गंभीर सवाल: केवल निजी स्कूलों के बच्चें शोभायात्रा या रैली में भीड़ बड़ाने का माध्यम आखिर क्यों?अन्य लोगो को जुटाने में क्यों नाकाम हो रही संस्थाएं?

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खटीमा(उधम सिंह नगर)- अमूमन देखा जाता है कि जागरूकता कार्यक्रम हो शोभायात्रा या शहर में किसी रैली का आयोजन हो इन आयोजनों में भीड़ दिखाने को लेकर निजी स्कूलों के बच्चों का प्रयोग अधिकतर संस्थाएं कर रही हैं।लेकिन स्कूलों में पढ़ाई के इतर प्रबंधन के दबाव में या जागरूकता ना होने के चलते बच्चो के अभिभावक भी इस आयोजनों में अपने बच्चों को भेजने का विरोध नही कर पाते है।जिस वजह से छोटे बच्चे धूप,बरसात हो जाड़ा इन आयोजनों में भीड़ जुटाने के माध्यम बन रहे है।जो की बेहद चिंता का विषय है।

खटीमा की सड़को पर 15डिग्री सेल्सियस की ठंड में कौतिक मेला आयोजन की शोभा यात्रा में स्कूली बच्चे

बीते बुधवार को भी खटीमा नगर में उत्तरायणी कौतिक मेला आयोजन को लेकर निकली शोभा यात्रा में खटीमा क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों के बच्चों को एकत्र कर 15 डिग्री सेल्सियस की ठंड में शोभायात्रा के माध्यम से पूरे नगर में घुमाया गया। अत्यधिक ठंड व शीतलहर होने के बावजूद भी बच्चो के स्वास्थ्य का ख्याल ना स्कूल प्रबंधन ना आयोजन समिति ना जिम्मेदार अभिभावकों द्वारा रखा गया।जबकि प्रदेश में मौसम विभाग के अलर्ट के बाद राज्य सरकार ने सभी सरकारी,अर्ध सरकारी व निजी स्कूलों में 15 जनवरी तक अवकाश घोषित कर दिया गया है।अब बड़ा सवाल यह है की आखिर राज्य सरकार द्वारा बच्चो की ठंड से सुरक्षा के चलते किए गए अवकाश के बावजूद स्कूल प्रबंधन अपने स्कूलों को किसी संस्था के आयोजन को सफल बनाने के लिए सरकार के आदेशों को मखौल उड़ा बच्चो को इस तरह के आयोजन में मात्र अपने स्कूलों के प्रचार के लिए आखिर क्यों उपयोग कर रहे है।उन्हे राज्य सरकार या शिक्षा विभाग के आदेशों की चिंता नही है।

जबकि संस्कृति संरक्षण हेतु आयोजित कौतिक शोभायात्रा में केवल स्कूलों बच्चो की संख्या देखी गई। समाज के अन्य लोगो की संख्या संस्था के सदस्यों के अलावा ना के बराबर रही।अब बड़ा सवाल यह है की क्या स्कूली बच्चों ही इन आयोजनों में भीड़ जुटाने का माध्यम है।इस तरह की संस्थाएं आखिर क्यों अन्य लोगो को इन आयोजनों से जोड़ने में नाकाम हो रही है।क्या इस तरह ही बच्चो की सुरक्षा से खिलवाड़ कर संस्कृति संरक्षण के आयोजनों को संस्थाएं आयोजित करती रहेगी।यह बड़ा सवाल हम सबके सामने कौंध रहा है की आखिर छोटे स्कूली बच्चे रैली शोभायात्रा आदि आयोजनों में भीड़ जुटाने का माध्यम आखिर क्यों बने।इस विषय पर उन बच्चो के अभिभावकों को भी सोचने की आवश्यकता है।जो बिना सोचे समझे अपने बच्चो को भीसंड ठंड में नगर की सड़को में किसी संस्था की शोभायात्रा हेतु भेज रहे है।

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खटीमा में नियम विरुद्ध निजी स्कूल मेला आयोजनों में एनसीसीसी बच्चो का मार्च पास कराते हुए

स्थानीय निजी स्कूल प्रबंधन इस विषय पर बड़े जिम्मेदार

इस विषय पर सीमांत क्षेत्र के तमाम स्कूल प्रबंधक भी जिम्मेदार हैं जो मात्र इस तरह के आयोजनों के लिए अपने बच्चों को धूप बरसात या ठंड की परवाह किए बिना सिर्फ अपने स्कूलों के प्रचार हेतु भेज देते हैं। जबकि स्कूल प्रबंधन को सबसे पहले अपने स्कूलों के बच्चों की सुरक्षा की परवाह होना अति आवश्यक है। लेकिन स्कूल प्रबंधकों के द्वारा सिर्फ और सिर्फ अपने स्कूलों के प्रचार की चिंता इस तरह के आयोजनों में अधिक दिखाई देती है। बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर निजी स्कूल अपने स्कूलों को बेहतर दिखाने की होड़ में इस तरह के आयोजनों में लगातार शामिल हो रहे हैं। इस गंभीर विषय पर विभिन्न स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों को भी अब सोचने की आवश्यकता है।

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फिलहाल इस विषय पर खटीमा के खंड शिक्षा अधिकारी या जिले के अन्य शिक्षा अधिकारियों को गंभीरता के साथ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।की अगर बच्चो की ठंड या शीत लहर से सुरक्षा हेतु सरकार को पूरे प्रदेश में अवकाश के आदेश घोषित करने पड़े है।तो निजी स्कूल प्रबंधन किसी संस्था के आयोजनों में सरकार के आदेशों के इतर आखिर क्यों 15 डिग्री सेल्सियस की भीसड़ ठंड में अपने स्कूल के बच्चो को सड़को पर घुमा उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने का काम कर रहे है।बच्चो की सुरक्षा पर यह गंभीर सवाल है जिसे एक जिम्मेदार पत्रकार होने के नाते हम अपने न्यूज पोर्टल पर उठा रहे है।अब इस विषय पर स्थानीय प्रशासन शिक्षा अधिकारियों को सोचने की आवश्यकता है की आखिर बच्चो के स्वास्थ्य सुरक्षा हेतु जारी राज्य सरकार के आदेश का धरातल पर पालन कौन कराए।

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Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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