स्थानीय साहित्यकार व शिक्षाविदों ने हिंदी की वर्तमान दशा दिशा व चिंतन पर दिया प्रेरक व्याख्यान
खटीमा(उधम सिंह नगर) – उत्तराखंड बाल कल्याण साहित्य संस्थान खटीमा द्वारा थारू इंटर कॉलेज में स्थित अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के टी एल सी में हिंदी दिवस के उपलक्ष में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता साहित्य शारदा मंच के संस्थापक डॉ रूप चंद्र शास्त्री “मयंक” ने किया । वहीं मुख्य अतिथि के रूप में साहित्य प्रेमी खंड शिक्षा अधिकारी खटीमा भानु प्रताप कुशवाहा ने भी शिरकत की।
काव्य गोष्ठी के आयोजन में खटीमा,चंपावत व उत्तर प्रदेश के 24 कवियों ने शिरकत कर हिंदी की वर्तमान दशा दिशा पर चिंतन व संवर्धन हेतु। प्रेरक काव्य पाठ किया। जबकि अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के दिलीप ने हिंदी के “वर्तमान दशा और दिशा” विषय पर अपना बेहतरीन व्याख्यान देते हुए कहा कि डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया पर हिंदी में कार्य की अधिकता होने से हिंदी बहुत ही तेजी से आगे बढ़ रही है और वह समय दूर नहीं जब हिंदी विश्व में अन्य भाषाओं की अपेक्षा सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा बन जाएगी।
कार्यक्रम मुख्य अतिथि खंड शिक्षा अधिकारी खटीमा भानु प्रताप कुशवाहा ने हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की सराहना करते हुए सबको शुभकामनाएं दीं और कहा कि जो हमारी क्षेत्रीय भाषा होती है उसमें हृदय की मूल भावना होती है भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम और समर्थ होती है। इस अवसर पर उत्तराखंड बाल कल्याण साहित्य संस्थान के अध्यक्ष डॉ महेंद्र प्रताप पांडे “नंद” ने हिंदी साहित्य के लिए किए गए विभिन्न साहित्यकारों के योगदान को बताते हुए का कहा कि वास्तव में हिंदी राष्ट्रभाषा के रूप में कायम है और निरंतर विकास की तरफ अग्रसर है आज हिंदी व्यापार की भाषा बन चुकी है।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शिरकत कर रहे महाविद्यालय खटीमा में इतिहास विभाग के प्राध्यापक डॉ प्रशांत जोशी ने हिंदी की सहचरी भाषाओं तथा आंचलिक भाषाओं का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदी भाषा सागर है और विश्व की अन्य भाषाओं को अपने में समेट लेने की ताकत रखती है ,हिंदी के विभिन्न साहित्यकार लाखों रुपए लेकर दो-चार घंटे के कवि सम्मेलन को संचालक के तौर पर अच्छी कमाई कर रहे हैं हिंदी फिल्में और इतर भाषाओं की फिल्मों की डबिंग हिंदी में हिंदी के विकास के लिए बहुत बड़ा योगदान कर रही है।
इस अवसर पर आयोजित कवि गोष्ठी में रामचंद्र प्रेमी दद्दा ने अपनी कविता कुछ इस तरह प्रस्तुत की नजर अमृत भी है और जहर भी, पसंद आपकी जिसे चाहो उसे पी लो डॉक्टर रूपचंद शास्त्री मयंक ने कहा कि मुखर हुआ है इंडिया, भारत है अब मौन ,हिंदी हिंदुस्तान की, बात करेगा कौन।
तो संचालन करते हुए त्रिलोचन जोशी “टी सी गुरु” ने कहा कि झलक मटक हंसते रहते हैं, नयन बहुत बातें करते हैं तो वही राम रतन यादव “रतन” ने अपनी कविता कुछ इस तरह से प्रस्तुत की हिंदी है बिंदी भाल की है शान दोस्तों, भारत की यही विश्व में पहचान दोस्तों पीलीभीत से आए कवि सत्यपाल सिंह “सजग” ने जन भाषा ने अलख जगाई,तब भारत में हिंदी आई, हिंदू मुस्लिम सिख इसाई, सबको हिंदी दिवस की बधाई सुना कर सबका मन खुश कर दिया। वहीं अपने चुटीले अंदाज में श्यामवीर सिंह चातक ने कुछ यूं अपने शब्द प्रस्तुत किए, अपने मित्रों के कहने पर अंग्रेजी की बंद, लेकिन मेरे मन में चलता रहा यही था द्वंद सुना कर गुदगुदाया ।
दीपक फुलेरा “बेबाक” ने रोली चंदन टीका करके कब तक यूं ही आओगे, हिंदी के संवर्धन को महफिल कितनी अब सजाओगे सुनाकर कर चिंतन को विवश कर दिया।
जबकि कवि बिपिन चंद्र जोशी ने अपनी कविता कुछ इस तरह से रखी राष्ट्रभाषा स्वर मनप्रीत, हिंदी तूं सब की संगीत हेमा जोशी “परू” ने हिंदी भाषा सब की प्यारी, आओ इसका मान करें, सरल सहज अति प्रिय सुखदाई, सब मिलकर सम्मान करें सुनाकर हिंदी की आराधना की। तो वही शांति देवी “शांति” ने हिंदी मेरी मातृभाषा है, हिंदी मेरी आन है, हिंदी मेरी काव्य गाथा है,हिंदी मेरी शान है को बड़े शान से पेश किया।
तरुण सकलानी ने कान्हा मन हर साए, मैया तेरा कान्हा मन हरसाए गाकर हिंदी की भजन धारा को सशक्त किया। वहीं डॉक्टर नीलम पांडे “नीलिमा” ने हिंदी की विशेषता को बताते हुए कहा कि सोलहो श्रृंगार भी अधूरा लगे, जब माथे ना हो बिंदी,भारत को जिसने जोड़ा वह जन जन की भाषा हिंदी महेंद्र प्रताप पांडे “नंद” ने हिंदी भाषा के महत्व को बताते हुए अपनी कविता कुछ इस तरह गुनगुनाया हिंदी में देखो फेसबुक और ऐप चल रहा, इस हिंद की भाषा से विदेश पल रहा गूगल तो हो गया है धनवान दोस्तों,हिंदी हमारे देश की है शान दोस्तों, नूरे निशाॅ ने निकल रसोई से अम्मा की, मधुर खीर के स्वाद की,इन खेतों में छुपी हुई है मस्त खुशबुएं भात की सुनाकर कर सबके मन को ललचा दिया तो वहीं बाल साहित्य के मूर्धन्य साहित्यकार रावेंद्र कुमार “रवि” ने अपनी हास्य कविता से सबको आह्लादित कर दिया दर्जी को देकर आए थे जो सफेद कुर्ता खादी का,लाइट जाने के चक्कर में अब तक उसने सिला नहीं सुनाया ।आकाश प्रभाकर ने हिंदी लेखन का आह्वान करते हुए कहा कि सकल धरा की अमिट पहचान है हिंदी, हिंदी नहीं है भाषा मात्र हिंदुस्तान है हिंदी तो रवींद्र पांडे “पपीहा” ने *हिंदी मुझको भाती है मुझको बहुत लुभाती है मुझे गर्व है मुझको अपनी हिंदी भाषा आती है।
मुख्य अतिथि खंड शिक्षा अधिकारी भानु प्रताप कुशवाहा ने अपनी कविता को कुछ इस तरह प्रस्तुत किया बैठकर मेरे दीपक में सूरज, प्रेम से बोला निहार कर, क्यों जलाते हो दीपक रोशनी के निल,जब रोज आता हूं मैं निशा निवारण के लिए सुनाकर अपना भाव पक्ष व्यक्त किया।
शायर तकी हनफी ने अपने अंदाज में हिंदी के उत्थान हेतु अनेक शेर अर्ज़ किए।
कवि गोष्ठी का संचालन त्रिलोचन जोशी “टी सी गुरु” ने किया और अंत में उत्तराखंड बाल कल्याण साहित्य संस्थान के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप पाण्डेय “नन्द ” ने सबका आभार व्यक्त किया और हिंदी के संवर्धन हेतु अनेक शुभकामनाएं दीं।