सुभाष बड़ोनी
उत्तरकाशी(उत्तराखंड)-.प्रकृति ने देवभूमि उत्तराखंड को बहुत ही खूबसूरत और शानदार खजाना दिया है। फूलों की घाटी हो,या ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बुग्याल और ग्लेशियरों से बने ताल हों, प्रकृति ने पहाडों में हर जगह-जगह कुछ न कुछ खूबसूरती दी है। देश- विदेश के सैलानी इन सब को देखने के लिए अपना पैसा खर्च कर यहां पहुंचते हैं। इसलिए अगर आपको एक साथ बुग्यालों सहित फूलों की घाटी और अनेकों तालों का अवलोकन करना है,तो उत्तरकाशी के सहस्त्रताल ट्रैक पर आपको प्रकृति की हर सुंदरता के एक साथ दीदार हो जाएंगे।

प्रकृति के अपार नैसर्गिक सौंदर्य से लबरेज उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी ब्लॉक के सिल्ला गांव से शुरू हो करीब 45 किमी लम्बे सहस्त्रताल ट्रैक,जिस पर सिल्ला गांव के साथ ही टिहरी क्षेत्र के घनसाली से भी पहुंचा जा सकता है। सहस्त्रताल करीब 15000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। जहां पहुंचने के लिए कुश कल्याण बुग्याल,बावनी सहित क्यारकी बुग्याल और द्रौपदी की धारा,परी ताल और भीमताल को पार कर पहुंचा जाता है। तो वहीं क्यारकी बुग्याल जहां पर बुग्याल में फूलों की क्यारी फैली हुई है। जिसे पांडवों की खेती कहा जाता है।
लोकमान्यताओं के अनुसार महाभारत काल मे अज्ञातवास के दौरान पांच पांडव द्रौपदी के साथ कुश कल्याण होते हुए सहस्त्रताल पहुंचे। जहां पर उन्होंने अपने अज्ञातवास के दौरान खेती की थी। जिसके पाषाण निशान,भीम का डाबर, द्रौपदी की काँठी, घोड़ों धनुष के पाषाण निशान मौजूद हैं। साथ ही कहा जाता है कि सहस्त्रताल से पहले परीताल में आज भी परियां स्नान करती हैं। जिन्हें पहाडों में आछरियाँ कहा जाता है। उत्तरकाशी जिले का सहस्त्र ताल ट्रैक रोमांच के साथ धार्मिक मान्यताएं के साथ आज भी कई रहस्यों को अपने अंदर समेटे हुए हैं।इसलिए आप भी देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सहस्त्रताल ट्रैक पर पहुँच स्वर्ग से अनुभूति को प्राप्त करे।







