देहरादून(उत्तराखंड)-सर्किट हाउस एनेक्सी में संस्था अध्यक्ष विजय भट्ट की अध्यक्षता और वरिष्ठ अधिवक्ता दिवाकर भट्ट के संचालन में हुई बैठक में संस्था के आगामी कार्यक्रमों ,दिशा-दशा सहित एजेंडों पर विचार विमर्श हुआ ।संस्था के सफल संचालन और पूर्व में लिए गए निर्णयों को धरातल पर उतारने और असली जामा पहनाने के लिए कई कमेटियो का गठन कर सभी सदस्यों से अपेक्षा की गई की वे अपने दायित्व और कर्तव्य का निर्वहन कर संस्था के उदेश्यों को आगे बढ़ाए। अंत में सभी को संस्था के किसी भी कार्यक्रमों में संस्था के मूल उद्देश्यो को ध्यान में रखते हुए पूरे मर्यादित रूप में कार्य करने और उसकी गरिमा को बनाए रखने और इस दौरान कोई भी objectionable यानी आपत्तिजनक कार्य न करने की शपथ दिलाई गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कोठारी जी ने कहा पांच हजार सालों से हमारी संस्कृति समृद्ध रही है और अपनी धरोहर अपने नाम से हीं ऐसे ही धरोहरों को सजाने संवारने का कार्य कर रही है और उसने इन धरोहरों को सरंक्षित विस्तारित करते हुए नई पीढ़ी को उनसे रूबरू कराने का जो बीड़ा उठाया है वह सराहनीय है।राज्य की पलायन जैसी समस्या के लिए उन्होंने कहा की दैव भूमि के लोग दैवीय आस्था के माध्यम से राज्य को समृद्ध करने में अपनी भागीदारी निभा सकते है इसके लिए वे सभी मूल निवासी जो राज्य से बाहर रह रहे है कुछ समय के लिए यहां आए और कुछ समय जरूर बिताए।उन्होंने सुझाव दिया की संस्था सभी अपेक्षित विषयो पर एक साथ काम नही कर सकती उसे शुरुआत में अपना मोटो तय कर मूल उद्देश्य पर एकाग्र होकर काम करना चाहिए।कहा सरकार भी सभी कार्य एक साथ नही कर सकती इसलिए धरोहर जैसी संस्थाएं अपने बौद्धिक कार्यक्रमों और ग्रुप के माध्यम से अगर कुछ अच्छा करे तो उनकी रिपोर्ट को नीतिगत योजनाओं में शामिल कर सरकार उन पर कार्य कर सकती है।
विशिष्ट अतिथि जोगेंद्र सिंह पुंडीर जी ने कहा जब हम अपनी संस्कृति- संस्कारो से जुड़े रहेंगे तभी अपनी संस्कृति,समाज और परंपराओं का सरंक्षण कर पाएंगे।उन्होंने युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर चिंता जताई और सलाह दी की ऐसे युवाओं को अपने धर्म,संस्कृति,शिक्षा और संस्कार से जोड़े तो उन्हे संस्कारवान बना सकते है।अगर ऐसा करते है तो कोई भी कितनी ही कोशिश उन्हे भटकाने की कर ले मां भारती पर उनकी संतती पर कोई आंच नहीं आएगी।कहा हम में इतना नैतिक साहस होना चाहिए की हम सही को सही और गलत को गलत कह सके।कहा हर किसी को खुश नही किया जा सकता इसलिए अपने नैतिक मूल्यों को ध्यान में रख आगे बढ़े,साथ ही उन्होंने मासिक और साप्ताहिक बैठको के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इनके आयोजन करते रहने की सलाह दी। संस्था के वरिष्ठ पदाधिकारी भुवन चंद्र कांडपाल ने कहा उत्तराखंड संस्कृति और परपराओ का राज्य है।इसके लिए अपनी धरोहर जो कार्य कर रही है उसके इतर भी समय समय पर कैप्सूल कार्यक्रमों का आयोजन होता रहे तो निरंतरता बनी रहेगी।उन्होंने नंदा राज यात्रा को भी धरोहर के एजेंडे में शामिल करने की बात कही।
साकेत जी ने कहा हम अपनी समृद्ध पुरातन संस्कृति से नई पीढ़ी को अवगत कराए,उन्हें अपनी संस्कृति,धरोहरों की जानकारी दे ,उन्हे लिपिबद्ध करे,स्थानीय विधाओं, कलाओं,ब्यजनो से उन्हे जोड़ने के लिए इनकी प्रतियोगिता कराए और इन्हे संस्थागत रूप दे।जिससे वे लोग अपनी संस्कृति को जानने के साथ गर्व महसूस करेंगे।उन्होंने कहा सोशल मीडिया आज प्रचार प्रसार का बडा माध्यम है,इसलिए संस्था को अपने कार्यों को इसके माध्यम से विस्तार देना चाहिए जिससे इससे और ज्यादा लोगों को इसकी जानकारी होंगी और वे लोग इसके उद्देश्यों से जुड़ेंगे।
बबिता जी ने लोक कवि,विचारक गिर्दा को याद करते हुए कहा की हम अपनी धरोहर की ही तरह अपनी संस्कृति,परंपरा,विरासत के लिए कार्य करने वाले पुरोधाओं को सम्मान दे,तभी ऐसे कार्यों की सार्थकता है और इससे ऐसा करने वाले लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी।कुंदन सिंह टकौला जी ने मांड maand को कुमाऊं गढ़वाल की साझा संस्कृति का केंद्र बताया और नंद केसरी पर प्रकाश डाला। सतीश पांडे जी, बीएस मेहता जी,निविदिता परमार जी,सुनीता जोशी,रवि चिलवाल जी,किरोला जी आदि ने भी कई विचारणीय विषयो पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के समापन पर अपने अधक्षीय संबोधन में विजय भट्ट ने सभी का आभार जताया और कहा की अब तक का अपनी धरोहर का समय संगठन को खड़ा करने और संगठनात्मक ढांचे को मजबूती प्रदान करने में गुजरा है,लेकिन अब उसके उद्देश्यों को धरातल पर उतारने का समय आ गया है।इसलिए उन्होंने सभी सदस्यों और पदाधिकारियों से संस्था के विजन को आगे बढ़ाने का संकल्प लेने का आवाहन किया।कुछ विषयो पर चिंता भी जताई कहा स्थानीय मैलो का स्वरूप बदल रहा है कई अन्य विधाओं,कार्यक्रमों ने अपनी मौलिकता खोई है।कहा इसलिए किसी भी तरह की विकृति न आए उसके लिए सजग होने की जरूरत है।नशा मुक्ति अभियान के बाबत उन्होंने कहा पहले इसे इस समस्या से ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों तक सीमित रखा जाएगा और जब उन क्षेत्रों में इसके कार्यों का एक माडल तैयार हो जाएगा तब इस अभियान को इस समस्या से प्रभावित अन्य क्षेत्रों में विस्तारित किया जाएगा।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ अथितियो के दीप प्रज्वलन और सदस्यों के परिचय से हुआ ,आईबी अधिकारी श्याम सुंदर रौतेला ने सदस्यता शुल्क की जानकारी देते हुए अपने विचार रखे और संस्था को चलाने के लिए इसके आर्थिक रूप से सशक्त होने की बात कहते हुये
सभी से सकारात्मक और अपेक्षित सहयोग की अपेक्षा की।इस अवसर पर मनोज जी,दया भट्ट जी,धर्मेंद्र चंद,गैरोला जी,मठपाल जी सहित संस्था और कई संगठनों के गणमान्य और प्रबुद्धजन मौजूद थे।