उत्तराखण्ड के कुमाऊँ का ऐसा पहाड़ी नूण’ जिसके स्वाद के देश नही विदेश में भी है दीवाने,पहाड़ी नूण का स्वाद लेने आओ कभी उत्तराखण्ड

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अमित उप्रेती

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नैनीताल अल्मोड़ा हाइवे(काकड़ीघाट)- पलायन और बेरोजगारी का सबसे सटीक जवाब है स्वरोजगार। स्वरोजगार यानी एक नई सोच, जो आपके भीतर आत्मबल और आत्मसम्मान को जन्म देती है। उत्तराखंड में महिलाओं ने स्वरोजगार को ही अपना हथियार बनाया है। आप अगर पहाड़ से हैं, तो पहाड़ के ‘पिस्यूं लूण, पिसी नूण’ का स्वाद आप कभी नहीं भूल सकते। वक्त के साथ साथ ये स्वाद हम भूलते जा रहे हैं। लेकिन पहाड़ की कुछ महिलाओ ने सिलबट्टे में पिसे हुए नमक को ही सुपरहिट बना कर उसे स्वरोजगार का साधन बना लिया है। इस नमक की डिमांड सिर्फ उत्तराखंड तक सीमित नहीं है बल्कि ये नमक देश और विदेशो के लोगों की जुबान पर चढ़ गया है। सात समंदर पार अमेरिका तक से इस नमक की डिमांड आने लगी है। नमक भी एक तरह का नहीं बल्कि 24 फ्लेवर वाला नमक।लेकिन इसका स्वाद लेने आपको उत्तराखण्ड के कुमाऊं क्षेत्र के अल्मोड़ा काकड़ीघाट आना पड़ेगा।

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दरसअल इस इलाके में अल्मोड़ा की महिलाओ ने पहाड़ी नमक को सुपरहिट कर दिया, गांव में रहकर ही सिलबट्टे में अजवाइन, लहसुन, जीरा, सहित अन्य पहाड़ी उत्पादों से मिलाकर इस नमक को तैयार किया जाता है। आप कभी अल्मोड़ा के काकरीघाट आइए। यहां की महिलाओ को देखकर आपको अंदाज होगा कि वास्तव में पहाड़ में स्वरोजगार की काफी संभावनाएं हैं। इन महिलाओं ने एक बेहतरीन आइडिया अपनाया। घर का नमक, जिसको पहाड़ी भाषा में पिसी नूण कहते है। जब इसे सिलबट्टे में अपने हाथों से तैयार किया जाता है, तो इसका स्वाद ही गजब होता है। यहां सिर्फ आपको एक तरह का पिसा नमक नहीं मिलेगा, बल्कि 24 प्रकार के अलग अलग वैरायटी का पिसा हुआ नमक आपको यहां दिखेगा। जिसकी मांग अब विदेशों में भी होने लगी है।अल्मोड़ा हल्द्वानी हाइवे पर काकड़ीघाट के पास कुछ ग्रामीण महिलाओं ने स्वरोजगार के रूप में पहाड़ी नूण की दुकान खोल पहाड़ी नमक को हिट कर दिया है।

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उत्तराखण्ड के कुमाऊं क्षेत्र में घूमने को आने वाले पर्यटकों ने अगर इस दुकान से एक बार नमक की खरीददारी की तो वह बार बार बेहद दूर से पिसी नूण के लिए उत्तराखण्ड के इस इलाके में पहुँचते है। इस कारोबार से जुड़ी महिलाओ का कहना है। कि पिछले 6 सालों पहले उन्होंने इस काम को शुरू किया था। समय के साथ- साथ अब पहाड़ी नूण की मांग भी बहुत होने लगी है। उत्तराखंड सहित यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बेंगलोर, और विदेशों में अमेरिका, ब्रिटेन सहित अन्य देशों से भी लोग इस नमक के लिए यहां आते है।

उत्तराखण्ड के पहाड़ी नूण को एक ब्रांड बनाने वाली महिलाओं के अनुसार शुरुआत में उन्हें कई तरह की परेशानी हुई लेकिन बाद में धीरे धीरे अन्य महिलाओं को जोड़ा गया। कई महिलाओं को इसकी जानकारी दी गई। वर्तमान में महिलाएं गाँव गाँव में समूह बना कर इस काम को कर रही गई। और इस कार्य से अच्छी आमदनी कर रही है।इस कारोबार से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि राज्य सरकार अगर ऐसे छोटे छोटे उद्योग को बढ़ावा दे तो पहाड़ो में काफी उद्योग खुल सकते है। जिससे यहां के युवाओ को पहाड़ो में ही रोजगार मिल सकेगा। साथ ही उत्तराखण्ड से हो रहे पलायन को भी रोका जा सकेगा।

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उत्तराखण्ड के काकड़ी घाट क्षेत्र में स्वरोजगार के रूप में पहाड़ी नूण को 10 से 20 रुपये पाउच में बेच इस उत्तराखंडी नमक को देश ही नही विदेश तक मे पहचान दिलाने वाली उत्तराखंडी महिलाओं की जितनी सराहना की जाए वह कम है।उत्तराखण्ड सरकार को भी चाहिए कि पलायन को कम करने के प्रयासों के रूप में पहाड़ी उत्पादों को स्वरोजगार से जोड़ने वाले लोग प्रोत्साहित हो।ताकि उत्तराखंडी की अन्य विधाओं को भो आने वाले समय मे स्वरोजगार से जोड़ा जा सके।

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