गंभीर सवाल: महिलाओं को पंचायतों में 50 फ़ीसदी आरक्षण होने पर भी बैठको में पति करते है प्रतिनिधित्व,आखिर कब तक महिला जनप्रतिनिधि बनी रहेंगी रबर स्टांप

ख़बर शेयर कर सपोर्ट करें

मनोज कापड़ी, संवाददाता लोहाघाट।

लोहाघाट(चंपावत)- राज्य सरकार द्वारा पंचायतों में 50 फ़ीसदी महिलाओं को आरक्षण दिए जाने के बावजूद क्षेत्र पंचायत की बैठकों में उनके पति ही प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं।जिससे महिलाओं का नेतृत्व करने के द्वार लगभग बंद से हो गए हैं।वर्ष 2019 में पंचायती चुनाव के बाद अभी तक ग्रामीण जनप्रतिनिधियों को पंचायती कार्यों का प्रशिक्षण तक नहीं दिया गया है ।क्षेत्र पंचायत प्रमुख जिनके बदौलत कुर्सी में उन्हें बैठने का मौका मिला है, वह महिला प्रतिनिधियों के स्थान पर उनके पतियों द्वारा बैठक में नामित प्रतिनिधियों की तरह प्रतिनिधित्व किए जाने पर अपना एतराज व्यक्त भी नहीं कर पाते हैं।

यह भी पढ़ें 👉  माँ पूर्णागिरि पर्यावरण संरक्षण समिति का पंजीकरण होने के बाद हुआ पहली बैठक का आयोजन,पर्यावरण संरक्षण की शपथ के साथ सामाजिक क्षेत्र में संगठन ने निर्धन असहाय बच्चो को शिक्षा का लिया संकल्प

प्रशिक्षण की जरूरत महिला ब्लाक प्रमुखों एवं जिला पंचायत अध्यक्ष को भी है। प्राय देखा गया है कि किसी ग्रामीण प्रतिनिधि द्वारा कोई समस्या उठाने पर महिला प्रमुख भी अपने निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं को गिनाने लगती हैं। उन्हें यह पता ही नहीं है कि वे पूरे ब्लॉक की जन समस्याओं के निराकरण के लिए ही चुनी गई हैं। क्षेत्र पंचायत हो या जिला पंचायत का सदन ग्रामीण समस्याओं के निराकरण का ऐसा मंच होता है जहां आम ग्रामीण यह आस लगाए रखते हैं कि उनका प्रतिनिधि उनकी समस्याओं को सदन में उठाएंगे। अमूमन सदन में कुछ चुनिंदा जनप्रतिनिधि ही अपनी बात उठा पाते हैं। जबकि अन्य लोग महज श्रोता बनकर ही रह जाते हैं।

बीडीसी बैठक लोहाघाट में नगण्य महिला जनप्रतिनिधियो की उपस्थिति

बीडीसी बैठको में अब पहले की तरह बिजली पानी की समस्या में ही सदन की कार्यवाही सिमटने की बातें पुरानी पड़ती जा रही है ।भले ही अभी घर घर नल ,घर घर जल ,योजना लागू होने के बाद पीने के पानी की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है ।अलवत्ता लोहाघाट ही नहीं पाटी व बाराकोट की बीडीसी बैठकों में अब बिजली की समस्या पर कोई चर्चा ही नहीं होती।

यह भी पढ़ें 👉  टनकपुर: पीएम अटल उत्कृष्ठ राजकीय बालिका इंटर कॉलेज मे विद्यालय प्रबंधन समिति और शिक्षक अभिभावक समिति का हुआ गठन, दीपा देवी बनी विद्यालय प्रबंधन समिति की अध्यक्ष,विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगो ने दी बधाई

इसका कारण विद्युत विभाग के अवर अभियंता बसंत बल्लभ गहतोड़ी एवं अशोक कुंवर की उत्कृष्ट सेवाएं हैं जो जन समस्याओं का तत्काल निराकरण करने की कार्य संस्कृति बनाए हुए हैं। जिससे आम विद्युत उपभोक्ताओं को काफी निजात मिली हुई है। ग्रामीण जनप्रतिनिधि पलायन, जंगली जानवरों, की समस्या खेती के जरिए कैसे आजीविका के साधन बढ़ाए जाए ,गांव में पर्यटन की संभावनाओं आदि तमाम मुद्दों पर चर्चा करते ही नहीं है। वैसे बैठक के एजेंडे में अमूमन ऐसे महत्व मुद्दे होते भी नहीं है। बीडीसी बैठकों को जिला स्तरीय अधिकारी भी गंभीरता से नहीं लेते हैं। बीडीसी में पारित प्रस्तावों का निराकरण करने में लंबा समय लग जाता है। जिला स्तर के कई अधिकारी तो अपने स्थान पर ऐसे मातहत को भेज देते हैं।जो सदस्यों को सही जानकारी ही नहीं दे पाते। सीएम धामी द्वारा जब चंपावत को मॉडल जिला बनाया जा रहा है। तो यहां की क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत की बैठकें भी ऐसी आदर्श होनी चाहिए जिनका अन्य जिलों के लोग अनुसरण कर सकें।

यह भी पढ़ें 👉  अंतर्राष्ट्रीय सखी साहित्य परिवार ने उत्तराखंड की साहित्यकार दया भट्ट "दया" को "राष्ट्र रत्न सम्मान-2025" से किया सम्मानित,सुप्रसिद्ध लेखिका दया को विभिन्न संगठनों ने दी बधाई

सीडीओ आर एस रावत का कहना है कि सदन में महिला सदस्यों की भौतिक रूप में उपस्थिति सुनिश्चित कराना सदन के नेता का नैतिक उत्तरदायित्व है। यह बात सही है कि जनप्रतिनिधियों को पंचायती राज विभाग की ओर से अनिवार्य रूप से प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जिससे वह सदन में अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों का पक्ष मजबूती के साथ रख सके।

Ad

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 18 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

Related Articles