मनोज कापड़ी(संवाददाता लोहाघाट)
लोहाघाट(उत्तराखंड)- चंपावत जिले के लोहाघाट में बुधवार को दो अलग-अलग दुखद घटनाएं बड़े गंभीर प्रश्न समाज के सामने खड़े कर गए हैं।लोहाघाट क्षेत्र से में दो अलग-अलग घटनाओं में एक किशोरी ओर एक किशोर ने फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर लिया था। जिसको लेकर अब पूरे लोहाघाट क्षेत्र हड़कंप मचा हुआ है। साथ ही दोनों के ही घरों में इस दुखद घटना के बाद कोहराम मचा हुआ है।
बड़ा सवाल अब यह उठ रहा है की आखिर किन कारणों से इन बच्चो ने इतना बड़ा आत्मघाती कदम उठाया।हालाकि दोनो के फांसी लगाने के कारणों का अभी तक कोई पता नहीं चल सका है।लेकिन स्थानीय पुलिस इस संदर्भ में जांच कर रही है।
यह दुखद विषय तब सामने आया जब बुधवार की सुबह लोहाघाट नगर से लगे एक गांव की कक्षा 9वीं की 14 वर्षीय छात्रा ने अपने घर में अज्ञात कारणों के चलते फांसी के फंदे में झूलकर मौत को गले लगा लिया। वहीं शाम के समय नगर के 13 वर्षीय कक्षा 6 के छात्र ने भी घर में फांसी लगा ली। आनन फानन में परिजन छात्र को उप जिला अस्पताल ले गए। चिकित्सा अधीक्षक डा.जुनैद कमर ने बताया कि किशोर की अस्पताल पहुचने से पहले ही मौत हो गई थी।
लोहाघाट थानाध्यक्ष जसवीर चौहान ने बताया कि मृतका एक निजी स्कूल की छात्रा थी। उसकी मौत मंगलवार की रात हुई है। उसके शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। जिसमें मौत की वजह फांसी लगाना ही आया है। वहीं छात्र के शव का आज पंचनामा भरा गया है। पोस्टमार्टम कल कराया जाएगा। वह एक सरकारी स्कूल में पढ़ता था। प्रथम दृष्टया माना जा रहा है कि छात्रा ने पढ़ाई के तनाव के चलते आत्मघाती कदम उठाया है। वहीं छात्र के मामले में कहा जा रहा है कि उसे किसी बात को लेकर उसकी मां डांटा था। एसओ जसवीर चौहान ने बताया कि दोनों मामलों की जांच की जाएगी। उसके बाद ही आत्महत्या की वजहों का खुलासा हो सकेगा।
फिलहाल इस दोनों ही दुखद घटना क्रम में समाज के सामने अब यह चिंतन का विषय उत्पन्न हो गया है कि आखिरकार स्कूल पढ़ने वाले छोटे बच्चे इतने बड़े आत्मघाती कदम को किन परिस्थिति में उठाने को मजबूर हो रहे हैं। बच्चों में पढ़ाई का अत्यधिक तनाव है या कोई अन्य कारण है जिसके चलते बच्चे अपनी जीवन लीला तक को समाप्त करने को आमादा है। इस घटना के बाद सभी अभिभावकों को भी अपने बच्चों के प्रति गंभीर होने की आवश्यकता है। ताकि आगे से कोई भी बच्चा अपनी परेशानियों के चलते इस तरह के आत्मघाती कदम ना उठाए ।साथ ही अभिभावकों व अध्यापक उनकी परेशानियों को समझ उनको समय रहते दूर करने का प्रयास करें। जिससे आगे कोई भी बच्चा अपनी परेशानियों को लेकर इतना तनावग्रस्त वह डिप्रेशन में ना आए जिससे उसको इस तरह से अपनी जीवन लीला को समाप्त करना पड़े। लोहाघाट की यह घटना समाज के आगे चिंतन वह बेहद गंभीर प्रश्न खड़े कर गई हैं की आखिर कैसे बच्चो के मनोविज्ञान को गंभीरता के साथ समझा जाए।