अजब गजब: बनबसा भारत नेपाल सीमा पर लाखो की नगदी जेवरात हुए बरामद,लेकिन किस अदृश्य व्यक्ति से हुए बरामद इसका नही कोई सुराख, पढे अधूरी इस खबर के सच को सामने लाती हमारी बेबाक पड़ताल

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सूत्रों के अनुसार एसएसबी के हाथ से फिसले दो आरोपी नेपाली नागरिक तो संयुक्त अभियान में लाखो की बरामदगी की कहानी का हुआ अवतार,

पुलिस के प्रेस नोट पर भी उठे सवाल जब मामला एसएसबी का तो आखिर प्रेस नोट में क्यों छुपाए गए तथ्य,की एसएसबी की कस्टडी से पेशाब के बहाने नेपाल को फरार हुए दोनो आरोपी नेपाली नागरिक

बनबसा(चंपावत) – चंपावत जिले के बनबसा भारत नेपाल सीमा पर एसएसबी व पुलिस द्वारा आए दिन कोई ना आपराधिक मामले में खुलासा या धर पकड़ की जाती है।चाहे वह चरस,स्मैक की बरामदगी हो या अन्य राज्यों से अपराध कर बनबसा नेपाल सीमा से फरार होने की कोशिशों में पकड़े नेपाली मूल के अपराधी प्रवृति के लोगो की गिरफ्तारी के मामले।अधिकतर मामलों एसएसबी व पुलिस के संयुक्त अभियान के मामले मीडिया के सामने प्रेस नोट के माध्यम से सामने आते है।मीडिया जस का तस उन्हे प्रसारित भी करती है।वर्तमान पत्रकारिता में किसी मामले की पड़ताल की कमी किसी भी खबर के दूसरे पहलुओं से पर्दा नहीं उठा पाते है।

ऐसी ही एक खबर बेबाक उत्तराखंड मीडिया को चंपावत पुलिस मीडिया व्हाट्स एप ग्रुप के माध्यम से मिली,जो की 07 जुलाई दिन में लगभग ढाई बजे ग्रुप के माध्यम से प्रसारित की गई।उक्त खबर में बनबसा नेपाल सीमा पर पुलिस एसएसबी की संयुक्त कार्यवाही में चार लाख बाइस हजार से अधिक की नगदी व लाखों के जेवरात की बरामदगी दिखाई गई।लेकिन उक्त बरामदगी किस से हुई इसका प्रेस नोट में कोई विवरण नहीं दिखा।अब बड़ा सवाल यह सामने आया की जब बनबसा भारत नेपाल सीमा पर लाखो की भारतीय करेंसी व भारी मात्रा में जेवरात बरामद हुए।तो आखिर किस अदृश्य शक्ति से हुए जिनके नाम सामने नहीं आए,या कोई व्यक्ति ईमानदारी के साथ नगदी व जेवरात से भरा बैग भारतीय सीमा पर छोड़ गया।जिसे जवानों ने बरामद किया।

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उक्त मामले की पड़ताल हेतु बेबाक उत्तराखंड द्वारा एसएसबी के मीडिया कोडिनेटर व बनबसा बैराज पुलिस इंचार्ज के फोन लगाए गए जो लगे नही।तो हमने आधी अधूरी इस खबर के पीछे की कहानी को सामने लाने का बीड़ा उठाया।साथ ही सीमा पर हुई इस बरामदगी से संबंधित जानकारी हेतु अपने सूत्रों के घोड़े दौड़ाए।जो चौकाने वाले तथ्य सामने आए।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंजाब से लूट की घटना को अंजाम दे दो नेपाली नागरिक बनबसा बॉर्डर से नेपाल जाने के प्रयास के दौरान एसएसबी टीम के पकड़ में आए। स्कैनर मशीन में उनके बैग से 500 व 100 की भारतीय करेंसी में कुल चार लाख बाइस हजार एक सौ रुपए जहां बरामद हुए वही भरी मात्रा में पीली धातु के जेवरात भी एसएसबी ने बरामद किए।लेकिन इस दौरान पेशाब के बहाने दोनो नेपाली नागरिक एसएसबी को चकमा दे नेपाल की तरफ फरार हो गए।काफी खोजबीन के बाद जब वह पकड़ में नहीं आए तो उक्त मामले की जानकारी बनबसा थाना पुलिस से साझा की गई।साथ ही पकड़ी गई भारतीय करेंसी व जेवरात बनबसा बैराज चौकी पुलिस के सपुर्द किए गए।हमारे पुष्ट सूत्रों के अनुसार। उक्त फरार दोनो नेपाली नागरिकों के नाम सूरज भूल पुत्र कुशे भूल निवासी गांव पालिका के आई सी वार्ड नंबर दो जिला डोटी नेपाल व दूसरे फरार नेपाली का नाम कुमार भूल पुत्र रतन भूल निवासी गांव पालिका के आई सी जिला डोटी नेपाल है।वही हमारे सूत्रों के अनुसार जहां पंजाब पुलिस लूट की घटना को अंजाम देने वाले दोनो नेपाली नागरिकों की गिरफ्तारी हेतु बनबसा पहुंच चुकी है,वही एक आरोपी नेपाली को नेपाल पुलिस ने पकड़ भी लिया है लेकिन उक्त नागरिक को एसएसबी को सपुर्द नही किया है।

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अब बड़ा सवाल यह है की जब दोनो नेपाली आरोपी जांच पड़ताल के दौरान एसएसबी को चकमा देकर फरार हो गए तो उक्त मामले को आखिर क्यों छुपाए गया,पुलिस प्रेस नोट के आधार पर कई मीडिया ग्रुप में खबर जस की तस चला भी दी गई,लेकिन किसी जिम्मेदार मीडिया ने उक्त मामले के पीछे के तथ्य को जानने की जहमत नहीं उठाई की आखिर जब लाखो की नगदी व जेवरात बरामद हुए तो आखिर वो आए कहा से।ये कही ना कही जैसा दोगे वैसा ही छापेंगे की गलत परम्परा को भी आगे बड़ाने का वर्तमान मीडिया का ट्रेंड नजर आया।फिलहाल हम हमेशा सच के करीब रहकर अपने पत्रकारिता धर्म का निर्वाहन करते रहे है।अपने दर्शकों को खबर के पीछे का सच दिखाने की यह कोशिश भर है।हालाकि चम्पावत पुलिस ने भले ही फोर्स से जुड़ा मामला होने के चलते प्रेस नोट में पूरी जानकारी शेयर ना की हो लेकिन सूत्रों के अनुसार बनबसा पुलिस अपनी लिखत पढत में सच के करीब है।अब सवाल सिर्फ यही उठता है कि भारत नेपाल सुरक्षा का जिम्मा लिए एसएसबी की भारी सुरक्षा को चकमा दे दोनो नेपाली नागरिक आखिर कैसे फरार हो गए???

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Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 18 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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