नैनीताल(उत्तराखंड)- उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से पुलिस सिपाही व अन्य निचले कर्मचारियों के उत्पीड़न के कई मामले सामने आ रहे हैं। ताजा मामले में नैनीताल जनपद के कालाढूंगी थाने में तैनात एक महिला कांस्टेबल का वीडियो सामने आया है जिसमें वह अपनी ही थानेदार पर उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाती नजर आ रही है जहां इस वीडियो में महिला कांस्टेबल रोते हुए न्याय की गुहार लगा रही है वही इस वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस विभाग ने इस पर जांच बैठा दी है।
यहां पर सवाल यह नहीं कि उच्च अधिकारी ने इस प्रकरण पर जांच बैठा दी है बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों प्रदेश के विभिन्न स्थानों से सिपाहियों के उत्पीड़न के मामले सामने आ रहे हैं। जिसके चलते सिपाही सार्वजनिक रूप से अपनी पीड़ा को सामने लाने से भी नहीं हिचकिचा रहे हैं।
नैनीताल जनपद के महिला सिपाही प्रकरण में महिला ने जहां अपने ही थानेदार पर गंभीर आरोप लगाए हैं वहीं उन्होंने अपने थानेदार पर बेवजह उनकी ड्यूटी अधिक समय तक लगाए जाने उनके पति का ट्रांसफर कराये जाने सहित कई अन्य आरोप लगाए हैं साथ ही रोते हुए न्याय की गुहार वीडियो में लगाई है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस महकमा भी सकते में हैं साथ ही आनन-फानन में इस प्रकरण पर पुलिस ने अपनी जांच बैठा दी है।
इसके अलावा विकासनगर के ट्यूनी थानेदार व सिपाही के बीच मारपीट का प्रकरण भी सामने आ चुका है। जिसमें भी दोनों ही लोगों को पुलिस अधिकारियों द्वारा सस्पेंड कर जांच बिठाई गई है। रुद्रपुर में भी पुलिस लाइन के फालवर द्वारा उच्च अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगा उसके साथ अपराधियों की तरह मारपीट के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इन सभी मामलों को देखते हुए लगता है कि कहीं ना कहीं पुलिस महकमे में वर्तमान में प्रदेश में सब कुछ सही नहीं चल रहा है।
प्रदेश में शांति व्यवस्था बनाए रखने लॉयन ऑडर को स्थापित करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका पुलिस के कांस्टेबल की ही मानी जाती है। क्योंकि कॉन्स्टेबल ही रात दिन सड़कों पर घूम कर वह अपनी ड्यूटी को समर्पण के साथ पूरा कर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। लेकिन उसके बावजूद भी अगर पुलिस महकमे की सबसे छोटे कर्मचारी सिपाही के उत्पीड़न के मामले सामने आ रहे हैं तो इस पर उच्च अधिकारियों को गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है। साथ ही इस बात की भी मॉनिटरिंग की आवश्यकता है कि जिन पुलिस अधिकारियों को स्थानीय कोतवाली व थानों का चार्ज दिया गया है उनका व्यवहार अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ कैसा है।
इस मामले में भी उच्च अधिकारियों को कड़े कदम उठाते हुए समय-समय पर सभी प्रदेश के थाना अध्यक्ष व उच्चाधिकारियों के अधीनस्थों के प्रति व्यवहार पर मॉनिटरिंग की जानी चाहिए। ताकि लगातार उत्पीड़न के सामने आ रहे मामलों की वजह से सिपाहियों के बीच आक्रोश ना पनप सके।इस गम्भीर मुद्दे पर उत्तराखण्ड डीजीपी अशोक कुमार को मंथन कर कड़े कदम जल्द उठाये जाने कि आवश्यकता है।ताकि प्रदेश के विभिन्न थानों,कोतवाली,पुलिस लाइन व अन्य स्थानों में ड्यूटी में तैनात पुलिस सिपाही बिना किसी मानसिक अवसाद के अपनी ड्यूटी को समर्पण भाव के साथ निभा सके।