नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को प्राथमिक शिक्षा में मिला सम्मान भाषाई आंदोलन की जीत,रवींद्र सिंह धामी राष्ट्रीय सचिव भाषा आंदोलन

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खटीमा(उत्तराखण्ड)-भाषाई अस्मिता के संघर्ष के सिपाही व भाषा आंदोलन के राष्ट्रीय सचिव वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र सिंह धामी का नई शिक्षा नीति पर बयान सामने आया है।नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को प्राथमिक शिक्षा में मिला सम्मान को रवींद्र सिंह धामी ने भाषाई आंदोलन की जीत बताया है।धामी ने प्रधानमंत्री को खुला पत्र लिख कहा है कि नई शिक्षा नीति में पहली बार भारतीय संस्कृति की वाहक भारतीय भाषाएं मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा की भाषा आंदोलन की मांग को पूरा किया जा रहा है, इसका स्वागत है,
बच्चों को यदि उनकी मातृभाषा या फिर क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जाए तो वह बात को ज्यादा आसानी से समझ पाएंगे। मानसिक विकास होगा..नई शिक्षा नीति में पांचवी कक्षा तक बच्चों को उनकी मातृभाषा या फिर क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने का प्रावधान रखा गया है। अब शिक्षकों को पांचवी कक्षा तक बच्चों को उनकी मातृभाषा या फिर क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा प्रदान करनी होगी। पाठ्य पुस्तकों को भी क्षेत्रीय भाषा में उपलब्ध कराया जाएगा और यदि पाठ्यपुस्तक क्षेत्रीय भाषा में उपलब्ध नहीं है तो इस स्थिति में बच्चों और शिक्षक के बीच बातचीत का माध्यम क्षेत्रीय भाषा होगा। पांच भारतीय मातृभाषा हिंदी, तमिल, तेलगू, मराठी, बांग्ला में इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी भाषा आंदोलन की जीत है। यह भारत को भारत बनाने में क्रांतिकारी कदम हो सकता है।

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जबकि रवींद्र सिंह धामी ने कहा है कि वर्तमान में नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा में मानसिक आजादी की उम्मीदों पर छठी के बाद अंग्रेजियत की साजिश प्रत्येक ब्लाक में दो सरकारी इंटर कालेज अटल आदर्श स्कूल के नाम से अनिवार्य अंग्रेजी माध्यम से पतीला भी लगाएंगे। भारतीय भाषाओं के हक के लिए भाषा आंदोलन में धरने तक में बैठे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी के नाम पर अंग्रेजियत जो ऐसा खेला खेल रहा है वह मोदी जी आपकी नजर में है या नहीं। आज तक तो सरकारी स्कूल मातृभाषा माध्यम से चल रहे थे तो भारतीयता जिंदा थी। क्या आपने सोचा कि जब छठी से प्रत्येक विकासखंड में संचालित दो अटल आदर्श विद्यालय में छठी से बारहवीं तक की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से होगी तो अंग्रेजियत को कितना बढ़ावा मिलेगा। इन स्कूलों को सीबीएसई से संबद्ध किया जाना है। अगर इन स्कूलों में अंग्रेजी एक भाषा के रूप में पढ़ाई जाती तो कोई विरोध नहीं था लेकिन अंग्रेजी को अनिवार्य कर नई पीढ़ी को मानसिक गुलाम व भारतीय संस्कृति से कट कर धर्मनिरपेक्ष पश्चिमी संस्कृति में धकेल कर भारतीयता को खत्म करने की साजिश को बढ़ावा मिलेगा।देश की आजादी के बाद से अंग्रेजियत आज तक सरकारी स्कूलों के माध्यम से अंग्रेजियत को बढ़ावा देने में सफल नहीं हो पा रही थी। अंग्रेजियत को बढ़ावा देने की नीति का यह खेला बंद कराया जाए।

वही रवींद्र सिंह धामी ने प्रधानमंत्री को लिखे खुले पत्र में पीएम मोदी से आशा है कि नई शिक्षा नीति में कक्षा 5 तक की पढ़ाई मातृभाषा में भारतीय मानसिक आजादी, मानसिक विकास की उम्मीद जगाई है। उसका स्वागत है, क्योकि भाषा आंदोलन की यह भी एक प्रमुख मांग थी, जिसे नई शिक्षा नीति में शामिल किया है,हम आपको बता दे कि वरिष्ठ पत्रकार व भाषा आंदोलन के राष्ट्रीय सचिव रवींद्र सिंह धामी कई दशकों से क्षेत्रीय भाषा सम्मान की लड़ाई लड़ रहे है।ताकि भारत वर्ष में हिंदी सहित भारत की अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को सम्मान मिल सके।

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Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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