20 वर्षों में पहली बार आगामी चुनाव के मद्देनजर आन्दोलनकारियो के मुद्दों को समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों को भी लिया आड़े हाथों
खटीमा(उत्तराखण्ड)- प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कोरोना संक्रमण के मद्देनजर काँवर यात्रा स्थगित करने का जो अहम निर्णय लिया था।उस निर्णय की अब आमजन से लेकर न्यायपालिका तक तारीफ होने लगी है।चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के प्रदेश महामंत्री भगवान जोशी ने भी मानव समाज की रक्षा को सर्वोपरि मानते हुए प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री द्वारा काँवर यात्रा स्थगित करने के निर्णय की सराहना की है।उन्होंने मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड पुष्कर धामी के जनहित के इस फैसले का तहेदिल से स्वागत किया है।इसके साथ ही आगामी चुनाव को देखते हुए राज्य आन्दोलनकारियो के मुद्दों पर लामबंद होने वाले राजनीतिक दलों को भी आड़े हाथों लिया है।वही उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री धामी ने कोरोना संकट के मद्देनजर कावड़ यात्रा स्थगित करने का जो निर्णय लिया उनके इस फैसले का स्वत संज्ञान लेते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय उनके इस निर्णय को उत्तराखंड सरकार द्वारा लिया गया एक दूरदर्शी निर्णय करार दिया है। इस पर हम सब खटीमा वासियों को विशेषकर बहुत गर्व है नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री इसके लिए विशेष रूप से बधाई के पात्र हैं।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भगवान जोशी ने राज्य आंदोलनकारियों के पक्ष में कई राज्य आंदोलनकारी संगठनो तथा राजनितिक दलो द्धारा राजभवन कूंच किए जाने का हालांकि समर्थन किया लेकिन उन्होने चुनाव से ठीक पहले विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा 20 वर्ष में पहली बार बड़ी संख्या में पीड़ित व शोषित राज्य आंदोलनकारियों के पक्ष में लामबंद होने पर आश्चर्य व्यक्त किया ၊अगर सत्ता पक्ष राज्य आंदोलनकारियों की उपेक्षा के लिए जिम्मेदार है तब कांग्रेस यूकेडी तथा आम आदमी पार्टी द्वारा आज तक पूरे 20 वर्षों में स्वयं उनकी पार्टी द्वारा किए गए समस्त धरने प्रदर्शनों में आज तक राज्य आंदोलनकारियों के मुद्दे को तरजीह क्यों नहीं दी गयी । अब चुनाव सिर पर हैं तथा 12000 चिन्हित तथा हजारों की तादात में लंबित गैर चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों के वोटो पर विपक्षी दलों की नजर हैं तथा वे इसे केवल चुनावी मुद्दा बनाना चाहते हैं।
कांग्रेस सहित समस्त विपक्षी पार्टियों ने प्रथम निर्वाचित एनडी तिवारी जी की सरकार में केवल 1200 आंदोलनकारियों
( जेल – घायल) को ही चिन्हीकरण का सुपात्र माना था ।भाजपा को छोड़कर किसी भी दल ने इस बात का विरोध नहीं किया माननीय खंडूरी जी के शासनकाल में चिन्हीकरण प्रक्रिया को सरल बनाते हुए 12000 आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण कराया गया, जिसे बाद में हरीश रावत सरकार ने पुनः रद्द करते हुए केवल 12 सौ आंदोलनकारियों का बिल 2015 हाउस से पास कराने का प्रयास किया।लेकिन खटीमा के तत्कालीन भाजपा विधायक एवं वर्तमान में प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना निजी बिल पेश करते हुए हरीश रावत सरकार को मजबूर किया कि जब तक खंडूरी सरकार में चिन्हित 12000 आंदोलनकारियों बिल हाउस द्वारा पास कराकर राजभवन नहीं भेजा जाता तब तक पार्टी हाउस नहीं चलने देगी।
अंततः खटीमा के युवा विधायक द्वारा हरीश रावत सरकार को झुकने पर मजबूर किया गया परिणाम स्वरूप आज 12000 चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों के हित अभी भी सरकार मे सुरक्षित हैं। आंदोलनकारी संगठन के प्रदेश महासचिव भगवान जोशी ने प्रदेश सरकार से अपील की कि राज्य आंदोलनकारियों के मुद्दे का राजनीतिकरण किसी सूरत में रोका जाए जो लोग केवल 12 सौ राज्य आंदोलनकारियों के हितैषी तब भी थे तथा आज भी उन्हें 12 सौ कर्मचारियों की नौकरी जाने की पीड़ा पर आज पूरा मैदान में है। ऐसे स्वार्थी विपक्षियों की इच्छा को चिन्हित 12000 लोगों ने भी भापना चाहिए क्योंकि तिवारी कांग्रेस की सरकार में केवल 12 सौ राज्य आंदोलनकारी( जेल – घायल) को ही सम्मान देने का बिल पारित किया गया ।
अतः भाजपा की संवेदनशील वर्तमान सरकार से हमें पूर्ण अपेक्षा है कि वह समय आने पर राज्य आंदोलनकारियों की सभी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करेगी तथा सर्वपक्षीय समाधान निकालेगी।