टनकपुर (चम्पावत)-टनकपुर एसडीएम हिमांशु कफलटिया से सोमवार को टनकपुर बनबसा के ग्राम प्रधानों ने भाजपा नेता के साथ मिल जहां तहसीलदार टनकपुर पर युवाओ के पर्वतीय प्रमाण पत्रों को जानबूझ कर लंबित करने का आरोप लगाया था।साथ ही जिलाधिकारी को ज्ञापन भेज तहसीलदार पर कार्यवाही की मांग की थी।वही अब इस मामले में टनकपुर तहसीलदार डॉ ललित मोहन तिवारी ने प्रधानों के आरोप निराधार बता शासनादेश के तहत सभी लोगो को प्रमाण पत्र जारी करने की बात कही है।
तहसीलदार डॉ ललित मोहन तिवारी के अनुसार वह शासनादेश के तहत प्रमाण पत्रों का निर्गत कर रहे हैं। उन पर लगाये गये आरोप मिथ्या और बेबुनियाद है। उनके द्वारा किसी के भी प्रमाण पत्र को नहीं रोका जा रहा है। शासनादेश के तहत जिन प्रमाण पत्रों के दस्तावेज अपूर्ण है सिर्फ उन्हीं को जारी नही किया गया है।जो कि नियम व कानून के अनुरूप ही किया गया है।
तहसीलदार के अनुसार वर्तमान में पर्वतीय प्रमाण पत्र में जो दिक्कत आ रही है।उसमें नियमानुसार जो लोग पूर्व में पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा रहे हैं, उसमे नैनीताल जिले के मैदानी क्षेत्र को नहीं जोड़ा गया है। जिसकी वजह से टनकपुर और बनबसा के लोगों के पर्वतीय प्रमाण पत्र बनने में दिक्कते आ रही है।
वही इस सम्बन्ध में तहसीलदार डा० ललित मोहन तिवारी ने बताया कि इस शासनादेश के बारे में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को बताया गया है।साथ ही जिलाधिकारी को समूचे मामले से अवगत भी करा दिया गया है। शासनादेश के मानकों के अनुरूप प्रमाण पत्तों को किसी भी दशा में रोका नहीं जाएगा। पर्वतीय व जाति प्रमाण पत्रों में अलग अलग शासनादेश व माननीय कोर्ट के निर्णय है।जिनके अनुरूप ही प्रमाण पत्र निर्गत करते है।पर्वतीय प्रमाण पत्रों की पात्रता में टनकपुर बनबसा क्षेत्र के मैदानी क्षेत्र को नही रखा गया है। साथ ही जाति प्रमाण पत्र मामले में रविन्द्र जुगरान की रिट पर कोर्ट द्वारा स्वयं 1985 से उत्तराखण्ड में निवासरत लोगो को प्रमाण पत्र का पात्र माना गया है।
इसलिए उक्त मामले को उच्च अधिकारियों के संज्ञान में डाल दिया गया है।वहा से जो भी लिखित आदेश प्राप्त होंगे उसी के अनुरूप प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे।क्योंकि प्रशासनिक अधिकारी संवैधानिक बाध्यताओं व शासनादेश के अनुरूप ही कार्य करता है।इसलिए उन पर प्रमाण पत्रों को रोकने से सम्बंधित आरोप पूर्ण निराधार व मिथ्या है।उनके पास जो भी शासनादेश के अनुरूप पूर्ण दस्तावेज लेकर आएगा उसका प्रमाण पत्र किसी भी दशा में नही रुकेगा।साथ ही अगर उनसे पूर्व किसी ने भी शासनादेश के इतर प्रमाण पत्र किसी को जारी किए है।उस सम्बंध ने लिखित शिकायत पत्र उन्हें दिया जाए वह उक्त प्रकरण की जांच करवा दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की संस्तुति करेंगे।लेकिन प्रमाण पत्रों के नाम पर बेवजह किसी को कोई परेशानी नही होने दी जाएगी।