प्रकट किया तथा कहा कि आपके सुझाव व सहयोग से महाविद्यालय नैक कार्य में सफलता प्राप्त करेगा। इसके साथ ही उन्होने प्रो0 डॉ0 राजीव रतन व अन्य समस्त सम्मानित प्राचार्य व प्रतिभाग करने वाले अकादमिक विद्वानों का आभार प्रकट किया।

कार्यक्रम में उत्तराखण्ड उ0शि0 विभाग से 90 अकादमिक विद्वानों ने प्रतिभाग किया। प्राचार्य प्रो0 डॉ0 राजीव रतन के द्वारा मुख्य वक्ता व रिर्सोस पर्सन डॉ0 आर0के0गुप्ता का आभार प्रकट किया गया और कहा कि आपके व्याख्यान हम सभी को एक नई दिशा व गति प्रदान करने में सहायक सिद्ध होंगे। कार्यक्रम का संचालन आई0क्यू0ए0सी0 के संयोजक डॉ0 डी0के0गुप्ता के द्वारा किया गया।

व्याख्यान में दिय गये सुझाव-
नैक प्रत्यायन प्रक्रिया में सफलता प्राप्त करने के लिए महाविद्यालयों में कई सर्वश्रेष्ठ अभ्यास को अपनाया जा सकता है।

  1. इनोवेशन और रिसर्च इकोसिस्टम
    उदाहरण- महाविद्यालय अपने परिसर में एक इनोवेशन सेल या रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल स्थापित कर सकते हैं। इसका उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों को नए विचारों और अनुसंधान परियोजनाओं पर काम करने के लिए प्रोत्साहित करना होता है।
    सर्वश्रेष्ठ अभ्यास- नियमित रूप से विज्ञान एवं नवाचार कार्यशालाओं का आयोजन करना, छात्रों को प्रोजेक्ट्स और स्टार्टअप्स के लिए मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  2. पुस्तकालय की डिजिटल सुविधाएँ
    उदाहरण-पुस्तकालय में डिजिटल एक्सेस की सुविधा प्रदान करना, जैसे ई-पुस्तकें, ऑनलाइन जर्नल्स और ई-लर्निंग प्लेटफार्म्स।
    सर्वश्रेष्ठ अभ्यास- छात्रों को कहीं से भी ऑनलाइन पुस्तकालय तक पहुँचने की सुविधा देना, और नियमित रूप से डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित करना।
  3. प्लेसमेंट सेल और उद्योग संपर्क
    उदाहरण-एक सक्रिय प्लेसमेंट सेल स्थापित करना जो छात्रों को करियर मार्गदर्शन, रोजगार कौशल प्रशिक्षण और उद्योगों के साथ संपर्क में लाने में मदद करता है।
    सर्वश्रेष्ठ अभ्यास- छात्रों के लिए इंडस्ट्री एक्सपोजर कार्यक्रमों का आयोजन करना, जैसे इंटर्नशिप, प्रैक्टिकल ट्रेनिंग, और कैंपस प्लेसमेंट अभियान।
  4. पर्यावरण संरक्षण के लिए पहल
    उदाहरण- परिसर में पर्यावरण जागरूकता और संरक्षण के लिए गतिविधियाँ चलाना, जैसे सोलर पैनल का उपयोग, वेस्ट मैनेजमेंट, वाटर हार्वेस्टिंग, और ग्रीन कैंपस कार्यक्रम।
    सर्वश्रेष्ठ अभ्यास- छात्रों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने के लिए ग्रीन क्लब का गठन और नियमित रूप से स्वच्छता अभियान चलाना।
  5. अलुमनी नेटवर्क और योगदान
    उदाहरण-एक मजबूत अलुमनी एसोसिएशन (पुरातन छात्र संगठन) का गठन करना, जो महाविद्यालय के विकास और छात्रों की सहायता में योगदान करता है।
    सर्वश्रेष्ठ अभ्यास- अलुमनी को महाविद्यालय में नियमित रूप से इंटरैक्शन प्रोग्राम्स और गेस्ट लेक्चर के लिए आमंत्रित करना, और उनके अनुभवों से छात्रों को लाभान्वित करना।
  6. कैरिकुलर और एक्स्ट्रा-करिकुलर एक्टिविटीज
    उदाहरण-शैक्षिक टूर, फील्ड वर्क, कम्युनिटी सर्विस जैसी गतिविधियाँ आयोजित करना, जो छात्रों के संपूर्ण विकास में सहायक होती हैं।
    सर्वश्रेष्ठ अभ्यास- हर सेमेस्टर में एक इंडस्ट्री विजिट और फील्ड वर्क को शैक्षणिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना।
  7. स्टूडेंट सैटिस्फैक्शन सर्वे
    उदाहरण-छात्रों से उनकी शैक्षणिक और प्रशासनिक सेवाओं पर नियमित फीडबैक लेना और उनके सुझावों के आधार पर सुधार करना।
    सर्वश्रेष्ठ अभ्यास-ऑनलाइन सर्वे आयोजित करके छात्रों की संतुष्टि स्तर को मापना और समस्याओं को सुलझाने के लिए त्वरित कार्रवाई करना।
  8. अधिगम में विविधता और इन्क्लूसिव शिक्षा
    उदाहरण- महाविद्यालय में समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देना, जिसमें सभी वर्गों के छात्रों के लिए शैक्षिक और तकनीकी सहायता की व्यवस्था हो।
    सर्वश्रेष्ठ अभ्यास- विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों के लिए सपोर्ट सिस्टम स्थापित करना, जैसे कि स्कॉलरशिप, रिमेडियल क्लासेस, और मनोवैज्ञानिक परामर्श।
    यह सर्वश्रेष्ठ अभ्यास न केवल नैक प्रत्यायन में सहायक होते हैं, बल्कि महाविद्यालय के संपूर्ण शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों की गुणवत्ता को भी सुधारते हैं
    संगोष्ठी का आउटकम (परिणाम)
  • नैक प्रत्यायन की बेहतर समझ- प्रतिभागियों ने नैक प्रत्यायन की प्रक्रियाओं और मानदंडों के बारे में गहन जानकारी प्राप्त की, जिससे महाविद्यालयों के लिए प्रत्यायन प्रक्रिया को सुगम बनाने में सहायता मिलेगी।
  • मानदंडों पर स्पष्टता- प्रतिभागियों ने शैक्षिक गुणवत्ता सुधार के विभिन्न मानदंडों, जैसे कैरिकुलर योजना, नवाचार, अनुसंधान, और प्लेसमेंट सेल के महत्व को समझा और इसे लागू करने के लिए योजनाएं बनाई।
  • दस्तावेज़ीकरण की सटीकता- नैक कार्यों में आवश्यक दस्तावेज़ों और प्रमाणों को सहेजने और प्रस्तुत करने के बारे में जानकारी प्राप्त की, जिससे एसएसआर बनाने में आसानी होगी।
  • सर्वाेत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान – संगोष्ठी के दौरान विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्यों और शिक्षकों ने अपने अपने प्रश्नो व जिज्ञासाओं को पूछा परिणामस्वरूप लोगों को बेहतर सुझााव व मार्गदर्शन मिला।
  • सहयोग और नेटवर्किंग- उत्तराखंड के विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्यों और शिक्षकों के बीच नेटवर्किंग और विचार-विमर्श हुआ, जो आगे नैक कार्य में सहयोग और सामूहिक प्रयास को बढ़ावा देगा।
  • फॉलो-अप कार्रवाई- संगोष्ठी के परिणामस्वरूप महाविद्यालयों ने नैक प्रत्यायन के लिए आवश्यक कदमों को प्राथमिकता देने और समयबद्ध तरीके से कार्यान्वित करने की योजना बनाई।
    इस संगोष्ठी के परिणामस्वरूप, महाविद्यालय में नैक प्रत्यायन प्रक्रिया में सुधार और गति लाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान हुआ।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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