खटीमा(उत्तराखंड)- वर्तमान समय में लगातार युवाओं में बढ़ता नशे का प्रचलन जहां चिंता का विषय है वही लगातार कुकुरमुत्तो की तरह खुलते नशा मुक्ति केंद्र युवाओं को नशा मुक्ति की जगह जीवन मुक्ति केंद्र साबित हो रहे है।आए दिन नशा मुक्ति केंद्रों पर बड़ते मौत के मामले चिंता का सबब बनते जा रहे है।खटीमा के चकरपुर निवासी युवा सूरज कापड़ी की नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती के दौरान हुई संदिग्ध मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए है।जिनके जवाब मिल पाएंगे या नहीं यह आने वाला समय ही बता पाएगा।
चार बहनों के इकलौते भाई 28वर्षीय सूरज की सितारगंज नशा मुक्ति केंद्र में हुई संदिग्ध मौत के मामले के बाद अब कोई भी पिता नशा मुक्ति के लिए अपने जिगर के टुकड़े को नशा मुक्ति केंद्र में नही भेजना चाहेगा।मात्र एक सप्ताह पहले ही अपने बेटे के जीवन की नई राह की उम्मीद में चकरपुर निवासी पूर्व सैनिक व व्यवसाई लक्ष्मी दत्त कापड़ी ने अपने बेटे को सितारगंज स्थित नशा मुक्ति केंद्र न्यू लाइफ में भर्ती कराया था।पिता को उम्मीद थी की नशे की लत को छुड़वा बेटे को जीवन की राह को बेहतर किया जा सके।लेकिन शायद ईश्वर को कुछ ओर ही मंजूर था।जिस बेटे के नशा मुक्त जीवन की उम्मीद में 15मई को सितारगंज नशा मुक्ति केंद्र भेजा गया था।एक सप्ताह बाद बेटे के निर्जीव शरीर को देख पिता सहित परिजनो का कलेजा फट गया।नशा मुक्ति की जिस उम्मीद से नशा मुक्ति केंद्र संचालक को अपने बेटे को पिता द्वारा सौंपा गया था। वही संस्था संचालक द्वारा उनके बेटे सूरज की तबियत खराब होने का हवाला दे उसकी मौत हो जाने की सूचना दे सूरज के शव को चकरपुर स्थित घर भिजवा दिया गया।इकलौते पुत्र को इस हाल में देख पिता पत्थर हो गया।
लेकिन जब नशा मुक्ति केंद्र से घर पहुंचे सूरज के शव को परिजनो व रिश्तेदारों द्वारा गहनता से देखा गया तो शव में मारपीट की दरिंदगी के वो निशान दिखे।जिसने सूरज की मौत को हत्या के रूप में बदल दिया।परिजनो द्वारा सूरज के शव का पुलिस द्वारा पंचनामा की कार्यवाही करवा उप जिला चिकित्सालय खटीमा में चिकित्सकों के पैनल से पोस्टमार्टम कराया गया।ताकि मौत के असल कारणों का पता चल सके।
वही सूरज के चचेरे भाई दीपक कापड़ी के अनुसार उनके चाचा लक्ष्मी दत्त कापड़ी ने उनके भाई सूरज को जहां 15 मई को सितारगंज के न्यू लाइफ नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया था। वही 21मई को दोपहर के समय नशा मुक्ति केंद्र संचालक का उनके चाचा को फोन आया कि उनकी बेटे की तबीयत खराब है जिसे पीलीभीत के एक निजी अस्पताल में ले जाया जा रहा है। जिस पर उनके चाचा ने आनन-फानन में पीलीभीत के लिए रवानगी की। लेकिन खटीमा पहुंचते ही फिर नशा मुक्ति केंद्र संचालक का फिर फोन आया कि उनके बेटे की मृत्यु हो चुकी है जिस के शव को उनके घर चकरपुर भेजा जा रहा है। वही नशा मुक्ति केंद्र के दो कर्मचारी उनके भाई के शव को एंबुलेंस के माध्यम से चकरपुर स्थित आवास पर छोड़ कर चले गए। लेकिन जब सूरज के शव का निरीक्षण किया गया तो उसके शरीर पर चोटों के बेहद गंभीर निशान पाए गए। जिसके बाद सूरज के शव का पोस्टमार्टम कराने का परिजनों ने निर्णय लिया। वही अब सूरज के शव का पोस्टमार्टम करवा जहां उसका अंतिम संस्कार बनबसा के शारदा घाट पर कर दिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद केंद्र संचालक के खिलाफ सितारगंज कोतवाली में मुकदमा लिखाने की बात मृतक सूरज के भाई द्वारा कही गई है। साथ ही अपने भाई की हत्या की भी आशंका व्यक्त की गई है।
बड़ा सवाल आखिर सूरज को इतनी बेरहमी से किसने मारा
सूरज की मौत के बाद अब जहां नशा मुक्ति केंद्र पर भी सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। साथ ही बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि आखिर इतनी बेरहमी के साथ सूरत के साथ किस ने मारपीट की। सूरज के शव पर चोट के गंभीर निशान उस की संदिग्ध मौत की ओर साफ इशारा कर रहे हैं। सूरज के दाएं हिप्स में जहां पूरी तरह की खाल उधड़ी हुई पाई गई वही शरीर में विभिन्न स्थानों पर चोट के कई निशान मिले हैं। जिसके आधार पर ही उनके परिजनों ने अपने बेटे की हत्या की आशंका व्यक्त कर अब न्याय की गुहार लगाई है। गौरतलब है कि आए दिन नशा मुक्ति केंद्र पर मौत के मामले जहां सामने आते रहते हैं वही एक बार फिर सूरज कापड़ी की मौत ने नशा मुक्ति केंद्रों की संचालन व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए है। वही समाज के उन परिजनो को सोचने पर मजबूर कर दिया है जो अपने बच्चो के नशा मुक्त जीवन के लिए मोटी फीस दे नशा मुक्ति केंद्रों का रुख करते है।