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चंपावत(उत्तराखंड)- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की परिकल्पना के अनुसार चंपावत को मॉडल जिला बनाने के लिए यूकास्ट, सीमैप एवं पीएमओ कार्यालय के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के प्रतिनिधि सानिद पाटिल के द्वारा अभी तक बनाई गई कार्य योजना पर विस्तृत चर्चा की गई। कार्यशाला का वर्चुवली उद्घाटन करते हुए महानिदेशक यूकास्ट डा. दुर्गेश पंत ने जिलाधिकारी समेत सभी जनप्रतिनिधियों, वैज्ञानिकों एवं किसानों का स्वागत करते हुए कहा कि चंपावत जिले की भौगोलिक परिस्थितियों में वैज्ञानिकों द्वारा ऐसी कार्य योजना तैयार की गई है जो जिले की तस्वीर बदलने के अलावा रोजगार को बढ़ावा देगी। उन्होंने एरोमेटिक के क्षेत्र में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा चंपावत जिले में सीमैप, यूकास्ट एवं स्थानीय प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से इस दिशा में नए आयाम जुड़ने जा रहे है।
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डीएम नवनीत पांडे ने मुख्य अतिथि तथा वैज्ञानिकों का स्वागत किया। कहा जिले में किसानों के पास कम जोत होने, उस पर बंदरों एवं अन्य जंगली जानवरों द्वारा किसानों की मेहनत में पानी फेरने से परेशान लोगों को जब मेहतनामा नहीं मिला तो उन्होंने माटी से ही नाता तोड़ दिया। मॉडल जिले की अवधारणा से अब लोगों का पुनः माटी से जुड़ने का मूड बनता जा रहा है। यहां के हाड़तोड़ मेहनत करने वाले किसानों को ऐसी तकनीकी बताने की जरूरत है जो उन्हें प्रतिवर्ष दो लाख रुपए पैदा कर सके।
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यूकोस्ट के संयुक्त निदेशक डा. डीपी उनियाल ने प्रोजेक्टर के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि नोडल एजेंसी के रूप में यूकास्ट ने आज तक बनाई गई कार्य योजना के जरिए क्या प्रयास किए गए है। कहा मॉडल जिले में तेजी से यहां के किसानों व बच्चों में लगातार वैज्ञानिक सोच बढ़ती जा रही है। जिले में साइंस कॉरिडोर की स्थापना के बाद और आधुनिक ज्ञान विज्ञान की जानकारी मिलने से सामाजिक व आर्थिक विकास होगा। सीमैप के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक मनोज सेमवाल ने बताया कि सी मैप के जरिए चंपावत जिले में हर संभावना में कार्य करते हुए वैज्ञानिक सोच को खेतों तक पहुंचाने के अच्छे परिणाम सामने आते जा रहे हैं।
इस अवसर पर सीमैप की ओर से 20 किसानों को केमोमाइल के बीज उपलब्ध कराए गए, जिसमे प्रत्येक किसान अपने खेत में उत्पादन कर सकेगा। इसकी गंध से न केवल जंगली जानवर दूर रहेंगे बल्कि यह ऐसी चाय बनाने के काम में भी आता है जो व्यक्ति को तनाव मुक्त करती है। सीडीओ आरएस रावत ने एरोमा के लिए यहां की जलवायु को अनुकूल बताते हुए कहा कि वैज्ञानिको को यह प्रयास करना होगा कि किस प्रकार जंगली जानवरों से किसानों को राहत दी जा सके। डीएफओ आरसी कांडपाल ने इकोनामी एवं इकोलॉजी में समन्वय स्थापित करते हुए जंगलों को आग से बचाने के लिए पीरूल का प्रबंधन किए जाने पर विशेष जोर दिया।
इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय, मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि प्रकाश तिवारी ने भी अपने विचार रखें। कार्यशाला में ब्लॉक प्रमुख बाराकोट विनीता फर्त्याल, चंपावत की रेखा देवी, यूकास्ट के वैज्ञानिक पूनम गुप्ता, वरिष्ठ वैज्ञानिक पीयूष जोशी, कार्यक्रम समन्वयक देवेंद्र सिंह, श्याम नारायण पाण्डेय, शंकर दत्त पांडे, विभिन्न विभागीय अधिकारी, किसान आदि उपस्थित रहे।
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