मॉडल जिले में नशे के कारोबार को उजाड़ने के बाद ही दम लेने की ठान ली है पुलिस ने
लोहाघाट(चंपावत)- नशे के कारोबार के लिए सुर्खियों में रहने वाले लोहाघाट क्षेत्र में अब पुलिस ने नशे के धंधेबाजों को उजाड़ने के बाद ही दम लेने की ठान ली है। एसपी अजय गणपति ने पहली बार यहां की पुलिस व्यवस्था को प्रभावी बनाने का प्रयास किया है, जिसके तहत अब यहां इंस्पेक्टर रैंक का थानेदार होगा। यही नहीं उसके साथ एक वरिष्ठ एसआई की भी सेकंड अफसर के रूप में तैनाती की गई है। एसपी के इस निर्णय एवं नशे के कारोबार को समाप्त करने की उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति को समाज के हर वर्ग ने सराहा है। मालूम हो कि लोहाघाट जिले का सबसे पुराना थाना रहा है। यदि टनकपुर बनबसा को छोड़ दें तो इस थाने के गर्भ से पाटी,रीठासाहिब, पंचेश्वर कोतवाली, चंपावत कोतवाली,तामली पांच थाने एवं कोतवाली निकले हैं। इस थाने का इतना महत्व रहा है कि यहां की हर गतिविधि का असर जिले के अन्य थानों पर पड़ता है। यही वजह है कि यहां अतीत में ऐसे दबंग थानेदारों को तैनात किया जाता रहा जिनके विशिष्ट कार्यों से इसे आदर्श थाने का दर्जा मिला था। लेकिन कुछ समय से पुलिस की निष्क्रियता के चलते यहां नशे का कारोबार फलने फूलने लगा। आज यहां चरस एवं स्मैक के लिए ज्यादा दौड़ धूप नहीं करनी पड़ती है। मुख्यमंत्री के मॉडल जिले में नशे के कारोबार ने जो जगह बनाई है, उसकी गूंज विधानसभा में भी होने लगी है। वैसे जिले में उच्च शैक्षिक स्तर के लिए अपनी पहचान रखने वाले लोहाघाट नगर का बौद्धिक तबका नशे एवं नशेड़ियों की गहराती जा रही पैठ से काफी चिंतित है। उनके सामने सवाल यह है कि वह अपना दर्द किसे बांटे ?
वैसे यहां से मैदानी क्षेत्रों के लिए चरस की सप्लाई व वहां से स्मैक आने की चर्चाएं पहले से ही वातावरण को गर्म किए हुए हैं। इन चर्चाओं में दम भी है। आखिर मैदानी क्षेत्रों से यहां आने वाली स्मैक लोहाघाट क्षेत्र में ही क्यों पकड़ी जाती है? जबकि बनबसा से यहां आने तक सड़क मार्ग में कई बैरियर हैं। यह भी सत्य है कि इस जानलेवा धंधे का थोक कारोबारी भी होगा, जो रोजगार के नाम पर युवकों को फंसाकर उन्हीं का भविष्य बर्बाद करने में तुला हुआ है। इस मामले में लोगों की चुप्पी भी कम खतरनाक नहीं है। लोगों को यह सोचना होगा कि जंगली आग की तरह फैल रहा नशे का कारोबार एक-न-एक दिन उनके परिवार को भी लपेट लेगा। तब जागने से तो हाथ मलते रह जायेंगे, जब उनके परिवार के बच्चे इस तपिश में झुलस जायेंगे; इस संबंध में जनप्रतिनिधियों को भी सोचना होगा कि वे विकास किसके लिए करने जा रहे हैं? उनके द्वारा आम लोगों के हित में किये जा रहे विकास कार्यों का उपभोग कौन करेगा? जबकि उपभोग करने वाले तो जिंदी लाश बनते जा रहे हैं।
लोहाघाट के पहले कोतवाल अशोक कुमार ने संभाला कार्यभार
लोहाघाट। नए कोतवाल अशोक कुमार ने ऐसे समय में लोहाघाट थाने का कार्यभार संभाला है, जब यहां के शांत वातावरण में चरस एवं स्मैक की महक ने हर व्यक्ति के माथे में चिंता की लकीरें आई हुई हैं। नशे के कारोबारी के दुश्मन माने जाने वाले अशोक कुमार का कहना है कि वे पहले अपना सूचना तंत्र मजबूत करेंगे, जिससे वे पाताल से भी समाज के दुश्मनों को बेलगाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने लोगों से अपेक्षा की है कि वे ऐसे समाज के दुश्मनों तक पहुंचने की केवल राह बताने में सहयोग करें,आगे का रास्ता वे स्वयं खोज लेंगे।