रुद्रप्रयाग जिले के डायट रतूड़ा में नई शिक्षा नीति पर वेबीनार का हुआ आयोजन,राज्य के 524 विशेषज्ञों शिक्षकों ने किया प्रतिभाग

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रूद्रप्रयाग(उत्तराखण्ड)- उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग जिले के डायट रतूड़ा द्वारा नई शिक्षा नीति पर चर्चा के लिए राज्य स्तरीय वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबिनार का शुभारंभ शिक्षा निदेशक एआरटी उत्तराखंड सीमा जौनसारी द्वारा किया गया।वेबिनार में राज्य भर से कुल 224 विशेषज्ञों शिक्षकों ने जहां प्रतिभाग किया। वही वेबीनार का संचालन डायट रतूड़ा की वरिष्ठ प्रवक्ता भुवनेश्वरी चंदानी द्वारा किया गया।

इस अवसर पर शिक्षा निदेशक एआरटी उत्तराखंड सीमा जौनसारी ने कहा कि उत्तराखंड के कस्तूरबा गान्धी विद्यालय समता मूलक शिक्षा के विकास में बहुत अच्छी भागीदारी निभा रहे हैं। उन्होंने कस्तूरबा गांधी विद्यालयों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वहां अध्ययनरत बालिकाएं राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। बेवीनार के मुख्य अतिथि प्रो0 एन सी ई आर टी नई दिल्ली के संयुक्त निदेशक प्रो0 अमरेंद्र प्रसाद बेहरा ने नई शिक्षा नीति 2020 में देश के 26 करोड़ बच्चों की आवश्यकताओं और भावनाओं का सम्मान करते हुए उन सभी प्रावधानों का समावेश करने का प्रयास किया गया है जो एक सभ्य समाज के सभ्य मानव में हर कोई देखना चाहता है।इससे पूर्व कार्यक्रम के संयोजक डायट रतूड़ा के प्राचार्य सुधीर सिंह असवाल ने अपने स्वागत संबोधन में निदेशक ए आर टी उत्तराखंड, मुख्य अतिथि प्रो 0बेहरा, मुख्य वक्ता प्रो0 निमिरत कौर एवं प्रो0भारती सहित राज्य भर के शिक्षा अधिकारियों व शिक्षकों का अभिनंदन करते हुए सभी उपस्थित अतिथियों का आभार भी व्यक्त किया। प्राचार्य सुधीर असवाल ने कहा कि इस वेबीनार से हमें नई शिक्षा नीति के विभिन्न प्रावधानों को समझने में मदद मिलेगी।

वेबीनार की मुख्य वक्ता डॉ0 निमिरत कौर एसोसिएट प्रोफेसर अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय बैंगलूरु ने कहा कि नई शिक्षा नीति के सभी प्रावधानों को 27 अध्यायों में समेटते हुए एक छोटे विश्व रूपी विविधताओं के देश भारत की भावी शिक्षा को इसकी आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के प्रयास के लिए मील का पत्थर साबित होगा। श्रीमती जौनसारी ने कहा कि उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने समग्र शिक्षा के प्रारंभ होने से पूर्व ही बालिकाओं की शिक्षा विशेषकर कस्तूरबा गान्धी बालिका विद्यालयों में समतामूलक और समेकित शिक्षा के प्रबंध (कक्षा 1 से 12 तक के लिए) कर दिए थे। अब समग्र शिक्षा के अन्तर्गत भी इस ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि गरीब और अपवंचित वर्ग की किसी भी बालिका के लिए आगे बढ़ने के अवसरों की कमी परिवार या समाज के द्वारा न हो। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड शिक्षा विभाग की इस पहल का परिणाम है कि हमारी बालिकाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। उन्होंने अध्यापकों का आवाह्न करते हुए कहा कि समाज में स्कूली शिक्षा में जैण्डर गैप को समाप्त करने के लिए लिए भी अध्यापक समाज का मार्गदर्शन करें।

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वही प्रो0 बेहरा ने बताया कि भौगोलिक रूप से वैविध्य लिए हुए हिमालयी राज्यों के 117 जिलों के लिए समतामूलक एवं समावेशी शिक्षा के लिए विशेष उपबन्धों के साथ विशिष्ट प्रावधानों की व्यवस्था है। देश के 26 करोड़ स्कूली बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने, विशेष रूप से CWSN बच्चों को शिक्षा के मुख्य धारा से जोड़ने व मुख्य धारा में बनाये रखने के विशेष प्रावधान किए गए हैं।
देश के 85 लाख शिक्षकों को प्रतिवर्ष 50 घन्टों का उच्च कोटि का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गयी है ताकि हम 21वीं सदी के कौशलों को प्राप्त करने के अवसरों को दैनिक सीखने – सिखाने की प्रक्रिया में समाहित कर सकें।

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डाॅ० गुरूप्रसाद सती ने NEP के छठे अध्याय में वर्णित बिन्दुओं के बारे में बताते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में इस बात की पुरजोर वकालत की गई है कि किसी भी बच्चे के विकास में उसकी कमजोर भौगोलिक परिस्थितियाँ, कमजोर पारिवारिक पृष्ठभूमि,शारीरिक विशेष आवश्यकता की अवस्था बाधक न बने।जबकि डॉ0 भारती ने बताया कि अब तक की शिक्षा नीतियों में जहां समावेशी शिक्षा को केवल दिव्यांग बच्चों तक सीमित कर दिया गया था वहीं अब इसे व्यापक रूप से विस्तृत कर दिया गया है। उन्होंने पं0 विष्णु शर्मा जी रचित पंचतन्त्र का उदाहरण देते हुए बताया कि पंचतन्त्र विश्व का वह पहला पाठ्यक्रम है जिसे बच्चों की आवश्यकताओं को पहचान कर उनकी आवश्यकतानुसार बनाया गया है, अतः समावेशी शिक्षा का इससे अच्छा उदाहरण कोई नहीं है।

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उन्होंने बताया की वर्तमान तक बच्चों में 21 प्रकार की अक्षमताओं को पहचाना गया है।डॉ0 कौर ने NEP में समतामूलक और समावेशी शिक्षा के लिए निहित किये गये कुछ प्रावधानों का जिक्र करते हुए बताया कि नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य “ऐसे इन्सानों का विकास करना है जो संविधान द्वारा परिकल्पित समाज के निर्माण में योगदान कर सकें”।
कार्यक्रम समन्वयक डायट रतूड़ा के प्रवक्ता डॉ0 विनोद कुमार यादव ने बताया कि अतिथियों के रूप मे वेबीनार में डॉ0 पंकज सिंह एसोसिएट प्रोफेसर देशबन्धु कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय, डॉ0 विनोद नौटियाल, योग विभाग केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल, डॉ0 हेमलता यादव , बी एम कॉलेज इन्दौर (मध्य प्रदेश) विशेष रूप से उपस्थित थे।वेबीनार के लिए राज्य भर से 536 शिक्षकों ने रजिस्ट्रेशन किया था, जिनमें से कमजोर नेटवर्क के चलते अलग अलग समय पर 524 शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।वेबीनार के आयोजन में दीपक रावत की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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