बनबसा(चंपावत)- उत्तराखंड आंदोलनकारी, कवि, सामाजिक कार्यकर्ता, सूबेदार मेजर (रिटायर्ड) स्व. टीकाराम पाण्डेय ‘ एकाकी ‘ जी की दसवीं पुण्यतिथि के अवसर पर ग्लोरियस अकैडमी विद्यालय बनबसा में वृहद काव्य गोष्ठी तथा मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें टनकपुर, चकरपुर, बनबसा, खटीमा, पीलीभीत से दो दर्जन से अधिक कवि तथा शायर उपस्थित होकर अपनी रचनाओं से इस आयोजन में शमा बांध दिया।
कार्यक्रम का प्रारंभ एकाकी जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ ही कवियत्री हेमा जोशी ‘ परू ‘ द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर हुआ।कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित रिटायर्ड शिक्षक बंशीधर उपाध्याय जी द्वारा की गई। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय प्रबंधक रविन्द्र पाण्डेय ‘ पपीहा ‘ द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ बाल कवियों की स्वरचित कविता पाठ के साथ हुआ, जिसमे आकांक्षा जोशी, ईशा चंद, नूरेनिशा, संस्कृति, नंदिनी, रौशनी, शोभ्या, रोली पाण्डेय तथा शौर्य द्वारा बेहतरीन रचनाएं प्रस्तुत की गई।
काव्य गोष्ठी व मुशायरे में प्रख्यात कवि साहित्यकार डॉ. महेंद्र प्रताप पाण्डेय ‘ नंद’, खटीमा द्वारा स्वर्गीय टीकाराम पाण्डेय जी का संपूर्ण जीवन वृतांत काव्य रूप में प्रस्तुत किया गया।पांडे जी की बेहतरीन काव्य प्रस्तुति ने एकाकी जी को सच्ची काव्य श्रद्धांजलि अर्पित कर श्रोताओं की जमकर प्रसंसा पाई। डॉ पांडे ने अपने काव्य में
धरती पर बहु पुष्प हैं खिलते, ऐसे रत्न कहां हैं मिलते
उत्तराखंड आंदोलन का भी कर गए थे जो काम
कि बोलो जय जय टीकाराम,
कि बोलो जय जय सीता राम
प्रस्तुत किया।
इसके उपरांत अन्य कवियों व शायरों में – डॉ. राज सक्सेना, खटीमा ने
मत उलझ हमसे अमीरे कारवां ये सोच ले,
जिंदगी हमसे उलझकर चैन से अब तक नहीं,
राम चंद्र दद्दा, खटीमा ने
अपनी तो जिंदगी की अब शाम हो गई
- त्रिलोचन जोशी ( टी सी गुरु), खटीमा
अपनेपन का अद्भुत गहना राखी का त्यौहार - नीरज सिंह, टनकपुर ने
हो अगर गिला कोई, मिल कर मिटा दो। - – डॉ नीलम पाण्डेय, ‘नीलिमा’ खटीमा ने
मन देहरी बीच जलाना है, एक उज्जवल दीप
शांति देवी, चकरपुर द्वारा
मेरे देश का हर युवा विवेकानंद हो जाए - हेमा जोशी ‘ परू’, खटीमा ने
आमा ने असौज के महीने में
अपनी दर्द से भरी काया में - रागिब रुद्रपुरी, खटीमा ने
उड़ता हुआ अब रंग -ए – चमन देख रहा हूं
माथे पे बहारों के शिकन देख रहा हूं।।
–
-दया भट्ट,दया खटीमा ने
जब मैं पेड़ की टहनी की तरह आंधियों से लड़ रही थी,
बताओ तब कहां थे तुम?
हाफ़िज़ नूर, खटीमा द्वारा
..जो हिंदुस्तान की खाए, पाकिस्तान की गाए,
ज़मीं उसको नहीं देंगे कफन के वास्ते लोगो।
-डॉ. एम. इलियास सिद्दीकी, खटीमा ने
मोहब्बत के अलम बरदार थे टीका राम एकाकी जी
–
दीपक फुलेरा ‘ बेबाक ‘, चकरपुर द्वारा
कौन सुने मन की पीड़ा,
सब अपनी – अपनी सुनते हैं
वीराने के अंधियारे में हम
फिर भी किरण उम्मीद की चुनते हैं ।
–
आकाश प्रभाकर, खटीमा ने
जो बुझ के जल जाए उसको जवानी कहना
प्रकाश गोस्वामी ‘ आक्रोश, बनबसा
बात मत करना यहां संवेदना की,
रात दिन चलती हवा आलोचना की।।
-रविन्द्र पाण्डेय ‘ पपीहा’, बनबसा
क्यों नहीं करते धरती का मंगल,
मंगल पर जीवन खोजने वाले
डॉ. जगदीश पंत ‘ कुमुद ‘ , चकरपुर ने
लौटकर दरिया से प्यासे आ गए
हैसियत अपनी बता के आ गए
शायर अबसार सिद्दीकी, खटीमा ने
फूल भी अपने दामन में है, खार भी अपने तलवों में
हम ठहरे अबसार कलंदर कोई फर्क नहीं पड़ता।
बसंती सामंत, खटीमा
ने
तुम तो दिल बहलाने आए,
मन की पीड़ सुनो तो जानूं
–
रावेंद्र कुमार ‘रवि’, खटीमा ने
मेरे मन महेश की पारो
बनी तुम्हारी मधु मुस्कान
–
कैलाश पाण्डेय, खटीमा
द्वारा
निर्वसन डालों में कोपल आ गए
पुष्प भी खिल जाएंगे, गंध भी आ जाएगी।
–
नक्षत्र पाण्डेय, बनबसा ने
तुझसे मिले बिना ही हम, तेरे शहर से लौट गए।
काव्य रचनाओं से इस आयोजन में शमा बांध दिया।इस अवसर पर श्याम वीर सिंह, खटीमा द्वारा गीता तथा महाभारत पर उद्गार व्यक्त किए गए।काव्य गोष्ठी व मुशायरे का आयोजन विद्यालय प्रबंधक रविन्द्र पाण्डेय ‘ पपीहा ‘ द्वारा अपने पिता स्वर्गीय टीका राम पांडे जी की स्मृति में किया गया।
कार्यक्रम के समापन के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ कवियों को आयोजक रविन्द्र पाण्डेय ने पौधे देकर सम्मानित किया तथा सभी का कार्यक्रम में उपस्थित होने पर आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रपति पुरुस्कार प्राप्त रिटायर्ड शिक्षक बंशीधर उपाध्याय ने स्व. टीकाराम पाण्डेय जी के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डाला तथा समस्त कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए कार्यक्रम में पहुंचे साहितकार,कवियों शायरों की रचनाओं की प्रशंशा की।इस अवसर पर ग्लोरियस अकैडमी विद्यालय परिवार व स्थानीय श्रोतागण काव्य गोष्ठी कार्यक्रम में मोजूद रहे।