सुभाष बड़ौनी,उत्तरकाशी
उत्तरकाशी(उत्तराखंड)- आज हम आपको सर्पगंधा औषधीय पौधे के बारे में बताने जा रहे है।
सर्पगंधा द्बीजपत्री औषधीय पौधा है जिसकी ऊंचाई मुख्यता 6 इंच से लेकर 2 फुट तक होती है। इसके फूल मुख्य रूप से गुलाबी और सफेद रंग के ही होते है। इस पौधे का वानस्पतिक नाम रौवोल्फिया सर्पेन्टाइना (Rauvolfia serpentina) है। इसमें में रिसार्पिन तथा राउलफिन नामक उपक्षार पाया जाता है।
सर्पगन्धा के नाम से ज्ञात होता है कि यह सर्प के काटने पर दवा के नाम पर प्रयोग में आता है। सर्प काटने के अलावा इसे बिच्छू काटने के स्थान पर भी लगाने से राहत मिलती है। इस पौधे की जड़, तना तथा पत्ती से दवा का निर्माण होता है। इस पौधे पर अप्रैल से लेकर नंवबर तक लाल फूल लगते है। इसकी जड़े सर्पीली होती है। सर्पगंधा औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है। यह एक बहुवर्षीय फसल है। इससे अनिद्रा, उन्माद, मानसिक तनाव, उच्च रक्तचाप, पेट की कृमि, हिस्टीरिया आदि रोगों से निजात पाने के लिए दवाएं तैयार की जाती हैं।
इन दिनों आयुर्वेदिक एवं हर्बल दवाओं की मांग बढ़ने के कारण सर्पगंधा की मांग में भी बढ़ोतरी हो रही है। सर्पगंधा की खेती पारंपरिक खेती से बेहतर विकल्प है।